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गर्मी की छुट्टी में मस्ती के ठिकाने

गर्मी की छुट्टियों का लुत्फ उठाना हो, तो सबके पहले दिमाग में यही सवाल होता है कि इस बार की छुट्टियों में कहां जाया जाए। अगर आप शिमला, कुल्लू, मनाली, नैनीताल, मसूरी, दार्जिलिंग जैसे रूटीन टूरिस्ट डेस्टिनेशन की बजाय कहीं और जाना चाहते हैं, तो आपकी इस परेशानी को दूर करने के लिए हम यहां कुछ ऐसे ऑफबीट डेस्टिनेशन के बारे में जानकारी दे रहे हैं। यहां छुट्टियां बिता कर आप अपने आप को नई ऊर्जा से भर सकते हैं।

By molly.sethEdited By: Published: Wed, 03 May 2017 03:27 PM (IST)Updated: Wed, 03 May 2017 03:27 PM (IST)
गर्मी की छुट्टी में मस्ती के ठिकाने
गर्मी की छुट्टी में मस्ती के ठिकाने

प्रकृति की गोद में कुछ दिन

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शहरी भागदौड़ से भरी जिंदगी में अगर बोरियत आ घेरे तो उसे दूर करने का सबसे सरल उपाय है कि कुछ दिन प्रकृति की गोद में गुजारे जाएं। जहां न तो ऑफिस कि किसी ईमेल की चिंता हो और न ही फेसबुक पर अपडेट करने की बेचैनी। कहते हैं कई सारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से घिरे रहने के कारण हमारे अंदर की जो बायोलॉजिकल क्लॉक है, वह गड़बड़ा जाती है। उसे वापस ठीक से चलाने के लिए दो दिन का प्रकृति का सानिध्य काफी होता है। तो फिर चलिए कुछ दिन गुजारें प्रकृति की गोद में  

हिमालय की गोद में 

हिमालय में ऐसी कितनी ही खूबसूरत घाटियां हैं, जहां पाइन के जंगल के बीच में आप तारों भरे आकाश तले कैंपिंग का मजा ले सकते हैं, जैसे-सोलन में गिरी कैंप। गिरी कैंप हिमाचल के सोलन में है। दिल्ली से चंडीगढ़ और चंडीगढ़ से हिमालयन एक्सप्रेस-वे से होते हुए सोलन पहुंचा जा सकता है। सोलन के बाद से ही इस यात्रा का असल रोमांच शुरू होता है। सोलन से राजगढ़ रोड पर 20 किमी. चलने के बाद लगभग 12 किमी. का कच्चा पहाड़ी रास्ता शुरू होता है, जो आगे जाकर गिरी नदी की तलहटी से जा मिलता है। यहां आकर कच्ची रोड भी समाप्त हो जाती है और असल ट्रैकिंग शुरू होती है। नदी के सहारे लगभग दो-तीन किमी. तक चलते हैं और फिर एक ऐसी जगह पहुंचते हैं, जहां पर कच्ची सड़क भी समाप्त हो जाती है। यहां से आगे नदी पार करके गिरी कैंप पहुंचना होता है। हरी घास के मैदान पर लाल रंग के सजीले छोटे-छोटे कैंप किसी जंगली फूल की तरह सुंदर दिख रहे थे। नदी के किनारे थोड़ी ऊंचाई पर बना गिरी कैंप और उसके चारों ओर देवदार के पेड़ों से ढके पहाड़ों की ऊंची-ऊंची चोटियां। आप यहां दो दिन खुले आकाश तले कैंप में गुजार सकते हैं। साथ ही, कैंप को छूकर गुजरती नदी में वाटर स्पोट्र्स का लुत्फ भी ले सकते हैं। यह नदी इतनी शांत है कि बच्चे भी स्विमिंग का आनंद उठा सकते हैं।

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ग्रीन मेडोज का लुत्फ 

पहलगाम कश्मीर का एक जाना-माना टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। जो भी कश्मीर जाता है, वह श्रीनगर के बाद पहलगाम जरूर जाता है। इसलिए भी यह जगह सैलानियों को आकर्षित करती है। पहलगाम से ऊपर एक जगह है आरु वैली। यहां तक पहुंचने में एक घंटे से भी कम समय लगता है। यह एक खूबसूरत वैली है। ऊंचे देवदार के पेड़ों से घिरी यह वैली हरे-भरे घास के मैदानों के कारण और ज्यादा खूबसूरत लगती है। 

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पैराग्लाइडिंग 

अगर आप एडवेंचर के शौकीन हैं, तो पालमपुर, हिमाचल के पास बीर बिलिंग हो आइए और लुत्फ उठाइए पैराग्लाइडिंग का। यह जगह पैराग्लाइडिंग के लिए विख्यात है। यहां पैराग्लाइडिंग के अलावा, चाय के बागान भी हैं और बहुत खूबसूरत मोनेस्ट्री भी हैं। पालमपुर के नजदीक ही कालका टॉय ट्रेन भी है। जो यूनेस्को द्वारा घोषित वल्र्ड हेरिटेज साइट में शामिल है। तो हुआ न बच्चों के लिए एक और आकर्षण। 

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मनोरम मिरिक 

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में स्थित मिरिक मनोरम हिल स्टेशन है। हिमालय की वादियों में बसा छोटा-सा पहाड़ी कस्बा मिरिक पिछले कुछ वर्षों में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है। इसके पीछे कई कारण हैं। एक तो यह कि पश्चिम बंगाल में यह सबसे ज्यादा आसानी से पहुंचने वाला स्थान है, दूसरा यहां रूटीन हिल स्टेशन जैसी भीड़भाड़ नहीं है। यहां का बेहद शांत माहौल लोगों को सुकून देता है। मिरिक शहर के बीचों-बीच एक मानव निर्मित झील है, जिसे सुमेंदू लेक कहते हैं। इसके बीचों-बीच एक फ्लोटिंग फाउंटेन है। यह झील लगभग डेढ़ किमी. लंबी है, जिसके किनारे देवदार के वृक्ष लगे हुए हैं। ऐसा लगता है कि मानो ऊंचे देवदार के वृक्ष इस झील की सुरक्षा के लिए खड़े हों। कोहरे के आगोश में लिपटी यह झील कुछ पल वहीं ठहर जाने को मजबूर कर देती है। मिरिक बाजार से थोड़ी दूर ऊंचाई पर खूबसूरत बोकर नागदोन चोखोर लिंग मोनेस्ट्री है। यहां से हिमालय पर्वत शृंखला कंचनजंगा के अद्भुत दृश्य दिखाई देते हैं। इसे मिनी दार्जिलिंग भी कहा जाता है। 

प्रस्तुति: कायनात काजी 


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