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यूपी का गेहूं मप्र में ऊंचे दामों पर बिका : पासवान

भोपाल [ब्यूरो]। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद एवं सावर्जनिक वितरण रामविलास पासवान ने मंगलवार को यहां

By Edited By: Published: Wed, 21 Jan 2015 05:46 AM (IST)Updated: Wed, 21 Jan 2015 02:53 AM (IST)
यूपी का गेहूं मप्र में ऊंचे दामों पर बिका : पासवान

भोपाल [ब्यूरो]। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद एवं सावर्जनिक वितरण रामविलास पासवान ने मंगलवार को यहां न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होने वाली अनाज खरीदी पर सवाल उठा दिए हैं। पासवान ने कहा कि बोनस के चक्कर में व्यापारी उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्य से एक हजार रपए क्विंटल में गेहूं लेकर यहां 15-16 सौ रुपए में बेच देते थे। इससे किसान को कोई फायदा नहीं होता, बिचौलिए मुनाफा कमाते थे। बोनस केन्द्र सरकार ने बंद नहीं किया है। इस बारे में फैसला राज्यों का करना है। केन्द्र सरकार ने राज्य को 31 मार्च तक धान की मीलिंग करने की विशेष इजाजत भी दे दी है।

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भोपाल प्रवास पर आए केंद्रीय मंत्री पासवान ने मीडिया चर्चा में बताया कि गेहूं और धान की खरीदी में मध्यप्रदेश सहित कुछ राज्य बोनस देते हैं। इससे किसानों को कम और बिचौलियों को ज्यादा फायदा मिलने की शिकायतें आम थीं। मप्र में किसानों का पंजीयन करके खरीदी करने का सिस्टम है। पंजाब में तो किसानों को ये अधिकार ही नहीं है कि वे सीधे अनाज बेच सकें, उन्हें मंडी में बेचना होता है। बिहार में खरीदी केंद्र का सिस्टम ही नहीं है। किसान व्यापारियों को अनाज बेचते हैं। हमने तय किया है कि यदि कोई राज्य बोनस या अन्य तरह से खरीदी में प्रोत्साहन देता है तो पीडीएस की जरूरत का अनाज ही उससे लिया जाएगा। इसके ऊपर आने वाले अनाज की जिम्मेदारी राज्य की होगी। वो चाहे तो जमा रखे या फिर किसी और तरह से उसका उपयोग करे। धान की मीलिंग को लेकर उठे सवाल पर कहा कि राज्य पिछले साल की 5.54 लाख टन धान की मीलिंग 31 मार्च तक कर सकती है। ये अवधि पहले 31 दिसंबर थी।

मुख्यमंत्री करेंगे फैसला: विजय शाह

राज्य के खाद्य, नागरिक आपूर्ति मंत्री विजय शाह ने बताया कि बोनस देने या न देने का निर्णय मुख्यमंत्री करेंगे। राज्य अपनी आपत्ति के सामने दर्ज करा चुका है। प्रदेश में पिछले कुछ सालों से किसानों को गेहूं और धान की खरीदी में समर्थन मूल्य के ऊपर बोनस दिया जा रहा था पर इस बार धान खरीदी के साथ बोनस का सिस्टम बंद हो गया है।

मैं मुख्यमंत्री का दावेदार नहीं: पासवान

केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने बिहार की राजनीति को लेकर पूछे सवाल पर कहा कि मैं मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं हूं। बिहार के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी पर पूर्व मुख्यमंत्री नीतिश कुमार द्वारा दवाब बनाए जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें ये सोचकर मुख्यमंत्री बनाया गया था कि पाकेट में रहेंगे। जो कहेंगे वो करेंगे। यहां तक कि वे कहां जा रहे हैं, खाना खा रहे हैं इस पर भी पाबंदी लगा दी। दरअसल, मांझी पूर्व मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के गले ही हड्डी बन गए हैं। उन्हें न तो निगलते बन रहा है और न ही उगलते। उन्होंने कहा कि सरकार इस्तीफा देकर चुनाव में जाए। लालू यादव और नीतिश कुमार के गठजो़़ड पर कहा कि झारखंड में ये फेल हो गया। उनके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। जनता परिवार के एक होने पर कहा कि ये एक छत के नीचे आ ही नहीं सकते हैं। अभी तक विलय भी नहीं हुआ। पासवान ने कहा कि लोजपा का भाजपा में विलय नहीं होगा। मोदी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि जो वादे जनता से किए थे वे पूरे हो रहे हैं। महंगाई काबू में है, मंत्रियों के ऊपर एक भी आरोप नहीं हैं। विदेशों में देश की शान ब़़ढी है।

17 लाख टन गेहूं का उठाव बाकी

केन्द्रीय मंत्री पासवान ने भारतीय खाद्य निगम के कामकाज की समीक्षा भी की। बैठक में बताया गया कि एफसीआई ने सेंट्रल पूल में 28 लाख टन गेहूं का उठाव कर गुजरात, महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक को भेजा है। जबकि, नौ लाख टन ओपन मार्केट में बेचा जा चुका है। 17 लाख टन गेहूं का उठाव और होना है जो 15 अप्रैल तक हर हाल में कर लिया जाएगा। इसमें 8 लाख टन को खुले बाजार के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। बैठक में खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री, प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल, एफसीआई के कार्यपालक निदेशक सुरेन्द्र सिंह सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।

मंत्री का आशय बिहार-यूपी से था : पीएस

अशोक वर्णवाल, प्रमुख सचिव, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने कहा कि मप्र में गेहूं खरीद में कोई ग़़डब़़ड नहीं है। केंद्रीय मंत्री का आशय बिहार-यूपी से था। उदाहरण के तौर पर उन्होंने मप्र का नाम ले लिया। दरअसल बिहार-यूपी में ऐसा होता है। उन्होंने समझाने के लिहाज से ऐसा कहा था।


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