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ब्लैक मनी ट्रांसफर का रेट था सौ रुपए

भोपाल [ब्यूरो]। प्रदेश में पकड़े गए एक हजार करोड़ रुपए के देसी हवाला की छानबीन में आयकर विभाग के सामने

By Edited By: Published: Mon, 01 Dec 2014 05:45 AM (IST)Updated: Mon, 01 Dec 2014 03:05 AM (IST)
ब्लैक मनी ट्रांसफर का रेट था सौ रुपए

भोपाल [ब्यूरो]। प्रदेश में पकड़े गए एक हजार करोड़ रुपए के देसी हवाला की छानबीन में आयकर विभाग के सामने चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। सहकारी समितियों के जरिए हो रहे इस गोरखधंधे में कपड़ा एवं अन्य व्यवसाय से जुडे़ कारोबारी कमीशन के लालच में कालेधन को बैंकों के जरिए दूसरे शहरों में ट्रांसफर कर रहे थे। समिति इसके एवज में एक लाख पर 100 रुपए का कमीशन वसूलती थी।

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आयकर विभाग की खुफिया विंग ने उज्जैन, धार एवं इंदौर में सहकारी साख समितियों पर दबिश देकर करीब एक हजार करोड़ रुपए के देसी हवाला का खुलासा किया है। इन सहकारी समितियों में करीब साढे़ तीन सौ ऐसे लोग चिन्हित हुए हैं जिन्होंने अपने कालेधन को नंबर एक में बदलने के लिए चेक बनवाए। ये चेक और ड्राफ्ट दूसरे राज्यों एवं शहरों के कारोबारियों को भेजे जा रहे थे। तीन-चार साल से ये समितियां कमीशन लेकर लाखों रपए के चेक बांट रही थीं। पक़़डे गए व्यापारियों में थोक एवं फुटकर दोनों तरह के व्यवसायी शरीक हैं।

मांगा मूल रकम का ब्यौरा

आयकर इंटेलीजेंस एवं क्रिमनल इन्वेस्टीगेशन विंग की ओर से इस पूरे मामले में इंदौर की गुरशरण सहकारी साख समिति, कान्हा सहकारी समिति, उज्जैन में श्री वर्धमान साख सह समिति एवं धार जिले में राजेंद्र सूरी सहकारी साख समिति की शाखाओं से बरामद दस्तावेजों से संदिग्ध लोगों की सूची बनाई गई है। इन सभी को बारी-बारी से पूछताछ के लिए तलब किया जा रहा है। जांच में पाया गया कि औसतन एक व्यापारी ने साल में एक-डेढ़ करोड़ का लेनदेन किया। विभाग ने कारोबारियों से स्पष्ट कह दिया है कि पूरे लेनदेन को वह कालाधन नहीं मानेगा क्योंकि एक ही रकम को अनेक बार इधर-उधर भेजा गया। इसलिए व्यापारियों से उनकी मूल रकम का ब्यौरा मांगा जा रहा है।

अनदेखी पर आपत्ति

विभाग ने एक्सिस एवं आईसीआईसीआई बैंक प्रबंधन को पत्र भेजकर इस तरह की गतिविधियों की अनदेखी पर आपत्ति ली है। साथ ही जांच के लिए बिंदुवार जानकारी मांगी है। इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय [ईडी] को भी पूरे मामले की जानकारी भेजी गई है।

विभागीय अफसरों का कहना है कि इस गोरखधंधे में सहकारिता अधिनियम के उल्लंघन को लेकर राज्य सरकार को भी पत्र भेजा जा रहा है।


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