सरकारी नौकरी में किन्नरों को मिलेगा 3 फीसदी आरक्षण
हरीश दिवेकर, भोपाल। मध्य प्रदेश में किन्नरों को सामाज की मुख्य धारा में शामिल करने के लिए राज्य सरका
हरीश दिवेकर, भोपाल। मध्य प्रदेश में किन्नरों को सामाज की मुख्य धारा में शामिल करने के लिए राज्य सरकार सरकारी नौकरी में 3 फीसदी आरक्षण देगी। किन्नरों को पिछ़़डा वर्ग के समान शिक्षा में आरक्षण और छात्रवृत्ति भी दी जाएगी। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर मुख्य सचिव को भेज दिया है। वहीं सामाजिक कल्याण विभाग ने किन्नरों कल्याण से जु़़डे विषषयों को संबंधित विभागों को भेजकर इस पर त्वरित प्रस्ताव तैयार करने को कहा है।
सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछ़़डे किन्नरों की समस्याओं को दूर करने और उन्हें उद्योग और व्यवसाय के लिए कर्ज देने की योजना भी बनाई जाएगी। किन्नर कल्याण बोर्ड का भी गठन किया जाना प्रस्तावित है। विशेष सार्वजनिक शौचालय भी बनाए जाएंगे। इन प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की जा रही है। किन्नरों को समाज में तीसरे जेंडर के रूप में स्थापित करने के लिए राज्य सरकार केंद्र को पत्र लिखकर सभी सरकारी दस्तावेज और आवेदनों में श्री, श्रीमती के साथ 'कि' भी लिखने का प्रस्ताव भी भेज चुकी है। यह सारी कवायद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर की जा रही है। अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने किन्नरों को समाज में बराबरी का हक देने के लिए केंद्र को आदेश दिए हैं।
हॉरिजेंटल मिलेगा आरक्षण
किन्नरों को सरकारी नौकरी में मिलने वाला 3 प्रतिशत आरक्षण हॉरिजेंटल होगा। यानि कि यदि किन्नर जिस वर्ग अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछ़़डे वर्ग का होगा, उसे उसी वर्ग में आरक्षण दिया जाएगा। यदि वह सामान्य जाति का है तो उसे सामान्य वर्ग में आरक्षण दिया जाएगा। संविधान के अनुसार सरकारी नौकरी में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं दिया जा सकता है।
वर्तमान में अनुसूचित जाति को 16, अनुसूचित जनजाति को 20 और पिछड़े वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित होने से 50 फीसदी आरक्षण का कोटा पूरा हो चुका है। वर्ष 2003 में राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर पिछ़़डे वर्ग का आरक्षण 16 ब़़ढाकर 24 प्रतिशत किया था। 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण करने पर एक याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से इस पर स्टे लगवा दिया। पिछले 11 साल से सरकार इस मामले में लड़ रही है।
इन्हें भी मिल रहा हॉरिजेंटल आरक्षण
आरक्षण का 50 प्रतिशत कोटा पूरा होने के बाद राज्य सरकार महिलाओं को 30 प्रतिशत, निशक्तजन को 6 प्रतिशत और भूतपूर्व सैनिक तृतीय श्रेणी के लिए 10 और चतुर्थ श्रेणी के लिए 20 प्रतिशत हॉरिजेंटल आरक्षण दे रही है।
मप्र चौथे क्रम पर
देश में पहली बार वर्ष 2011 की जनगणना में किन्नरों की गणना हुई। देश भर में किन्नरों की कुल संख्या 4 लाख 88 हजार है। इसके हिसाब से किन्नरों की संख्या के मामले में मप्र चौथे स्थान पर है।
सबसे अधिक किन्नर उत्तर प्रदेश में 1 लाख 37 हजार, दूसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश 44 हजार, तीसरे पर महाराष्ट्र-बिहार 41 हजार और चौथे पर मप्र और पंजाब 30 हजार हैं।