जवां दिल्ली के ‘बुजुर्ग’ पेड़ों की ये दास्तां आपको कर देगी रोमांचक
नई दिल्ली के चीफ डिजाइनर एडिवन लुटियन ने अपने बागवानी मामलों के मुख्य सलाहकार डब्ल्यू आर मुस्टो को जिम्मेदारी सौंपी थी कि वे तय करें कि नई दिल्ली के मुख्य मार्गों में कौन-कौन से प्रजाति के पेड़ लगेंगे।
अब राजधानी सूरज देवता की चपेट में होगी। गर्मी से हाल- बेहाल होगा। लेकिन, लुटियन दिल्ली में लगे सैकड़ों घने दरख्त शीतल बयार देकर राहत देते रहेंगे। लुटियन दिल्ली की मुख्य सड़कों पर 16 प्रजातियों के पेड़ हैं। इधर कौन सी प्रजाति के पेड़ लगे, इसका फैसला लिया था डब्ल्यू आर मुस्टो ने। वे नई दिल्ली के निर्माण के वक्त यहां के बागवानी विभाग के चीफ थे। उन्होंने इधर की जलवायु के अनुकूल पेड़- पौधे लगवाए। नई दिल्ली के मुख्य वास्तुकार एडवर्ड लुटियन उनकी सलाह को खारिज नहीं करते थे।
दरअसल नई दिल्ली के चीफ डिजाइनर एडिवन लुटियन ने अपने बागवानी मामलों के मुख्य सलाहकार डब्ल्यू आर मुस्टो को जिम्मेदारी सौंपी थी कि वे तय करें कि नई दिल्ली के मुख्य मार्गों में कौन-कौन से प्रजाति के पेड़ लगेंगे। इसके बाद दोनों ने यहां की मिट्टी का परीक्षण किया। ये भी दोनों ने तय किया कि इधर पतझड़ पेड़ों को लगाने से बचा जाए। ये सिलसिला अब भी कायम है। 1920 के बाद पेड़ लगने शुरू हुए। यानी अब ये सब लगभग 100 बरस के होने जा रहे हैं। इन पेड़ों का ही कमाल है कि ये जिधर मौजूद हैं, वहां हरियाली के चलते पारा चार डिग्री कम ही रहता है । अकबर रोड के पीछे कुछ अमलतास के पेड़ हैं।
पृथ्वीराज रोड, औरंगजेब रोड, तीस जनवरी मार्ग, कृष्ण मेनन मार्ग पर नीम के खूब पेड़ हैं। तो लुटियन दिल्ली की अकबर रोड, तीन मूर्ति मार्ग, बाबा खड़क सिंह मार्ग, तिलक मार्ग, फिरोज शाह रोड इमली के पेड़ों से लबरेज है। इधर आम, बरगद और शीशम के पेड़ नहीं लगाए गए। ये पेड़ मुगलिया दौर में खूब लगते थे। नीम, जामुन और पीपल के पेड़ खूब लगे। विशंभर दास रोड पर नारियल के पेड़ लगे। ये लंबे, ऊंचे, सीधे पेड़ हैं। लेकिन ये छाया मजे की नहीं देते। इसलिए कह सकते हैं कि इस मोर्चे पर मुस्टो असफल रहे। और सफदरजंग रोड, सुनहरी बाग, राजाजी मार्ग, कुशक रोड, त्यागराज मार्ग, मोतीलाल नेहरु मार्ग में जामुन हैं।
लेकिन दिल्ली में पर्याप्त मात्रा में जल न मिलने के कारण ये किसी वृद्ध की तरह कमजोर हो रहे हैं। हर साल आंधी में कई पेड़ धराशायी हो रहे हैं। फिरोजशाह रोड और राजेश पायलट मार्ग (पहले साउथ एंड रोड) में हाल के दौर में आधा दर्जन पेड़ गिरे थे। ये नई दिल्ली के अटूट हिस्सा हैं। इनके बिना नई दिल्ली अधूरी है। इन्हें लाड-प्यार की जरूरत है। एक बात और मुगल गार्डन को भी मुस्टो ने ही तैयार किया था। मुगल गार्डन ब्रिटिश और मुगल के काल के उद्यानों का संगम है। इसमें भांति-भांति के रंग-बिरंगे फूलों की छटा देखने को मिलती है।
-विवेक शुक्ला, लेखक व इतिहासकार