एमपी हाई स्कूल का रिजल्ट घोषित, 49.79 फीसदी छात्र पास
माध्यमिक शिक्षा मंडल के गुरुवार को आए दसवीं के नतीजे इस बार भी हैरान करने वाले हैं। महज 49.79 फीसदी ही छात्र पास हो पाए। भले ही यह पिछले साल से 2.05 फीसदी ज्यादा है, लेकिन पांच साल पहले के नतीजे से 4.97 फीसदी कम है।
भोपाल/इंदौर। माध्यमिक शिक्षा मंडल के गुरुवार को आए दसवीं के नतीजे इस बार भी हैरान करने वाले हैं। महज 49.79 फीसदी ही छात्र पास हो पाए। भले ही यह पिछले साल से 2.05 फीसदी ज्यादा है, लेकिन पांच साल पहले के नतीजे से 4.97 फीसदी कम है। साल 2008 से तुलना करें, तो यह गिरावट 8 फीसदी से ज्यादा की है। शिक्षाविद् हैरान हैं, लेकिन सरकार के हुक्मरान 50.21 फीसदी छात्रों के फेल होने के बाद भी खुश हैं। उनका तर्क है कि पिछली बार से रिजल्ट सुधरा तो है।
सरस्वती उमावि बैढऩ सिंगरौली के छात्र संदीप कुमार शाह और एसीसी उमावि कैमूर कटनी के छात्र शिवम दुबे 600 में से 586 अंक लाकर मेरिट में संयुक्त रूप से पहले स्थान पर हैं। मेरिट लिस्ट में पिछले साल के मुकाबले छात्रों की संख्या 31 से बढ़कर 34 हो गई। उधर, हायर सेकंडरी की तरह हाईस्कूल में भी छात्राएं आगे रही हैं। 50.18 फीसदी छात्राएं और 49.45 फीसदी छात्र सफल रहे हैं। जिसमें पिछले साल के मुकाबले क्रमश: 2.62 फीसदी और 1.56 फीसदी की वृद्घि हुई है। निजी स्कूलों का रिजल्ट 51.89 और सरकारी का 48.16 फीसदी रहा है।
इंदौर में 10 फीसदी गिरा रिजल्ट
जिले में 54.74 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए। पिछले वर्ष की तुलना में 10.53 प्रतिशत की गिरावट हुई है। पिछले छह वर्षों में यह सबसे कम रिजल्ट है। गुरु रामचंद्र झा पब्लिक स्कूल की छात्रा एकता सिंघई ने प्रदेश की मेरिट में पांचवां स्थान हासिल किया है।
कमियों को बनाया ताकत
प्रदेश में पांचवां स्थान बनाने वाली एकता सिंघई ने कहा कि रोज 8 घंटे कड़ी मेहनत की। कोई भी कोंचिग ज्वाइन नहीं की। स्कूल और घरवालों का भी योगदान रहा। मैं पढ़ सकूं, इसलिए जब मैं घर में होती थी तो घरवाले टीवी नहीं देखते थे। फेसबुक और वॉट्सअप तो चलाया भी नहीं। मुझे आईआईटी से इंजीनियरिंग करना है। जहां कमियां थीं, उन्हें हाईलाइट्स किया। इसके बाद उन्हें अपनी ताकत में बदला।
शिक्षामंत्री पारस जैन ने कहा कि पिछली बार से रिजल्ट सुधरा तो है।
सवाल : 50 फीसदी बच्चे फेल हो गए। क्या आप नतीजे से संतुष्ट हैं?
मंत्री पारसचंद्र जैन : हां, पिछले साल से परीक्षा परिणाम 2.05 फीसदी बढ़ा है। फिर भी गुंजाइश है और हम इस दिशा में काम कर रहे हैं।
शिक्षाविद् प्रो. अनिल सद्गोपाल, प्रो. रमेश दवे : 8वीं का स्टैंडर्ड बुरा है, तो 9वीं-10वीं में कैसे सुधार आएगा। इसे संतोषजनक रिजल्ट नहीं कहा जा सकता है।
प्रश्न : रिजल्ट में अपेक्षित सुधार न हो पाने के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
जैन : शिक्षक और छात्र दोनों ही जिम्मेदार हैं। शिक्षक सही से पढ़ाएं और छात्र सही से पढें़, तो रिजल्ट में सुधार आएगा ही।
शिक्षाविद् : शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य कराना सबसे बड़ा कारण है। शिक्षक-प्रशिक्षण का कोई ढांचा नहीं है। आरटीई के कारण 8वीं की परीक्षा खत्म होने से पढ़ाई की तैयारी का माहौल नहीं बन पा रहा है।
प्रश्न : रिजल्ट सुधारने के लिए क्या प्रयास होने चाहिए?
जैन : प्रभारी एईओ नियुक्त कर मॉनीटरिंग सिस्टम सुधार रहे हैं। शिक्षकों की ई-अटेंडेंस योजना भी लागू कर रहे हैं।
शिक्षाविद् : सबसे पहले शिक्षक-प्रशिक्षण का ढांचा सुधारना होगा। अच्छी ट्रेनिंग कराना होगी और उसके माफिक परिणाम लेना होंगे। परीक्षा परिणाम सुधारने की सोच होनी चाहिए। परीक्षा में भी कसावट की जरूरत है।
परीक्षा में 8,30,742 नियमित परीक्षार्थी शामिल हुए थे। इनमें से 8,30,002 का परिणाम गुरवार को घोषित किया गया है। जिसमें 1,90,152 प्रथम, 1,51,154 द्वितीय और 41,970 तृतीय श्रेणी में पास हुए हैं। ऐसे ही 2,83,844 प्राइवेट परीक्षार्थियों में से 2,83,058 का रिजल्ट घोषित किया गया है। जिसमें से 4,141 प्रथम, 22,582 द्वितीय, 12,988 तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हैं। नियमित में 2,32,450 और प्राइवेट में 64,103 परीक्षार्थियों की सप्लीमेंट्री आई है। अंकों की पुष्टि न होने के कारण 724 नियमित और 771 प्राइवेट परीक्षार्थियों का रिजल्ट रोका गया है।
रि-टोटलिंग के लिए 29 मई तक एमपी ऑनलाइन के कियोस्क से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदकों को प्रति विषय 200 रुपए शुल्क देना होगा। उत्तरपुस्तिका की फोटोकॉपी के लिए 500 रपए प्रति कॉपी देने होंगे। अंकसूची में गलती होने पर तीन माह के अंदर आवेदन करना होगा।