कांग्रेस को तीसरी बार जोर का झटका, निगमों में सफाया
भोपाल [ब्यूरो]। विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस को नगरीय निकाय चुनाव में भी करार
भोपाल [ब्यूरो]। विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस को नगरीय निकाय चुनाव में भी करारा झटका लगा है। पार्टी का नगर निगमों में पूरी तरह सफाया हो गया। पहले चरण की 126 नगर पालिका और नगर पंचायत में से मात्र 33 में उसके अध्यक्ष जीते। प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव ने हार को स्वीकार करते हुए कहा कि ऐसे नतीजों की बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी। उन्होंने आरोप भी लगाया कि भाजपा ने सत्ता, पैसों और ईवीएम के बल पर जीत हासिल की है। हार से पार्टी में एक बार फिर टिकटों में गलत फैसलों को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।
कांग्रेस के पास चुनाव के पहले एकमात्र नगर निगम देवास में महापौर रेखा वर्मा थीं। पहले चरण के चुनाव में शामिल नौ नगर निगमों में भाजपा की आंधी के आगे कांग्रेस प्रत्याशी टिक नहीं सके।
ग्वालियर में सबसे करारी हार करीब 91 हजार वोटों से हुई। जबकि, रीवा में कांग्रेस की बागी कविता पांडे ने खेल बिगाड़ दिया। यहां कांग्रेस ने मौजूदा नेता प्रतिपक्ष कविता पांडे का टिकट काटकर प्रदेशाध्यक्ष के करीबी महामंत्री विमलेंद्र तिवारी के छोटे भाई की पत्नी प्रियंका तिवारी को तमाम विराधों को दरकिनार कर प्रत्याशी बनाया था। प्रियंका तीसरे स्थान पर रहीं। इसी तरह रतलाम में ऐनवक्त स्मिता शर्मा और सतना में नीतू तिवारी की टिकट काटी गई थी। इसका असर नतीजों में अब साफ नजर आ रहा है।
पार्टी को सागर, खंडवा और बुरहानपुर से उम्मीदें थीं पर यहां भी तीन से पांच हजार मतों से प्रत्याशी हार गए। इसी तरह 26 नगर पालिकाओं में कांग्रेस के 7 और 100 नगर पंचायतों में मात्र 26 अध्यक्षों को जीत नसीब हुई। रायसेन के बाड़ी और सिलवानी में कांग्रेस के बागी अध्यक्ष चुने गए। कुल मिलाकर कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव ने जनमत को स्वीकार करते हुए कहा कि कार्यकर्ताओं की मेहनत की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में हमें समर्थन हासिल हुआ है। जो कमियां रह गई उन पर विचार कर सुधार किया जाएगा। नतीजों की समीक्षा के लिए जल्द ही बैठक बुलाई जाएगी।
राजनैतिक संरक्षण में हुआ विधायक पर हमला
उधर, चुनाव के दौरान बहोरीबंद विधायक सौरभ सिंह पर हुए प्राणघातक हमले को लेकर प्रदेश कांग्रेस ने रोशनपुरा चौराहे से राजभवन तक पैदल मार्च कर राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि राजनैतिक संरक्षण में विधायक पर हमला हुआ है। यही वजह है कि हमलावरों को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। राज्यपाल से मांग की गई है कि हमलावरों को गिरफ्तार करने के लिए सरकार को निर्देशित करें।