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बच्चों की सही परवरिश है हर मां के लिए बड़ी चुनौती

आज बच्चों को दुनिया-जहान की खबरें हैं। उनकी मुट्ठी में सूचनाओं का खजाना है। ऐसे में अभिभावकों के सामने बच्चों को हर अच्छा-बुरा बताने और समझाने की मुश्किल काफी बड़ी है।

By Srishti VermaEdited By: Published: Sat, 18 Mar 2017 11:06 AM (IST)Updated: Sat, 18 Mar 2017 12:12 PM (IST)
बच्चों की सही परवरिश है हर मां के लिए बड़ी चुनौती
बच्चों की सही परवरिश है हर मां के लिए बड़ी चुनौती

जरूरी है कि स्मार्ट हो गए बच्चों की परवरिश भी स्मार्ट हो। पल में कड़क और मौके पर नरम होना आज भी बेहद कारगर है। सेलेब्रिटी भी अपने बच्चों के व्यवहार पर पूरा ध्यान देते हैं और उन्हें आधुनिक होने के साथ-साथ परपंरा से भी जोड़े रखने का प्रयास करते हैं...
हैलो बेटा, आप कहां पर हो? मां, दोस्तों के साथ मॉल में हूं। ठीक है बेटा, जल्दी घर आ जाना। अभी तक तुम घर नहीं आई। यह कोई तरीका है। तुरंत घर आओ। तुम्हें कितनी बार समझाया कि घर लौटने में देर न किया करो। मां तुम भी कितनी जल्दी गुस्सा हो जाती हो...। आधुनिक मां का व्यवहार जहां दोस्ताना है, वहीं पारंपरिक मां कड़क, लेकिन आज की मम्मी में दोनों अवतार हैं। स्मार्ट होती जिंदगी में परवरिश भी स्मार्ट हो गई है। जैसा मौका होता है वैसे ही मां मुलायम या कठोर हो जाती है। यह मां व्हाट्सऐप और फेसबुक पर रहती है, नई एप्लीकेशंस जानती है, लेकिन मिनटों में पारंपरिक मां भी बन जाती है। सेलेब्रिटी भी अपने बच्चों के साथ अपने रिश्तों को लेकर काफी सतर्क रहते हैं और बच्चों की परवरिश में दोनों तरीके अख्तियार करते हैं। बदलते दौर में परवरिश के तरीके जरूर बदले हैं, लेकिन कायदे-कानून कमोबेश वही हैं। स्मार्ट होना जरूरी माइक्रोसॉफ्ट की पूर्व डायरेक्टर रुचि अग्रवाल को लगता है कि कम समय में अच्छा और प्रभावी परिणाम पाना ही स्मार्टनेस है।

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जितना बिजनेस में अच्छे परिणाम लाना जरूरी है, उतना ही पैरेंटिंग में भी। कहती हैं रुचि, स्मार्ट के हर शब्द का एक अर्थ होता है। यह समय से बंधा है। एक्शन प्लान पर निर्भर है, जो काम आप स्मार्ट तरीके से दो घंटे में कर सकते हैं, उसमें दस घंटे भी लगा सकते हैं तो आप क्या चुनेंगे? आज के जमाने में स्मार्ट पैरेंटिंग बहुत जरूरी है। हर चीज की है व्यवस्थित मैंने बच्चों की दिनचर्या तय की है। जैसा मौका होता है वैसा ही उनसे व्यवहार करती हूं। मुझे पता है कि मुझे काम करना है। आज नहीं तो कल काम करना ही है। यह साफ है। मेरे घर के स्टाफ को मेरे बच्चों का पता है। बच्चे कब स्कूल जाते हैं, कब आते हैं वे जानते हैं। फिर मैं दो-दो घंटे पर घर पर फोन करती हूं कि सब कुछ ठीक है न।

अभिनेता राम कपूर की पत्नी और अभिनेत्री गौतमी कपूर अपने दोनों बच्चों के प्रति हर समय फिक्रमंद रहती हैं, लेकिन उन्होंने अपनी काबिलियत से हर चीज तय की है। वह कहती हैं, बेशक मैं घर पर नहीं रहती, लेकिन मन से हर समय घर पर ही होती हूं। मेरे बच्चों को पता है कि मैं उनसे एक फोन कॉल की दूरी पर हूं। मैंने उन्हें यह विश्वास दिया है और मुझे विश्वास है कि सब ठीक चलता रहेगा। सबका अपना-अपना तरीका मिकाल जुल्फिकार (पाकिस्तानी अभिनेता) को लगता है कि बच्चों को पालने में इंसान को धैर्य रखने की जरूरत होती है। बच्चे अपने माता-पिता की आदतों-व्यवहार का ही अनुकरण करते हैं। ऐसे में इंसान को अपना व्यवहार और अपनी चीजों को सही रखना होता है। वह कहते हैं, हर पैरेंट बच्चों को पालने का अपना तरीका निकालता है और उसके दिमाग में खुदा ने पहले ही डाला होता है कि यह हिसाब-किताब कैसे होना है। मेरी पत्नी भी बच्चों की परवरिश अपने तरीके से ही करती है।

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि बच्चों की परवरिश बेशक स्मार्ट हो गई है, लेकिन हर मां जानती है कि अपने बच्चों को कैसे संभालें। कुछ टिप्स, जो बदलती लाइफस्टाइल में भी कारगर हैं। ’
-बच्चों को बचपन से ही पैसों की अहमियत समझाना बेहद जरूरी है। ’
-एक बात ध्यान रखें कि अगर माता-पिता को टेक्नो की लत होगी तो बच्चों को टेक्नो एडिक्ट बनने से रोकना आसान नहीं होगा। ’
-बच्चों के साथ समय बिताना उन्हें संतुष्टि देगा। ’
-आज बच्चे जवाब देने में बिल्कुल भी नहीं हिचकते हैं, ऐसे में सही होगा कि उनके साथ बातचीत करते समय आवाज नरम हो ताकि वे इस शिष्टाचार को सीखें। ’
-बच्चों को विकल्प दें और चुनने का अधिकार भी दें, ताकि उनमें निर्णय लेने की क्षमता का विकास हो। ’
-बच्चों में सकारात्मक सोच का विकास उनके लिए भी अच्छा है। ’
-अगर आप अपने बच्चे के मन में बचपन से ही भय, डर और चिंता भर देंगे तो आप यह कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि आगे चलकर उनकी लाइफ बहुत आनंददायक होगी। जैसा वातावरण आप बच्चों को उपलब्ध करवाएंगे, आगे चलकर वे वैसा ही उदाहरण दूसरों के सामने प्रस्तुत करेंगे। ’
-बच्चों के सामने हमेशा बड़े ही न बने रहें। उनके सामने कभी-कभी स्वयं बच्चे बनकर उनका साथ एंजॉय करें, मसलन जोर से हंसना, छप्पा-छप्पाई खेलना आदि-आदि। ’
-बच्चों को पीयर प्रेशर से बचने के लिए तैयार करना होगा। दोस्तों के दबाव में आने की बजाय उन्हें नरमी से न कहना सिखाएं। ’
-पैरेंट्स बच्चों के रोल मॉडल होते हैं, इसलिए उनके सामने अच्छे उदाहरण पेश करें। ’
-आज के जमाने में साइबर क्राइम आम है। इस बारे में भी बच्चों को समझाना होगा। ’
-बच्चों को साइबर बुलिंग के बारे में बताएं।

देखकर सीखते हैं बच्चे फराह खान, कोरियोग्राफर व डायरेक्टर
हर मां को पता होता है कि वह अपने बच्चे को कैसे बड़ा करे। मैं सिर्फ यही कहूंगी कि बच्चे उदाहरण देखकर सीखते हैं। आप उन्हें कुछ चीज बोलें तो वे उससे नहीं सीखेंगे, लेकिन अगर आप कोई उदाहरण पेश कर रहे हैं तो वे आपसे जरूर सीखेंगे। इसलिए जरूरी है कि आप उन्हें उदाहरण देकर ही सिखाएं। मैं बच्चों को बहुत समय देती हूं। मेरा 75 प्रतिशत समय बच्चों के लिए ही होता हे। आप देखते होंगे मेरे सोशल मीडिया पर, मैं छुट्टियां बहुत लेती हूं बच्चों के साथ। जब मैं शूट कर रही होती हूं तभी बच्चों से अलग रहती हूं नहीं तो बच्चों के पास ही रहती हूं।

फैसले लेना सिखाना होगा बच्चों को महिमा चौधरी, अभिनेत्री
बच्चे को बहुत सारा वक्त दें। विशेषकर जब वे छोटे होते हैं। बच्चे को खुद अपना काम करना सिखाएं। आप बेशक उसे खाना खिलाएं, लेकिन बच्चे को खुद खाना भी सिखाना होगा। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आप बच्चे के लिए क्या कर रहे हैं। महत्वपूर्ण यह है कि आप बच्चे को ऐसा क्या सिखा रहे हैं, जो वह अपने लिए कर सकता है। उसे खुद फैसले लेना सिखाएं। जिंदगी में बहुत सी अनिश्चितताएं होती हैं आपको उन्हें इनके लिए तैयार करना है। जिंदगी में दो रास्ते मिलें तो वह किसे चुने, यह फैसला लेने के लिए तैयार करना है। मैं अपनी बेटी के लिए पूरा समय निकालती हूं। मैं क्या हर औरत अपने बच्चे को ज्यादा से ज्यादा समय देती है।

चाहूंगी बेटी सिया संतुलित हो गौतमी कपूर, अभिनेत्री
मेरी बेटी सिया बड़ी है। बेटा अक्स छोटा है। मेरा मानना है कि हमारी भारतीय संस्कृति इतनी मजबूत है कि एक औरत को आधुनिक होते हुए भी उसमें ढलना बहुत जरूरी है। मैं आधुनिक हूं, लेकिन अपने विचारों में भारतीय भी बहुत हूं। मैं कुछ बदलना नहीं चाहती, लेकिन यह चाहती हूं कि औरतें पढ़ें। मेरी बेटी बहुत ज्यादा पढ़े। उस पर शादी का दबाव न डालूं। वह जब चाहे तब शादी करे। वह अपना कॅरियर खुद तय करे। इन सब चीजों में मैं पूरी तरह से उसका साथ देना चाहती हूं। कल को अगर मेरी बेटी कोई अलग काम करना पसंद करेगी तो मैं तो उसका पूरा समर्थन करूंगी, लेकिन उससे यह जरूर कहूंगी कि जब तुम शादी के लिए तैयार हो और अपने जीवनसाथी का फैसला करो तो शादी के बाद इस चीज का भी ध्यान रखना कि परंपराओं का ध्यान रखते हुए आगे कैसे आना है। इनका संतुलन होना किसी भी औरत की दुनिया में बहुत जरूरी है। कोशिश करूंगी कि जिन मूल्यों का मैं अनुकरण करती हूं, उन पर मेरी बेटी भी चले।

प्रस्तुति- यशा माथुर


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