पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में कांग्रेस
लोकसभा चुनाव के अगले दो चरणों में कांग्रेस पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में है। 24 और 30 अप्रैल को होने वाले मतदान में बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, पंजाब जैसे कांग्रेस के लिए उर्वर माने जा रहे राज्यों की दो सौ छह सीटों पर चुनाव होने हैं। चुनावी समर में पिछड़ी कांग्रेस के लि
नई दिल्ली, [सीतेश द्विवेदी]। लोकसभा चुनाव के अगले दो चरणों में कांग्रेस पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में है। 24 और 30 अप्रैल को होने वाले मतदान में बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, पंजाब जैसे कांग्रेस के लिए उर्वर माने जा रहे राज्यों की दो सौ छह सीटों पर चुनाव होने हैं। चुनावी समर में पिछड़ी कांग्रेस के लिए लड़ाई में आने का यह आखिरी मौका है, तो पार्टी के रणनीतिकारों के लिए यह आखिरी दांव खेलने जैसा है।
दीवार पर लिखी इबारत को ठीक से पढ़ चुकी कांग्रेस अब राजनीतिक गणित ठीक करने में लग गई है। कांग्रेस अब सवा सौ के पार पहुंचने की तैयारी में है। उसका मानना है कि यह आंकड़ा सरकार बनाने और मोदी को सत्ता से दूर रखने की चाबी बन सकता है। उसने इस लक्ष्य को पाने के लिए संगठन को मुस्तैद कर दिया है। इस कड़ी में पार्टी ने जिताऊ उम्मीदवारों की सीटों पर युवा कार्यकर्ताओं के नए दस्ते भी भेजने का फैसला किया है। साथ ही गत शुक्रवार हुई उच्च स्तरीय बैठक में जीत की संभावना के लिहाज से मजबूत उम्मीदवारों को आर्थिक रसद भी बढ़ाने को मंजूरी दे दी है।
सूत्रों के मुताबिक, मोदी का असर कम करने के लिए पार्टी चंद्रशेखर और देवेगौड़ा जैसा प्रयोग दोहराने से इन्कार नहीं कर रही है। पार्टी का मानना है कि 150 के आस पास सीटें आने के बाद मोदी को रोकने के लिए धर्मनिरपेक्ष दल उसके नेतृत्व में खड़े होने को तैयार हो जाएंगे, और संप्रग तीन की सरकार संभव होगी। हालांकि, तीसरे मोर्चे को समर्थन को लेकर पार्टी में एक राय नहीं है।
पार्टी को केरल से 12, कर्नाटक से 15, महाराष्ट्र में 22 से 25 सीटों की उम्मीद है। संप्रग दो में बढ़त वाले राज्यों में पार्टी खस्ता हाल है। आंध्र प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सौ के करीब सीटें जीत चुकी पार्टी के लिए यह राज्य रेगिस्तान में तब्दील हो गए हैं। तेलंगाना में पार्टी जरूर एक नखलिस्तान तलाश कर रही है लेकिन टीआरएस से झटका खाई कांग्रेस को अपेक्षित सफलता मिलनी मुश्किल है। पार्टी को कर्नाटक, पंजाब, बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से भी काफी उम्मीदें हैं। उसे लगता है कि पंजाब, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता विरोधी रुझान उसके काम आ सकता है। बिहार में लालू का साथ और मोदी की लहर में मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण पार्टी के पक्ष में काम आ सकता है जबकि कर्नाटक में राज्य सरकार के काम पार्टी का काम बना सकते हैं।