गजब है इस शाही मस्जिद की जालीदार नक्काशी, एक बार जाकर तो देखें
अगर आप ऐतिहासिक स्थलों पर घूमनें के शौकीन है तो गुजरात जा सकते हैं। यहां अहमदाबाद में स्थित शाही मस्जिद सिदी सैय्यद बेहतरीन जगह होगी। घूमने से पहले जानें उसके बारे में...
पुरानी लेकिन शानदार:
भारत में एक से बढ़कर एक मशहूर मस्जिदें हैं। जिनमें एक नाम शाही मस्जिद सिदी सैय्यद का नाम भी शामिल है। यह मस्जिद है तो बहुत पुरानी लेकिन इसकी खूबसूरती की जितनी तारीफ की जाए कम है। इस मस्जिद का निर्माण 1573 में सुल्तान शम्स-उद-दीन मुजफ्फर शाह तृतीय के शासनकाल में हुआ था।
गजब है मस्जिद की बनावट:
इसका निर्माण उनके अधीन काम करने वाले एबिसिनियन सिदी सैय्यद ने बनवाया था। सिदी सैय्यद यमन से आए थे और सुल्तान की सेना के सेनापति थे। सिदी सैय्यद काफी नरम दिल के थे। वह गरीबों की मदद करने वाले दरियादिल व्यक्ति के रूप में जाने गए। वह सुल्तान के साथ ही बड़ी संख्या में लोगों के चहते थे। इस मस्जिद की बनावट अद्भुत है।
बेहद अनोखी है नक्काशी:
यह शाही मस्जिद जालीदार पत्थर से बनी है। यह अपनी जुड़वां खिड़कियों के लिए मशहूर हैं। यहां आने वाले लोग एक बार खजूर के पत्तों और घुमावदार पेड़ों की अनोखी शैली को देखते ही रह जाते हैं। मस्जिद की नक्काशी में पेड़ों की शाखाओं को बेहद बारीकी से उकेरा गया है। इसके अलावा यहां पर आठ खिड़कियों में भी खूबसूरत व अनोखी नक्काशी दिखती है।
इंडो-इस्लामिक शैली में:
सिदी सैय्यद मस्जिद वास्तुकला के हिसाब से देखी जाए तो इंडो-इस्लामिक शैली में बनी है। इसे पीले बलुआ पत्थर के साथ बनाया गया है। मस्जिद के बड़ी बड़ी मीनारे बनी थीं। हालांकि ये वक्त के साथ गिर गई हैं। आज उनके केवल आधार मौजूद हैं। इसके विपरीत में एक छोटा तालाब है। इस जालीवाली नक्काशी को 45 कारीगरों ने मिलकर बनाया था।
यहां से करें फोटोग्राफी:
यहां की जाली वाली नक्काशी में फोटोग्राफी अच्छे से होती है। वहीं जो लोग ज्यादा क्लिय पिक्चर शॉट चाहते हैं। वे मस्जिद से बाहर निकलकर पीछे की तरफ जाएं और वहां से तस्वीरें लें। दूसरी मस्जिदों की तरह यहां पर भी शुक्रवार की नमाज महत्वपूर्ण होती है। जिससे इस दिन पयर्टकों की एंट्री का समय निश्चित होता है। बाकी दिनों काफी भीड़ होती है।