व्यापमं घोटाले में सीबीआइ ने 57 पर दर्ज की एफआइआर
व्यापमं घोटाले की छानबीन सीबीआइ के हाथ में आने के तीसरे दिन ही जांच एजेंसी ने पीएमटी एवं प्रीपीजी परीक्षा गड़बड़ी संबंधी तीन प्रकरण दर्ज कर लिए। सीबीआइ की इस पहली कार्रवाई में कुल 57 आरोपी बनाए गए हैं।
भोपाल [ब्यूरो]। व्यापमं घोटाले की छानबीन सीबीआइ के हाथ में आने के तीसरे दिन ही जांच एजेंसी ने पीएमटी एवं प्रीपीजी परीक्षा गड़बड़ी संबंधी तीन प्रकरण दर्ज कर लिए। सीबीआइ की इस पहली कार्रवाई में कुल 57 आरोपी बनाए गए हैं। जांच एजेंसी ने प्रीपीजी मामले में सुधीर भदौरिया, पंकज त्रिवेदी, मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य (राज्यमंत्री दर्जा) गुलाब सिंह किरार, उनके बेटे शक्ति प्रताप सिंह और वीर बहादुर भदौरिया सहित आठ आरोपियों पर नामजद एफआइआर दर्ज की है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआइ को सौंपे गए इस महाघोटाले में जांच की शुरुआत पीएमटी 2009 एवं 2010 से की जा रही है। इस परीक्षा में गड़बड़ी कराने के मामले में 28 लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई है। इसी तरह वर्ष 2010 की पीएमटी के मामले में 21 लोगों पर अलग से मामला पंजीबद्ध किया गया है। उधर, वर्ष 2011 में आयोजित प्रीपीजी परीक्षा में जो फर्जीवाड़ा हुआ उसमें आठ लोगों को आरोपी बनाया गया है।
सूत्रों का कहना है कि घोटाले के संदर्भ में सीबीआइ सबसे पहले ऐसे मामलों को हाथ में ले रही है जिनमें तफ्तीश के बाद अपराध और आरोपियों के बारे में स्थिति साफ हो चुकी है। शुरुआती जांच-पड़ताल के बाद ऐसे मामलों में जल्दी ही एफआइआर दर्ज कर ली जाएंगी। लेकिन जिन प्रकरणों में संदेह अथवा जांच की गुंजाइश नजर आएगी उनमें जांच प्रक्रिया फिर शुरू की जाएगी।
व्यापमं घोटाले में सीबीआइ ने दर्ज किए पांच मामले
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जांच शुरू करने के तीसरे दिन ही सीबीआई ने पांच एफआइआर दर्ज कर व्यापम घोटाले की परतें खोलनी शुरू कर दी। सीबीआइ की एफआइआर 2009 व 2010 के प्री मेडिकल टेस्ट और 2011 की प्री पीजी परीक्षा में हुई धांधली और 2013 में हुई वन रक्षकों की नियुक्ति में अनियमिता को लेकर है। घोटाले की जांच कर रही मध्यप्रदेश पुलिस के एसआइटी से सभी दस्तावेज लेने के बाद सीबीआइ ने एफआइआर दर्ज की है।
इसके साथ ही जांच एजेंसी ने घोटाले से जुड़ी संदिग्ध मौतों पर संबंधित एसपी और डीआइजी से जानकारी मांगी है, इनमें टीवी चैनल पत्रकार अक्षय सिंह की मौत भी शामिल है। घोटाले की जांच के लिए सीबीआइ ने संयुक्त निदेशक आरपी अग्रवाल के नेतृत्व में 40 अधिकारियों की टीम बनाई है।
सीबीआइ प्रवक्ता कंचन प्रसाद ने तीन एफआइआर दर्ज होने की जानकारी देते हुए कहा कि आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी सहित भारतीय दंड संहिता की कई धाराएं लगाएं गई हैं।
पहली एफआइआर 2009 और 2010 में हुई प्री मेडिकल परीक्षा में धांधली को लेकर है, जिसमें 28 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इसके साथ ही 2010 के प्री मेडिकल परीक्षा में हुई धांधली को लेकर अलग से दर्ज एफआइआर में 21 छात्रों को आरोपी बनाया गया है। जबकि 2011 की प्री पीजी परीक्षा में हुई धांधली को लेकर दर्ज एफआइआर में आठ आरोपी हैैं। इसके अतिरिक्त 2013 में वन रक्षकों की हुई बहाली में अनियमितता को लेकर दर्ज एफआइआर में 100 लोगों को आरोपी बनाया गया है।
सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आरोपियों में मध्यप्रदेश के अनुसूचित जाति व अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य गुलाब सिंह किरार और उनका बेटा शक्ति सिंह किरार शामिल हैैं। इसके अलावा व्यापम के पूर्व परीक्षा नियंत्रक सुधीर भदौरिया और पंकज त्रिवेदी को भी आरोपी बनाया गया है। भदौरिया और त्रिवेदी को घोटाले का सूत्रधार माना जाता है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सीबीआइ ने उन्हीं लोगों को आरोपी बनाया है, जिनका नाम एसआइटी की एफआइआर में है। इनमें नए नाम शामिल हैैं। लेकिन जांच के दौरान नए लोगों के खिलाफ सबूत मिलने पर उन्हें आरोपी बनाया जाएगा।
व्यापम घोटाले से जुड़ी कथित 49 मौतों के बारे में पूछे जाने पर वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फिलहाल घोटाले की जांच के सारे दस्तावेज एसआइटी से ले लिए गए हैैं। संदिग्ध मौतों से जुड़े दस्तावेज हासिल करने की कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि जल्द ही संदिग्ध मौतों की जांच भी शुरू कर दी जाएगी। इस सिलसिले में उज्जैन, कांकेर, ग्वालियर व झाबुआ के एससी और इंदौर के डीआइजी से नम्रता दामोर, विजय पटेल, राजेंद्र आर्य, अक्षय सिंह और दीपक वर्मा की संदिग्ध मौतों के बारे में विस्तृत जानकारी देने को कहा है।
ध्यान देने की बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ को व्यापम घोटाले के साथ-साथ उससे जुड़े लोगों की संदिग्ध मौतों की भी जांच करने का आदेश दिया है।