आरोप सिद्ध नहीं तो क्यों दें इस्तीफा राज्यपाल
भोपाल [ब्यूरो]। व्यापमं घोटाले में चारों ओर से घिरने के बाद राज्यपाल पर संकट बढ़ता देख राज्य सरकार उ
भोपाल [ब्यूरो]। व्यापमं घोटाले में चारों ओर से घिरने के बाद राज्यपाल पर संकट बढ़ता देख राज्य सरकार उनके बचाव में उतर आई है। विधानसभा में अभिभाषण समाप्त होने के बाद कई मंत्रियों ने कहा कि राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे का नाम किसी आरोपी ने अपने बयान में लिया है, इससे कोई आरोप सिद्ध नहीं होता। जब तक राज्यपाल पर किसी तरह का कोई आरोप सिद्घ नहीं होता तब तक उनसे नैतिकता के नाम पर इस्तीफा भी मांगना गलत है। कांग्रेस षषड्यंत्र एवं दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। व्यापमं मामले की निगरानी हाईकोर्ट कर रहा है। इससे राज्यपाल के इस्तीफे का क्या संबंध? कांग्रेस के व्यवधान की वजह से राज्यपाल ने अभिभाषण पूरा नहीं पढ़ा। विपक्ष विकास और स्वाइन फ्लू पर बात नहीं कर रहा।
इस्तीफा उनके विवेक पर
इस्तीफा देना न देना राज्यपाल के विवेक पर निर्भर करता है, मैं इस पर टिप्पणी नहीं करूंगा। मैं 40 वर्षो से सदन का सदस्य हूं विपक्ष का ऐसा बर्ताव कभी नहीं देखा। व्यापमं मामले की हाईकोर्ट निगरानी कर रहा है, हार्ड डिस्क में छेड़छाड़ सिद्ध करना मुश्किल है। कांग्रेस भ्रम फैला रही है, उसका आचरण निंदनीय है। वे लोग इस्तीफे की मांग तो प्रस्ताव पारित कर दूसरे दिन भी कर सकते थे- बाबूलाल गौर, गृहमंत्री।
मानसिक दिवालियापन
कांग्रेस के बर्ताव से उसका मानसिक दिवालियापन उजागर हुआ। कांग्रेस ने सदन की मान्य परंपराओं का पालन नहीं किया। राज्यपाल के सम्मान में कांग्रेसी ख़़डे तक नहीं हुए। हो-हल्ला और चर्चा से पलायन कर बेबुनियादी बातें करना कांग्रेस का स्वभाव बन गया है। वे अपनी बातें सदन में रखें हर बात का जवाब मिलेगा। राज्यपाल व्यक्ति नहीं संवैधानिक पद है। एक्सेल शीट का आरोप गलत है दिग्विजय ध्यान बंटाने की कोशिश कर रहे हैं। वे लोग चालान पेश नहीं होने देना चाहते इसलिए यह सब प्रपंच कर रहे हैं- नरोत्तम मिश्रा, सरकार के प्रवक्ता एवं स्वास्थ्य मंत्री।
गिरेबान में झांके कांग्रेस
यदि कांग्रेस राज्यपाल से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा मांग रही है तो इस आधार पर कांग्रेस तो पूरी की पूरी साफ हो जाएगी। पहले वह अपने गिरेबान में झांके की वह कहां तक डूबे हुए हैं- गोपाल भार्गव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री।
बेहद शरीफ हैं राज्यपाल
राज्यपाल बेहद शरीफ हैं, उन्हें झूठा फंसाया जा रहा है। ऐसे में इस्तीफे का तो सवाल ही नहीं उठता। वर्ष 2018 के चुनाव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में ही होंगे। विधानसभा में कांग्रेस का प्रदर्शन अनर्गल स्टंटबाजी है। दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया कितना भी जोर लगा लें शिवराजजी नहीं हटेंगे- कैलाश विजयवर्गीय, नगरीय प्रशासन एवं आवास व पर्यावरण मंत्री।
वकीलों का आचरण अनुचित
नेता प्रतिपक्ष ने सदन की मर्यादा का पालन नहीं किया, वह राज्यपाल को विस में बाहर छोड़ने भी नहीं गए। इस्तीफे की मांग में नई बात कुछ नहीं है, सब अनर्गल व तथ्यहीन बातें हैं। व्यापमं मामले में 15 मार्च तक चालान पेश होना है। विपक्ष उसमें बाधा पहुंचाना चाहता है। इसलिए यह सब बातें की जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के दोनों वकीलों ने यहां आकर प्रेस में आरोप लगाए और आरोपियों की पैरवी भी कर रहे हैं उनका यह आचरण उचित नहीं- उमा शंकर गुप्ता, उच्च शिक्षा मंत्री।
शर्मसार किया
विधानसभा में कांग्रेस का बर्ताव शर्मसार करने वाला है, उन्होंने मर्यादा को ताक पर रख दिया। गवर्नर रामनरेश यादव की नियुक्ति यूपीए सरकार के दौरान ही हुई थी। खबरों में बने रहने के लिए कांग्रेस व्यापमं का मुद्दा उछाल रही। इस्तीफे के मुद्दे पर मैं कमेंट नहीं करूंगी- माया सिंह, महिला एवं बाल विकास मंत्री।
कुछ नहीं बोलना है
वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार ने इस मामले से कन्नी काटते हुए कहा कि राज्यपाल का संवैधानिक पद होता है इस मामले में वे कुछ नहीं बोलना चाहता। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने भी गुरवार को राज्यपाल के पद को संवैधानिक बताते हुए कुछ भी बोलने से इंकार किया था।