राजनीति से तौबा: सत्यार्थी
भोपाल, विदिशा [वैभव श्रीधर]। शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजे गए बचपन बचाओ आंदोलन के प्रणेत
भोपाल, विदिशा [वैभव श्रीधर]।
शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजे गए बचपन बचाओ आंदोलन के प्रणेता कैलाश सत्यार्थी से परिचित काफी दिनों से एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि अब तो आपको कोई भी राजनीतिक दल विधायक या सांसद का चुनाव लड़ने की टिकट दे देगा, आप क्या करेंगे। सत्यार्थी ने बिना लाग-लपेट के राजनीति से तौबा करते हुए कहा कि मैं पंच से लेकर सांसद तक सबका सम्मान करता हूं पर मेरा काम अलग है। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सत्यार्थी को पुरस्कार मिलने पर नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को बधाई देने वाले मंत्री और विधायकों के 'ज्ञान' पर उन्होंने सीधे टिप्पणी से बचते हुए कहा कि मैं तो खुद शुरुआत से सबको बधाई दे रहा हूं। दरअसल, ये पुरस्कार मुझे नहीं सभी प्रदेश और देशवासियों को मिला है।
नोबेल पुरस्कार विजेता से सीधी बात
सवाल:-बाल श्रम की मूल वजह क्या है?
जवाब-भारत सहित दुनिया में बाल मजदूरी, अशिक्षा और गरीबी का दुष्चक्र है। दुनिया में करीब 17 करोड़ बच्चे मजदूरी करते हैं और इससे ज्यादा व्यस्क बेरोजगार हैं। बच्चों को मजदूर बनाकर व्यस्कों को बेरोजगार बनाया जा रहा है। ये काम कोई और नहीं, इन्हीं बच्चों के माता-पिता कर रहे हैं। संसार की नियति शिक्षा तय करती है। यदि बच्चे अशिक्षित रहेंगे तो आर्थिक न्याय की सोच धरी की धरी रह जाएगी। अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बच्चों की पढ़ाई पर टिकी हुई है।
सवाल:-शिक्षा के लिए क्या किया जाना चाहिए?
जवाब:-अकेले सरकार के चाहने भर से कुछ नहीं होगा। समाज को आगे आना होगा। जहां कहीं भी 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे दीगर कामों में लगे मिलें, तत्काल अपनी भूमिका निभाएं। माता-पिता को शिक्षा का महत्व बताएं। बच्चा जब पढ़ जाएगा, तब सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करेगा और इसका फायदा अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में अपना योगदान दे सकेगा।
सवाल:-कई कानून होने के बावजूद बाल मजदूरी क्यों बनी हुई है?
जवाब:-बाल श्रम रोकने कानून तो बहुत हैं पर वे कमजोर और आउटडेटेड हो चुके हैं। इन्हें लागू करने जितनी इच्छाशक्ति, जवाबदेहिता और संबद्घता होना चाहिए थी, वो नहीं है। राजनीतिक इच्छाशक्ति भी बिल्कुल इन वर्षो में बाल मजदूरी को रोकने प्रदर्शित नहीं हुई।
सवाल:-आपने इंजीनियरिंग की है, चाहते तो बेहतर नौकरी कर सकते थे फिर बाल मजदूरी उन्मूलन की दिशा में काम करने किसने प्रेरित किया?
जवाब:-शुरुआत से ही अन्याय के खिलाफ बोलता रहा हूं। स्कूल में पढ़ता था तब एक बच्चे को जूते पर पॉलिश करते देखा। उसकी उम्र भी मेरी तरह पांच बरस की रही होगी। शिक्षक से पूछा तो कोई सटीक और ऐसा उत्तर नहीं मिला, जिससे मेरा अंतरमन संतुष्ट हो जाता। ऐसी ही बातों ने बच्चों के बीच की असमानता को लेकर काम करने के लिए प्रेरित किया।
सवाल:-मध्यप्रदेश से हैं। यहां अपनी क्या भूमिका देखते हैं?
जवाब:-प्रदेश के साथ मेरा रिश्ता मां-बेटे का है। अपनी भूमिका पहले भी निभाता रहा हूं और आगे भी निभाता रहूंगा। भाईयों को चाहिए कि वे बाल मजदूरी के कलंक को मिटाने के काम में लगें। सरकार भी आगे आए।