अप्रैल में लालबत्ती की कवायद
भोपाल [धनंजय प्रताप सिंह]। लालबत्ती की आस में बैठे नेताओं के लिए अच्छी खबर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह
भोपाल [धनंजय प्रताप सिंह]। लालबत्ती की आस में बैठे नेताओं के लिए अच्छी खबर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी तीसरी पारी में पहली बार होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी शुरू कर दी है। सत्ता-संगठन में बने तालमेल के बाद अप्रैल में कैबिनेट में नए चेहरे शामिल किए जा सकते हैं। कैबिनेट में फिलहाल मंत्रियों के 11 पद खाली हैं। साथ ही निगम-मंडलों में दर्जा प्राप्त मंत्रियों के लिए भी जोड़-तोड़ भी हो रही है। सरकार ने ऐसे नेताओं की अनौपचारिक रूप से खुफिया पड़ताल भी शुरू करवा दी है।
सूत्रों का कहना है कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान की टीम को हरी झंडी देने के दौरान मुख्यमंत्री चौहान और संगठन महामंत्री मेनन के बीच कैबिनेट विस्तार और निगम मंडल में नियुक्तियों पर भी चर्चा हुई, जिसमें तय हुआ कि संगठन के खाली पदों को भरने के बाद अगले महीने तक सरकार के भी सभी पदों को भर लिया जाए। सोमवार को मुख्यमंत्री अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से भी इस पर चर्चा कर सकते हैं।
दिल्ली से लेंगे हरी झंडी
लोकसभा सहित अन्य चुनाव के कारण लंबे समय से कैबिनेट विस्तार टल रहा था। खाली पडे़ 11 पदों के लिए विधायक भी लगातार सत्ता-संगठन पर दबाव बना रहे थे।
सूत्रों का कहना है कि मौजूदा राजनीतिक हालातों में बदलाव नहीं आया तो अप्रैल में ही विस्तार हो जाएगा। तारीख तय करने से पहले मुख्यमंत्री हाइकमान से हरी झंडी लेंगे।
शुरू हुई पुलिसिया जांच
निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियों के लिए भाजपा संगठन और सरकार में सहमति बन गई है। शीर्ष नेताओं के साथ मंथन के बाद पार्टी ने संबंधित दर्जा प्राप्त मंत्रियों के दावेदारों की अनौपचारिक रूप से पुलिसिया जांच भी शुरू करवा दी है। इसमें क्लीनचिट मिलने के बाद सारे नामों पर केंद्रीय आलाकमान से हरी झंडी ली जाएगी।
गौरतलब है कि पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने भी 8 माह बाद अपनी टीम में नए चेहरों को शामिल कर लिया है।
राज्यपाल की मुश्किलें बढें़गी
राज्यपाल रामनरेश यादव की मुश्किलें आने वाले दिनों में बढ़ सकती हैं। उनके खिलाफ एफआईआर पर हाईकोर्ट से 25 मार्च तक मिली राहत के बाद भी स्थितियां बदली नहीं हैं। जांच एजेंसी ने अपने जवाब में प्रमाण के तौर पर राजभवन से लिखे सिफारशी पत्रों को भी लगाया है। जानकारों का कहना है कि कोर्ट का रुख देखकर केंद्र सरकार भी मौन तोड़कर राज्यपाल के खिलाफ कठोर फैसला ले सकती है।