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150 करोड़ की टैक्स चोरी!

इंदौर/भोपाल, [नप्र,ब्यूरो]। सहकारी समिति की आड़ में करोड़ों रुपये का हवाला कारोबार चलाने वाली सहकारी स

By Edited By: Published: Sat, 22 Nov 2014 04:04 AM (IST)Updated: Sat, 22 Nov 2014 04:04 AM (IST)
150 करोड़ की टैक्स चोरी!

इंदौर/भोपाल, [नप्र,ब्यूरो]। सहकारी समिति की आड़ में करोड़ों रुपये का हवाला कारोबार चलाने वाली सहकारी समिति गुरशरण साख सहकारिता और कान्हा को-ऑपरेटिव समिति पर आयकर इंटेलीजेंस एवं क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन विंग द्वारा बृहस्पतिवार को की गई सर्वे कार्रवाई शुक्रवार को पूरी हुई। 500 करोड़ रुपये से अधिक के इस हवाला कारोबार में आयकर विभाग ने 100 से अधिक व्यापारियों से पूछताछ की। विभाग के सूत्रों का कहना है कि व्यापारियों से 150 करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी का अंदेशा है। सूत्रों के अनुसार 50 हजार रुपये की राशि पर 50 हजार रुपये का कमीशन लेकर हवाला का यह कारोबार किया जा रहा था। जिन व्यापारियों से पूछताछ की गई उसमें अधिकांश कारोबारी रिवर साइड रोड के कपड़ा व्यापारी है, जो कैश लेकर डीडी बनाते थे। क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोयायटी के जरिए होने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा हवाला कारोबार बताया जा रहा है। विभाग द्वारा गुरशरण समिति अध्यक्ष दीपक थरानी और मैनेजर देवेंद्र गुप्ता सहित समिति के अन्य पदाधिकारियों से लंबी पूछताछ की गई। दोनों सोसायटी से भारी दस्तावेज जब्त किए हैं। फिलहाल इन दस्तावेजों की जांच की जा रही है। इसमें बड़ा खुलासा होने की संभावना है। अरबों रुपये के इस अवैध लेन-देन पर आयकर विभाग टैक्स एवं जुर्माने की कार्रवाई करेगा। मामले में सहकारिता और बैंकिंग नियमों के उल्लंघन के संदर्भ में अलग से कार्रवाई की जाएगी। आयकर इंटेलीजेंस विंग के अफसर इसके पहले उज्जैन और धार जिले की सहकारी साख समितियों पर भी कार्रवाई कर चुके हैं।

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नहीं है थर्ड पार्टी चेक जारी करने का अधिकार

गुरशरण और कान्हा को-ऑपरेटिव को थर्ड पार्टी चेक जारी करने का अधिकार ही नहीं था। अधिकारियों का कहना है कि सोसायटियों को यह अधिकारी भारतीय रिजर्व बैंक की अनुमति के बाद ही मिलता है, लेकिन दोनों सोयायटी के पास ऐसी कोई अनुमति नहीं है। वहीं सोसायटी को लॉकर के लिए भी आरबीआई की अनुमति लगती है। हाल ही में राजगढ़ [धार] में राजेंद्र सूरी को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी के यहां लॉकर भी मिले हैं।

2008 में हुआ पंजीयन

गुरशरण का पंजीयन 2008 में स्वायत्ता सहाकारिता अधिनियम के तहत किया गया था। साल 2013 में इस अधिनियम को समा कर दिया गया। इस अधिनियम के तहत पंजीकृत संस्थाओं को पूर्व [1960] के अधिनियम के तहत स्वत: पंजीकृत मान लिया था। इसी प्रकार कान्हा को-ऑपरिेटिव समिति का पंजीयन फरवरी 2014 में किया गया है। सहकारिता विभाग के अनुसार गुरशरण के अध्यक्ष देवेन्द्र गुप्ता और कान्हा के अध्यक्ष विनोद शर्मा है।

नहीं कराए चुनाव

को-ऑपरेटिव सोसायटी को प्रत्येक तिमाही में अपने बोर्ड के चुनाव कराने होते हैं, लेकिन दोनों सोसायटियों ने चुनाव प्रक्रिया नहीं कराई है। संयुक्त आयुक्त सहकारिता सलिल कटारे का कहना है कि सहकारिता विभाग द्वारा ऐसी पंजीकृत सहकारी सोसायटियों की सूची तैयार की जा रही है, जिन्होंने चुनाव नहीं कराए हैं।

व्यापारियों में दहशत

कार्रवाई के बाद कान्हा को-ऑपरेटिव समिति का श्रीकृष्ण कॉम्पलेक्स और गुरशरण साख सहकारिता के प्रकाश प्लाजा स्थित कार्यालय पर शुक्रवार को ताले लटके रहे। रिवर साइड रोड के 100 से अधिक व्यापारियों से हुई पूछताछ से अन्य व्यापारियों में भी दहशत का माहौल बना रहा। विभागीय सूत्रों का कहना है कि व्यापारियों ने इस प्रक्रिया में अपना कालाधन लगाया, जिसका कहीं कोई हिसाब नहीं दिया गया था। जिन व्यापारियों से पूछताछ हुई है, उनमें से अधिकांश ने विभाग के समक्ष स्वीकार कर लिया है कि इनके द्वारा जो पैसा लगाया गया है वह सब अघोषित था।


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