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नारी सशक्तिकरण: निरक्षर प्रधान कर रही साक्षर

हम बात कर रहे हैं हसनपुर-कल्याणपुर पंचायत की ग्राम प्रधान आबिदा की, जिन्होंने खुद के संसाधन से बालिका शिक्षा का बीड़ा उठाया है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Fri, 17 Mar 2017 04:07 PM (IST)Updated: Fri, 17 Mar 2017 04:17 PM (IST)
नारी सशक्तिकरण: निरक्षर प्रधान कर रही साक्षर
नारी सशक्तिकरण: निरक्षर प्रधान कर रही साक्षर

अंगूठा लगाने का दर्द इस कदर दिल में घर कर गया कि उन्होंने बालिका शिक्षा को जीवन का लक्ष्य बना लिया। मकसद बस इतना था कि समाज की कोई लड़की अशिक्षित न रहे। हम बात कर रहे हैं हसनपुर-कल्याणपुर पंचायत की ग्राम प्रधान आबिदा की, जिन्होंने खुद के संसाधन से बालिका शिक्षा का बीड़ा उठाया है। वो न केवल ग्रामीणों को जागरूक कर बालिकाओं का दाखिला विद्यालयों में करवाती हैं, बल्कि उन्हें पाठ्यसामग्री के साथ ही दैनिक डायरी भी वितरित करती हैं। जिसमें शिक्षक व अभिभावक दोनों ही बच्चे की प्रगति आख्या लिखकर एक-दूसरे से साझा करते हैं। यहीं नहीं प्रधानों को सरकार की ओर से दिए जाने वाले मानदेय से वो बालिकाओं को प्रोत्साहन राशि भी मुहैया करा रही हैं।

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पंचायत प्रतिनिधियों पर सरकारी

धन के दुरुपयोग का आरोप लगते तो आपने सुना होगा। लेकिन, हसनपुरकल्याणपुर पंचायत की प्रधान आबिदा प्रधानों को मिलने वाले मानदेय केसाथ ही अन्य संसाधनों से अल्पसंख्यक क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगा रही हैं। आबिदा अल्पसंख्यक व मजदूर बस्तियों में नौनिहालों के साथ ही अभिभावकों को भी शिक्षा का महत्व बता रही हैं। इसके साथ ही स्कूलों में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं को डायरी के साथ पाठ्यसामग्री वितरित करती हैं। आबिदा बताती हैं, जागरूकता की कमी के कारण वो तो नहीं पढ़ पाई।

ऐसे में उनकी कोशिश है कि हर किसी को शिक्षा मिले। वो आगे कहती हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के प्रति जागरूकता कम होने के कारण अधिकांश बच्चे प्राथमिक शिक्षा के बाद स्कूल नहीं जा पाते हैं। खासकर बालिकाओं को पांचवीं के बाद स्कूल जाने से रोक दिया जाता है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों की बालिकाएं आगे नहीं बढ़ पा रही हैं। बालिकाओं के अशिक्षित रहने से समाज में कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियां जन्म ले रही हैं। जिसे समाप्त करने के लिए महिलाओं को ही समाज का नेतृत्व करने की जरूरत है। शिक्षित होने पर ही महिला समाज का नेतृत्व करने की क्षमता विकसित कर पाएगी। लिहाजा बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए वो गांवों में अभियान चला रही हैं। अभी तक उन्होंने राउमावि डांडापुर, नफीस जूहा स्कूल सभावाला, राइंका सभावाला व बोक्सा जनजाति कृषक इंटर कॉलेज शीशमबाड़ा में अध्ययनरत प्रत्येक छात्रछात्रा को पाठ्यसामग्री व दैनिक डायरी वितरित की है। जबकि हसनपुर, डांडापुर, कल्याणपुर, सभावाला में गरीब नौनिहालों को पाठ्य सामग्री वितरित करने के साथ ही प्रोत्साहन राशि व स्कूल का शुल्क भी वो दे रही हैं। हर माह दो से तीन बच्चों की मदद का उनका लक्ष्य रहता है। आबिदा बताती हैं, उनके भी एक बेटा और बेटी हैं। लेकिन, शिक्षा को लेकर वो कभी उनमें फर्क नहीं करती। जितना हो सके, उनकी कोशिश रहती है कि अधिक से अधिक बच्चों को शिक्षा मिल सके।

राकेश खत्री, विकासनगर

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