Move to Jagran APP

गाजीपुर में जातिगत समीकरण की होड़, राजपूत पर जोर

लोकसभा चुनाव में एक बार फिर जातीय समीकरण ही हावी होता दिख रहा है। सभी दल व प्रत्याशी विभिन्न जातियों के आंकड़े के आधार पर अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं। सपा कुशवाहा, यादव व मुस्लिम वोट बैंक के बूते गाजीपुर संसदीय सीट पर हैट्रिक लगाने की जी तोड़ कोशिश में है तो भाजपा को वैश्य, ब्राह्मण, भूमिहार, कायस्थ, नाई, क

By Edited By: Published: Fri, 25 Apr 2014 09:40 AM (IST)Updated: Fri, 25 Apr 2014 11:13 AM (IST)
गाजीपुर में जातिगत समीकरण की होड़, राजपूत पर जोर
गाजीपुर में जातिगत समीकरण की होड़, राजपूत पर जोर

गाजीपुर। लोकसभा चुनाव में एक बार फिर जातीय समीकरण ही हावी होता दिख रहा है। सभी दल व प्रत्याशी विभिन्न जातियों के आंकड़े के आधार पर अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं। सपा कुशवाहा, यादव व मुस्लिम वोट बैंक के बूते गाजीपुर संसदीय सीट पर हैट्रिक लगाने की जी तोड़ कोशिश में है तो भाजपा को वैश्य, ब्राह्मण, भूमिहार, कायस्थ, नाई, कहार, चौहान आदि जातियों पर भरोसा है। बसपा अपने परंपरागत दलित मतदाताओं के साथ यादवों में भी सेंधमारी के लिए हर जतन कर रही है। कांग्रेस की निगाहें मुस्लिमों के साथ समाज के अन्य वगरें पर टिकी हैं। हालांकि राजनीति के धुरंधर इस बार राजपूत मतदाताओं की भूमिका को निर्णायक मान रहे हैं।

loksabha election banner

कारण कि किसी बड़े दल ने इस जाति का उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा है। ऐसे में चारों ही प्रमुख दलों की कोशिश है कि राजपूत मतदाताओं का अधिक से अधिक झुकाव अपनी ओर कर लिया जाए। पिछले चुनाव में सपा के टिकट पर जीते राधेमोहन सिंह का अबकी बार पत्ता गोल कर दिया गया है। पार्टी के इस फैसले को लेकर लंबे समय तक विरोध के स्वर भी गूंजे। बावजूद इसके सपा नेतृत्व ने अपना निर्णय नहीं बदला और शिवकन्या कुशवाहा को ही मैदान में बनाए रखा है। शिवकन्या को टिकट देने के पीछे लगभग डेढ़ लाख कुशवाहा मतदाताओं का एकमुश्त पार्टी से जुड़ना तर्क है।

सपा के नेता आश्वस्त हैं कि कुशवाहा के साथ यादव व मुस्लिम मतदाता बने रह गए तो तीसरी जीत में कोई शक-सुबहा नहीं है। हालांकि ब्राह्मण मतदाताओं की जिम्मेदारी अतिरिक्त ऊर्जा राज्य मंत्री विजय मिश्र के कंधे पर डाल दी गई है। इसे मजबूत आधार देने के लिए ही उनको इस सीट का चुनाव प्रभारी भी बनाया गया है। रही बात राजपूत मतदाताओं की तो उसके लिए पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह के जनाधार को सहारा माना जा रहा है। उधर सपा से गाजीपुर सीट छीनने के लिए बसपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।

बसपा की हर कोशिश है कि लगभग चार लाख यादव मतदाताओं में पचास फीसद में तो गहरी पैठ बना ही ली जाए। इसके लिए पार्टी प्रत्याशी कैलाश नाथ सिंह यादव अरसे से लगे हैं। इधर, भाजपा ने दो बार सांसद रह चुके मनोज सिन्हा को फिर मैदान मारने के लिए टिकट दिया है। मनोज ने सजातीय मतदाताओं के साथ अन्य सवर्ण मतों को लेकर अपनी लड़ाई की शुरुआत की हैं। हालांकि उनको राजपूत मतदाताओं का अपेक्षाकृत समर्थन मिलता नहीं दिख रहा है। इसकी वजह है शुरू से ही टिकट के लिए उम्मीद लगाए अरुण सिंह को पार्टी का इन्कार मिलना। ऐसे में भाजपा राजपूत मतदाताओं को यह बताने में कोई कंजूसी नहीं कर रही कि अरुण को पार्टी ने जिला सहकारी बैंक का चेयरमैन बनाने के साथ विधानसभा का तीन बार टिकट दिया है।

कांग्रेस प्रत्याशी मुश्ताक खां मुस्लिम मतदाताओं के अलावा पार्टी के परंपरागत मतदाताओं में पकड़ बनाने की हर कवायद कर रहे हैं। इन बड़ी पार्टियों के अलावा छोटे दलों के गठबंधन एकता मंच से डीपी यादव जोर आजमाइश के लिए मैदान में उतरे हैं।

वह मंच के घटक राष्ट्रीय परिवर्तन दल के मुखिया भी हैं। उनका निशाना भी यादव, मुस्लिम, राजभर, चौहान समेत अन्य जातियों पर ही है। साथ ही वह जनपद में विकास का नया रास्ता खोलने का भी लोगों को भरोसा दे रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेताओं में गिने जाने वाले डीपी ने संभल लोकसभा सीट पर भी दांव लगाया है। उनके लिए पूर्वाचल के अति पिछड़े जिले में शुमार गाजीपुर नया भी है। इन सबके बीच प्रगतिशील मानव समाज पार्टी से अरुण सिंह मैदान में हैं। वह टिकट नहीं मिलने पर भाजपा को बाय-बाय कर राजनीति में नया रास्ते पर निकले हैं। अरुण सजातीय मतों के अलावा बिंदों के सहारे चुनावी नैया पार लगाने में जुटे हैं।

प्रगतिशील मानव समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेमचंद बिंद ने अरुण की उम्मीदवारी को खारिज करते हुए दीनदयाल भारद्वाज को सिंबल थमा दिया है। अरुण को पार्टी के प्रदेश महामंत्री दुर्गविजय का समर्थन हासिल है।

पढ़ें: डीपी यादव के गाजीपुर से चुनाव लड़ने पर संशय

पढ़ें: लोकतंत्र की त्रासदी, जेल से चुनावी खेल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.