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इस गांव में टूरिस्‍टों का जाना मना है, आप घूमने जाएंगे?

हि‍माचल प्रदेश का मलाना गांव अपनी अनोखी देव परंपरा और सुंदरता के ल‍िए काफी प्रस‍िद्ध है, लेक‍िन अब यहां पर टूर‍िस्‍ट के ल‍िए बैन लग गया। तो क्‍या आप जाएंगे ?

By shweta.mishraEdited By: Published: Tue, 18 Jul 2017 12:58 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jul 2017 01:01 PM (IST)
इस गांव में टूरिस्‍टों का जाना मना है, आप घूमने जाएंगे?
इस गांव में टूरिस्‍टों का जाना मना है, आप घूमने जाएंगे?

पयर्टन में व‍िशेष स्‍थान

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जी हां हिमाचल प्रदेश का मलाना गांव भी देश के पयर्टन में व‍िशेष स्‍थान पर है। यहां की खास‍ियत यह है क‍ि इस गांव का अपना एक अलग कानून चलता है। यहां की पंचायत के अपने कानून हैं। ऐसे में इस गांव की अनोखे र‍िवाजों, कानूनों और सुंदरता को देखने के लि‍ए बड़ी संख्‍या में व‍िदेशी पयर्टक आते रहते हैं। यहां पर करीब 2500 की आबादी है। ज‍िसमें बड़ी संख्‍या में लोगों का यहां के पयर्टन से जीवन यापन होता है। 

गेस्‍ट हाउस हुए बंद

ऐसे में यहां जाने वाले पयर्टकों के ल‍िए बड़ी खबर है। यहां अब देशी व व‍िदेशी टूर‍िस्‍टों पर बैन लगा द‍िया गया है। कहा जा रहा है पयर्टकों पर बैन लगाने के पीछे यहां के कुल देवता जमालू का आदेश है। मलाना गांव के कुल देवता ने आदेश द‍िया है क‍ि अब गांव का कोई भी नागर‍िक अपने यहां पर क‍िसी देशी-विदेशी पयर्टक को नहीं रुकने देगा। इसके अलावा अलावा यहां पर बने सारे गेस्‍ट हाउस और होटल भी बंद क‍र द‍िए जाएं। 

लोगों ने व‍िरोध क‍िया 

यह कदम यहां की प्राकृति‍क सुंदरता, पुरातन देव परंपरा और लोक संस्कृति को बचाने के ल‍िए उठाया जा रहा है। यहां पर बड़ी संख्‍या में देशी-विदेशी पयर्टक आते हैं और लंबे समय तक रुकते हैं। वे यहां की अनोखी देव परंपरा और खूबसूरती का आनंद लेते हैं। ऐसे में सबसे खास बात तो इस फरमान पर यहां की जनता ने भी सहमत‍ि जता दी है। हालांक‍ि कुछ लोगों ने इसका व‍िरोध क‍िया है। 

तस्‍वीरों पर प्रत‍िबंध

इससे बड़ी संख्‍या में लोगों के सामने जीव‍िकोपार्जन की समस्‍या आ जाएगी। हालांक‍ि इस मामले को लेकर यहां की अपनी पंचायत में सुनवाई की जा रही है। ऐसे में अगर आपने मलाना जाने का प्‍लान क‍िया है तो एक बार यहां के इस नए फरमान के बारे में पूरी जानकारी हास‍िल कर लें। वहीं बतादें क‍ि इससे पहले अभी इस वर्ष की शुरुआत में, ग्रामीणों ने पर्यटकों को यहां की तस्वीरें क्लिक करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। 

कैनबिस से राल 

वहीं इस गांव में कभी परंपरागत रूप से टोकरी-बुनकर, चप्पल और रस्सी के निर्माता होते थे। वहीं 1980 में विदेशियों ने यहां के न‍िवास‍ियों को कैनबिस से मादक राल निकालने की कला को सिखाया था। धीरे-धीरे इस व्‍यवसाय ने एक बड़ा रूप धारण कर ल‍ि‍या। इसके बाद से कैनबिस कई मलानियों के लिए आय का प्रमुख स्रोत रहा है। 


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