कॉलेज ट्रांसफर में भी रसूखदारों ने की मनमानी
मध्य प्रदेश के नेताओं और अफसरों का रसूख मेडिकल कॉलेजों में बेटे, बेटियों के दाखिले तक ही सीमिति नहीं रहा, बल्कि नियमों के विपरीत जाकर प्राइवेट से सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ट्रांसफर तक करवाए गए हैं।
अभिषेक दुबे, भोपाल। मध्य प्रदेश के नेताओं और अफसरों का रसूख मेडिकल कॉलेजों में बेटे, बेटियों के दाखिले तक ही सीमिति नहीं रहा, बल्कि नियमों के विपरीत जाकर प्राइवेट से सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ट्रांसफर तक करवाए गए हैं। ऐसे तीन मामले पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा की बेटी का, आईपीएस महान भारत सागर की बेटी का और आईएएस एके सिंह की बेटी के सामने आए हैं।
वर्मा की बेटी का ट्रांसफर 2004 में गाजियाबाद के सुभाषष मेडिकल कॉलेज (प्राइवेट) कॉलेज से गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल, एके सिंह की बेटी का ट्रांसफर 2000 में बेंगलुरु के दयानंद सागर प्राइवेट डेंटल कॉलेज से देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ डेंटिस्ट्री, इंदौर में हुआ, जबकि महान भारत की बेटी का ट्रांसफर 2014 में मुंबई के प्राइवेट डेंटल कॉलेज से इंदौर के सरकारी डेंटल कॉलेज में हुआ।
तीनों ही ट्रांसफर एमसीआइ (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) के तय नियमों को ताक पर रखकर हुए। देश में 2000 से 2015 तक के ऐसे 49 मामले सामने आए हैं, जिनमें एमसीआइ और डीसीआइ ने भी रसूख के दबाव में आकर एनओसी दी। इन मामलों का खुलासा हाल ही में सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी से हुआ। जानकारी आरटीआइ एक्टिविस्ट डॉ. आनंद राय द्वारा मांगी गई थी।