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वन्य जीवों को निहारना है तो करें सैर कर्नाटक की

कर्नाटक टूरिज्म ने वर्ष 2017 को ‘इयर ऑफ द वाइल्ड’ घोषित किया है। इसके तहत न सिर्फ यहां के वाइल्डलाइफ को एक्सप्लोर कर पाएंगे, बल्कि जीवन के वाइल्डसाइड का अनुभव भी कर पाएंगे।

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Sun, 26 Mar 2017 12:16 PM (IST)Updated: Mon, 27 Mar 2017 12:16 PM (IST)
वन्य जीवों को निहारना है तो करें सैर कर्नाटक की
वन्य जीवों को निहारना है तो करें सैर कर्नाटक की

आज के युवा ट्रैवलर पहले से कहीं ज्यादा समझदार हो गए हैं। वे न सिर्फ नए अनुभव हासिल करना चाहते हैं, बल्कि साइटसीइंग के अलावा स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान करने को भी वरीयता देते हैं। कर्नाटक सरकार अपनी टैग लाइन ‘एक राज्य, कई संसार’ को चरितार्थ करते हुए पर्यटकों के लिए विभिन्न तरह के पर्यटन विकल्पों को मुहैया करा रहा है। इसी को देखते हुए कर्नाटक टूरिज्म ने वर्ष 2017 को ‘इयर ऑफ द वाइल्ड’ घोषित किया है। इसके तहत पर्यटक न सिर्फ यहां के वाइल्डलाइफ को एक्सप्लोर कर पाएंगे, बल्कि जीवन के वाइल्डसाइड का अनुभव भी कर पाएंगे।

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‘ईयर ऑफ द वाइल्ड’ अभियान की शुरुआत करते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि हम अपनी अनमोल प्राकृतिक विरासत के संरक्षण के लिए कृत संकल्पित हैं। यह इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उठाए जाने वाले कई कदमों से एक है। आईटी बीटी एवं पर्यटन राज्य मंत्री प्रियंक खड़गे ने बताया कि हम प्रकृति एवं पर्यावरण को बचाने के लिए काम करेंगे। अगर हम ऐसा नहीं करेंगे, तो अपनी आनी वाली पीढ़ियों के लिए कुछ छोड़ नहीं पाएंगे। पर्यटन सचिव नवीन राज सिंह ने कहा कि हमारा यह अभियान केवल वन्य जीवों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि एडवेंचर प्रेमियों के लिए कर्नाटक सरकार हर तरह की सुविधा मुहैया करा रही है। इसी के तहत हमने हैम्पी में मोटर साइकिल पर्यटन की शुरुआत की है और मैसूर में एयरो स्‍पोर्ट्स स्काई डाइविंग जैसी साहसिक खेलों की पहल की है। ये सभी गतिविधियां कर्नाटक के वन्य जीवन को समझने में आपकी सहायता करेंगी। एडवेंचर प्रेमियों के लिए विंध्यास के दक्षिणमें सबसे बड़े जंगल ट्रैक्स हैं। इसके अलावा, पश्चिमी घाटी के सदाबहार वन विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों एवं जीवों का प्राकृतिक निवास स्थान है।

कई मामलों में कर्नाटक हरित आंदोलन का पथ प्रदर्शक रहा है। वर्ष 1980 में नेपाल के टाइगर टॉप्स के साथ मिलकर कर्नाटक सरकार ने जंगल लॉज एवं रिसॉर्ट के माध्यम से काविनी रिवर लॉज की स्थापना की, जो वर्ष 1987 तक 100 प्रतिशत सरकारी स्वामित्व वाली इकाई बन चुका है। आज जेएलआर भारत के सबसे बड़े जंगल और ईको-लॉज का नेटवर्क बन चुका है। पूरे कर्नाटक में इसके 17 जंगल रिसॉर्ट एवं 5 जंगल कैंप्स हैं। आज जेएलआर हरित प्रयोगों की एक प्रयोगशाला की तरह है ।

कर्नाटक के समुद्री तट, पश्चिमी घाट की ऊंची पहाड़ियां, नदियां, झरने आदि इसे एडवेंचर स्पोट्र्स और आउटडोर एक्टिविटीज के लिए शानदार जगह बनाती है। वर्ष 2017 के मध्य में मंगलौर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का सर्फिंग फेस्टिवल मनाया जाएगा, जिसमें कर्नाटक के बीचेज और वाटर स्पोट्र्स को प्रमोट किया जाएगा। इसके अलावा, फॉरेस्ट और टूरिज्म डिपार्टमेंट ने पश्चिमी घाट में 9 ट्रैकिंग रूट की पहचान की है, जिसे जल्द ही पर्यटकों और ट्रैकर्स के लिए खोले जाने की उम्मीद है। साथ ही, प्रशिक्षित प्रकृति गाइड पर्यटकों को प्रकृति संरक्षण के विषय में शिक्षित करेंगे। इन सभी गतिविधियों से कर्नाटक में पर्यटन को न केवल बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आज की पीढ़ी अनमोल प्राकृतिक विरासत से परिचित होंगे।


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