राहों में बहार, हर दिल खुशगवार
वसंत ने भले रुखसत ले ली। लेकिन राजधानी हरियाली के आगोश में है। चारों ओर बहार है। तपन के बीच भी हर शाखा, हर पत्ता, हर बूटे पर फूटती कोपलें लोगों को राहत दे रही हैं।
लुटियन दिल्ली का जाकिर हुसैन मार्ग। यह पिलखन के पेड़ों का एवेन्यू है और इन दिनों यहां से गुजरना किसी उत्सव में घूमने जैसा प्रतीत होता है। सड़क के दोनों तरफ लगे पेड़ों पर लाल, गुलाबी, भूरे, हल्के हरे रंग के पत्तों से सजी डालियां गुजरती हुए वाहनों की रफ्तार से झूमती नजर आती हैं। हर गुजरते दिन में इन पेड़ों की रंगत अलग ही निखरती है। इसलिए इन राहों से गुजरने का अनुभव काफी खास है। नीति मार्ग, न्याय मार्ग और बू हलीमा स्मारक के पास से गुजरेंगे तो पिलखन की खूबसूरती के अद्भुत नजारों से दीदार होगा। अब तो पिलखन के पेड़ कई एवेन्यू में भी लगा दिए गए हैैं इसलिए नीम, शीशम के बीच इनकी खूबसूरती दूर से ही दिखाई दे जाती है। इसके अलावा अशोका रोड और पृथ्वी राज रोड पर नीम के पेड़ों की भी अलग छटा है। शोख नई पत्तियों के झुरमुट के बीच छोटे-छोटे सफेद फूल भी देखे जा सकते हैं। उगते सूरज की किरणों के बीच पित्तयों की चमक और सूर्ख नजर आती है। बाबा खड़क सिंह मार्ग व मंदिर मार्ग पर लगे पीपल के शाखाएं भी नए कलेवर के संग झूमती दिखाई पड़ रही हैं। प्रदीप कृष्ण की किताब 'ट्रीज ऑफ दिल्लीÓ के मुताबिक लुटियन दिल्ली के बागवानी अधिकारी डब्ल्यू आर मुस्टो ने नई दिल्ली में 16 किस्म के पेड़ अलग अलग एवेन्यू में लगाए। इन एवेन्यू में से आठ ऐसे मार्ग हैैं जहां अब भी सिर्फ जामुन, नीम, अर्जुन, इमली, बालमखीरा, बहेड़ा, पीपल, पिलखन के पेड़ लगे हुए हैैं। बाकी स्थानों पर पुराने पेड़ों के स्थान पर कुछ दूसरे पेड़ भी लगा दिए गए हैैं। इस बीच साउथ एंड रोड पर महुआ के पेड़ भी हैैं। इस राह पर गुजरते हुए इसकी गंध आपके कदमों को रोक लेगी। दिल्ली गोल्फ कल्ब में बरना के पेड़ों पर आते नए पत्तों के बीच आसमान की खामोशी और आकर्षित करती है।
कोसम के पेड़ों की लालिमा, यह पेड़ अब खासतौर पर लगाया जा रहा है। इसकी रंगत अप्रैल के महीने में खूब खिलकर नजर आती है। इन दिनों इस पेड़ को शांति वन, चाणक्यपुरी, रिंग रोड, सत्या मार्ग, तालकटोरा गार्डन में देखा जा सकता है।
-अमलतास के पेड़ों पर वसंत :
अप्रैल के महीने में जहां कुछ पेड़ ही नए स्वरूप में नजर आते हैैं तो कुछ पेड़ फूलों से लद जाते हैैं। इनमें से एक अमलतास के पेड़ हैं जिनकी छटा अब देखते ही बनती है। खासकर अमृता शेरगिल मार्ग, शांति पथ, अकबर रोड व शक्ति स्थल के साथ जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय कैंपस में भी इन पेड़ों की खूबसूरती देखते ही बनती है।
इन राहों में बादशाहत बरकरार :
पुत्रजीव पेड़ : लोक कल्याण मार्ग
महुआ : पृथ्वी राज रोड
रिवर रेड गम : टॉल्सटॉय मार्ग
खिरनी : मौलाना आजाद और मान सिंह रोड
बुद्धा नारियल : विशंभर दास रोड
अंजान : पंडारा रोड
बरगद : राजा जी मार्ग
-ताकि कोमल पत्ते बचे रहें :
लुटियन जोन की खूबसूरती बहार में ज्यादा निखर कर आती है। नए फूटते कोपलों के रंगों को देख हर किसी का मन खिल उठता है। पीपल, पिलखन, गूलर, आम जैसे पेड़ों पर फूटती कोपलें लाल रंग की होती हैैं। इसके पीछे भी कारण है। इन पेड़ों पर कैटरपिलर होते हैैं जिन्हें लाल रंग दिखाई नहीं देता। इन पत्तों में टेनीन नाम का रसायन होता है जिसे न ही कीड़े पसंद करते हैैं और न ही गाय भैैंस ही इन्हें खाती हैैं। कारण बेहद संजीदा है लेकिन इसके कारण ही सही प्रकृति के इस उत्सव से लोग भी अभिभूत होते दिखाई देते हैं। यह उनके लिए विजुअल ट्रीट के समान है। लोगों की धारणा होती है कि वसंत में ही फूल खिलते हैैं लेकिन असल में अप्रैल के महीने में कई पेड़ों पर फूल खिलते हैैं। कई पेड़ तो ऐसे हैैं जिन पर फूल ज्यादा और पत्तियां कम नजर आती हैैं। इसमौसम में सीरज, चमरोधा, खेजड़ी, कदम, बर्ना गुलमोहर, अमलतास पर फूल खिलते हैैं। नेहरू पार्क, बुद्धा गार्डन, लोदी गार्डन अमलतास के नाम रहता है। लुटियन दिल्ली बसने के समय करीब 19 किस्मों के पेड़ लगाने की योजना तैयार की गई थी। इसका जिक्र एंड्रेस वोल्वाशेन की किताब 'इंपीरियल दिल्ली' में भी है। किताब के अनुसार नीम, इमली, जामुन, सेमल, अमलतास, महुआ, गुलाइची, मोरपंखी, बड़, शहतूत, ढाक, गुलमोहर, ढोलढाक, सप्तपरनी, कदम, पीपल, अमरूद, अशोका, मौलसरी(बकुल) लगाने की योजना थी। लेकिन बाद में इनमें से अमरूद, गुलाइची, ढोलढाक, मौलसरी के पेड़ों को इस सूची से हटा दिया गया।
विजय धसमाना, पर्यावरण विशेषज्ञ
-अजीबोगरीब है शहर का मौसम :
दुनियाभर में पतझड़ का मौसम जाड़े से पहले आता है लेकिन दिल्ली समेत उत्तर भारत में जाड़े के बाद पतझड़ का मौसम आता है। इसलिए मैैं हमेशा कहता हूं कि दिल्ली का मौसम बेहद अजीबोगरीब है। लेकिन संतोष की बात यह है कि इसमें भी प्रकृति की अलग खूबसूरती है। वसंत गुजर जाने के बाद दिल्ली के ज्यादातर पेड़ों में नए पत्ते आते हैैं। सबसे ज्यादा खास पीपल, पिलखन, आम, सेमल, बालम खीरा, अमलतास के पेड़ नजर आते हैैं। कुछ पेड़ों पर पत्तों की रंगत ही इतनी खूबसूरत होती है कि उसमें फूलों वाली दिलकशी होती है। हर पेड़ पर इस तरह की खूबसूरती कोपल फूटने के तीन चार दिनों तक ही देखी जा सकती है। जाकिर हुसैन मार्ग से गुजरना इन दिनों किसी रोमांच से कम नहीं होता क्योंकि एक ही रास्ते में पिलखन के पेड़ों पर चार-पांच तरह के पत्ते दिखाई देते हैं। फिर इसी तरह आइआइटी रोड, अशोका होटल के पास विनय मार्ग, नेहरू मार्ग पर भी पिलखन अपने पूरी रंगत में नजर आती हैैं। अफ्रीकन पेड़ बालम खीरा की भी रंगत अलग ही है। तीन मूर्ति, इंडिया हैबिटेट सेंटर के पास इस तरह के पेड़ देखे जा सकते हैैं। ज्यादातर शाही पैलेस में रॉयल पाम के पेड़ों की भी खूबसूरती दिखाई देती है।
सोहेल हाशमी, दिल्ली के जानकार व इतिहासकार
-प्रस्तुति : विजयालक्ष्मी, नई दिल्ली