धर्मशाला जाएं तो ये 6 जगह देखें और 3 चीजें जरूर खाएं
तपती गर्मी से बचने के लिए एक आदर्श पर्यटक स्थल की तलाश में हैं तो धर्मशाला अधिक दूर नहीं है। यहां पर घूमने के लिए कई पिकनिक स्पॉट हैं। वहीं खाने के लिए कई बेहतरीन चीजें भी मिलेंगी।
धर्मशाला में कहां-कहां घूमें आकर :
दलाई लामा टेंपल :
यह मैक्लोडगंज के एक छोर पर स्थित है। यहां दलाईलामा का आवास भी है। बौद्ध धर्म से संबंधित सैकड़ों पांडुलिपियां भी यहां देखी जा सकती हैं। इसके साथ ही तिब्बती संग्रहालय भी देखने लायक स्थान है। यहां पर तिब्बत की तस्वीर व वहां हुए चीनी दमन को देखा सकता है।
भागसूनाग :
यह मैक्लोडगंज से दो किलोमीटर आगे है। यहां एक पौराणिक मंदिर है। इस मंदिर में पहाड़ों से बहकर पानी आता है। पर्यटक मंदिर के इस शीतल पानी में स्नान करके आनंद का अनुभव करते हैं। भागसूनाग में भी एक अच्छा मार्केट भी मौजूद है।
सेंट जॉन चर्च :
इस चर्च का निर्माण वर्ष 1863 में हुआ था। यह घने पेड़ों से घिरा हुआ खूबसूरत और प्राचीन चर्च है। यहां पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है। चारों ओर से देवदार के वृक्षों से घिरा यह एक खूबसूरत पिकनिक स्थल भी है।
कांगड़ा किला :
धर्मशाला से महज 18 किलोमीटर दूर कांगड़ा में स्थित ऐतिहासिक कांगड़ा किला इतिहास में अमर है। यह एक ऐसा किला है, जिसको जीतने के लिए कई मुगल राजाओं ने यहां हमला किया था। इसे दुनिया के सबसे पुराने किलों में से एक माना जाता है।
मां ब्रजेश्वरी देवी मंदिर, कांगड़ा :
यह स्थान धर्मशाला से 18 किलोमीटर दूर है। यह 51 शक्तिपीठों में से एक है। मां के इस शक्तिपीठ में ही उनके परम भक्त ध्यानु ने अपना शीश अर्पित किया था। इसलिए मां के वे भक्त जो ध्यानु के अनुयायी भी हैं, वे पीले रंग के वस्त्र धारण कर मंदिर में आते हैं।
मनोरम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम :
यहां देश का सबसे खूबसूरत क्ति्रकेट स्टेडियम मौजूद है। यह भारत का सबसे उंचाई पर स्थित स्टेडियम है। वर्ष 2005 में बनकर तैयार हुए इस स्टेडियम में आईपीएल, टेस्ट व वनडे मैचों का आयोजन हो चुका है। यहां दर्शकों के बैठने की क्षमता 25 हजार है।
यहां क्या-क्या मिलेगा खाने को :
तिब्बती संस्कृति का रंग यहां के खानपान में भी मिलता है, पर यदि आप कांगड़ा घाटी के इस शहर का स्थानीय स्वाद लेना चाहते हैं तो यह आपको मिलेगा यहां के खास व्यंजन 'धाम' में। चना मधरा, चने की दाल, तेलिया माह के साथ धाम को लोग खूब चटखारे लेकर खाते हैं। यहां पर तिब्बती लोगों द्वारा बनाए गए मोमोज भी खूब पसंद किए जाते हैं।
ट्रेकिंग का लुत्फ
धर्मशाला आएं तो यहां ट्रैकिंग का आनंद ले सकते हैं। यहां त्रियूंड और करेरी प्रमुख है। त्रियूंड मैक्लोडगंज से करीब नौ किलोमीटर दूर करीब 2,082 मीटर की उंचाई पर स्थित है। यहां से धौलाधार की विशाल पर्वत श्रृंखला बहुत करीब महसूस होती है। पर्यटक रात को यहां कैंपिंग का भी आनंद उठाते हैं।
धर्मशाला की सैर कब और कैसे?
यहां आने का उपयुक्त समय मार्च से जून और अक्टूबर से जनवरी है। दिल्ली से आप सीधी बस सेवा से यहां आ सकते हैं। गगल एयरपोर्ट धर्मशाला से 10 किलोमीटर दूर स्थित है। रेल मार्ग से आना चाहते हैं तो पठानकोट रेलवे स्टेशन आ सकते हैं। यहां से पठानकोट 86 किलोमीटर की दूरी पर है। पठानकोट से कांगड़ा तक नैरोगेज रेलगाड़ी और उसके बाद सड़क मार्ग के जरिए धर्मशाला पहुंच सकते हैं।