भूकंप के कारण बैठक छोड़ बाहर निकल आए सिंधिया
नेपाल और पोखरा के बीच आए भूकंप के झटके गुना में भी महसूस किए गए। जिस समय भूकंप के झटके महसूस किए गए, उस समय क्षेत्रीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया जिला पंचायत के सभाकक्ष में जिला सतर्कता एवं मूल्यांकन समिति की बैठक ले रहे थे।
भोपाल, गुना [ब्यूरो]। नेपाल और पोखरा के बीच आए भूकंप के झटके गुना में भी महसूस किए गए। जिस समय भूकंप के झटके महसूस किए गए, उस समय क्षेत्रीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया जिला पंचायत के सभाकक्ष में जिला सतर्कता एवं मूल्यांकन समिति की बैठक ले रहे थे। करीब दस से 15 सेकंड तक जमीन हिलती देख बाहर खड़े कार्यकर्ताओं ने इसकी जानकारी बैठक ले रहे सांसद सिंधिया को सभाकक्ष में दी। बाहर शोरगुल की आवाज सुनकर पहले सांसद खुद उठकर बाहर आए और उन्होंने जानकारी ली। इसके बाद वापस सभाकक्ष में पहुंचकर अधिकारियों से पूछा कि क्या आपको भी भूकंप के झटके महसूस हो रहे हैं और समय से पहले ही बैठक को खत्म कर बाहर निकल आए।
थोड़ी देर में ही आग की तरह फैली जानकारी
भूकंप के झटके आने के बाद जिला सहित आसपास के क्षेत्रों में आग की तरह यह जानकारी फैल गई। लोग घरों और दफ्तरों को छोड़कर सड़कों पर उतर आए। इसको लेकर थोड़ी देर तक जाम की स्थिति भी बनी। हर कोई एक-दूसरे से भूकंप के झटकों को महसूस किए जाने की जानकारी लेते हुए नजर आए। जिला मुख्यालय पर 12.20 बजे दूसरी बार आए झटके से जिले की कई इमारतों को नुकसान पहुंचने की खबर भी है। जिला पंचायत के सीईओ चैंबर की छत का एक टुकड़ा दूसरी बार आए भूकंप के चलते गिर गया। दूसरी बार फिर से आए भूकंप की खबर सुनकर जिला पंचायत के सभी अधिकारी-कर्मचारी बदहवास हालत में बाहर निकलते हुए नजर आए।
स्कूलों की करवाई छुट्टी
जिले में भूकंप के झटकों को देखते हुए एडीएम नियाज अहमद खान ने शिक्षा विभाग को निर्देश देकर जिले के सभी स्कूलों की छुट्टी करवा दी।
आंखों में आंसू आ गए
मनोज किरार, दीपचंद कालोनी, गुना ने कहा कि जिस समय भूकंप के झटके महसूस हुए, उस समय मैं अपने पूरे परिवार के साथ घर पर ही मौजूद था। बच्ची के पैर में लगी होने के कारण वह तखत पर लेटी हुई थी और बाकी बच्चे व पत्नी घर में दूसरे काम कर रहे थे। जैसे ही मुझे पता चला कि भूकंप आया है, तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। मेरे व मेरी पत्नी की आंखों में आंसू आ गए थे। घर की छत के ऊपर बनी बाउंड्री वाल चटक गई थी, कई जगह ईंटों के जोड़ भी खुल गए थे। दीवारों पर जगह-जगह दरारें चल रही थी। इन सबको देखकर मेरा हाल बहुत बुरा हो रहा था।