भूमि अधिग्रहण बिल पास कराना नामुमकिन: जयराम
भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर कांग्रेस अपनी रणनीति में कोई बदलाव नहीं कर रही, पार्टी ने तय किया है कि भले ही बहुमत के आधार पर सरकार इसे लोकसभा में पारित करा ले, लेकिन राज्यसभा में इसका पास होना नामुमकिन है।
भोपाल [ब्यूरो]। भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर कांग्रेस अपनी रणनीति में कोई बदलाव नहीं कर रही, पार्टी ने तय किया है कि भले ही बहुमत के आधार पर सरकार इसे लोकसभा में पारित करा ले, लेकिन राज्यसभा में इसका पास होना नामुमकिन है। किसान विरोधी और उद्योगपतियों के हित वाले इस कानून को संसद [राज्यसभा] में पास नहीं होने दिया जाएगा। इसको लेकर लड़ाई संसद से सड़क तक जारी रहेगी।
ये बातें पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जयराम रमेश ने सोमवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारवार्ता में कही। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार द्वारा लाए गए भूमि अधिग्रहण बिल में सभी राजनीतिक दलों की सहमति थी। लोकसभा और राज्यसभा में 15 घंटे चर्चा हुई। 65 सांसदों ने हिस्सा लिया था। सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इसके बाद पारित हुआ कानून ठीक से लागू भी नहीं हो पाया था कि एनडीए सरकार इसमें संशोधन कर अध्यादेश ले आई। जिद्दीपन और हठधर्मिता ऐसी कि किसी राजनीतिक दल से बात तक नहीं की। संसद की स्थायी समिति को भी इसे नहीं भेजा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में गलत तथ्य परोसकर देशवासियों को गुमराह किया। हर सरकार के पास पर्याप्त भूमि है। रक्षा और विकास परियोजनाओं के लिए अधिग्रहण बिना किसी प्रक्रिया के पहले वाले कानून में भी हो सकता था। मध्यप्रदेश के पास 20 हजार हेक्टेयर से ज्यादा का लैंड बैंक है।
रियल एस्टेट बिल को आम आदमी का विरोधी करार देते हुए जयराम ने कहा कि इससे बिल्डरों को फायदा होगा। मध्यप्रदेश में उद्योगपतियों को सीलिंग एक्ट से छूट देने के प्रावधान पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि ये बदलाव भूमिहीनों के खिलाफ और पूंजीपतियों के पक्ष में है।
कांग्रेस की इन मुद्दों पर आपत्ति: कांग्रेस की आपत्ति पांच मुद्दों पर है।
पहला-निजी और पीपीपी प्रोजेक्ट के लिए किसान से भूमि बिना उसकी सहमति के ली जाएगी।
दूसरा-भूमि अधिग्रहण से पहले सामाजिक प्रभाव के आकलन का प्रावधान समाप्त कर दिया।
तीसरा-अधिग्रहण के बाद भूमि का इस्तेमाल पांच साल तक नहीं हुआ तो भी जमीन नहीं लौटाई जाएगी।
चौथा-इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के दोनों ओर एक-एक किलोमीटर भूमि के अधिग्रहण का प्रावधान।
पांचवा-ऐसे किसान, जिन्होंने 1894 के एक्ट के मुताबिक मुआवजा लेने से इंकार कर दिया था उन्हें पुराने कानून से मुआवजा देने का प्रावधान हटा दिया।
शिवराज के सभी सुझाव किए थे शामिल
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुझसे दो बार बात की और अपने अफसरों को भेजा था। उनकी [शिवराज] चिंता सिंचाई परियोजनाओं को लेकर थी। उन्होंने तीन संशोधन बताए थे। हमने कोई बहस नहीं की और सेक्शन 6, 38 और शेड्यूल दो में मप्र के संशोधन को मान लिया। इसी तरह स्थायी समिति [जिसकी अध्यक्ष सुमित्रा महाजन थीं] की 28 सिफारिशों में से 26 को माना।
हम संन्यासी या एनजीओ नहीं
पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस एक राजनीतिक संगठन है और ये एक राजनीतिक लड़ाई है। हम कोई संन्यासी या एनजीओ नहीं हैं। इस ल़$डाई को संसद से स़$डक तक ल़$डेंगे।
एक पीएम बाकी संतरी
वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि हमारी सरकार में एक प्रधानमंत्री और कई प्रभावशाली मंत्री थे लेकिन एनडीए सरकार में एक प्रधानमंत्री और बाकी सब संतरी हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाया कि वे मैं की राजनीति तक सीमित हैं। उनकी डिक्शनरी में मैं, मेरा और मुझसे शब्द ही हैं। जबकि, कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी की राजनीति टीम बनाने की है।