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अब दूर हो सकती है कंधे की तकलीफ

आर्थोस्कोपी रिकरेंट डिस्लोकेशन ऑफ शोल्डर(कंधे का बार-बार उतर जाना), कंधे का जाम होना और कंधे को ऊपर उठाने में दर्द होना आदि समस्याओं को दूर करने में कारगर है।

By Srishti VermaEdited By: Published: Wed, 19 Apr 2017 12:30 PM (IST)Updated: Wed, 19 Apr 2017 01:09 PM (IST)
अब दूर हो सकती है कंधे की तकलीफ
अब दूर हो सकती है कंधे की तकलीफ

21 वर्षीय राजेश ( परिवर्तित नाम) एक बैडमिंटन मैच के दौरान गिर पड़ा। इस कारण उसका दाहिना कंधा उतर गया। उसके साथी उसे आर्थोपेडिक सर्जन के पास ले गए, जिन्होंने कंधे को चिकित्सकीय प्रक्रिया से बैठा दिया। दो महीने बाद जब उसने दोबारा बैडमिंटन खेलना शुरू किया, तो शॉट मारते वक्त उसका कंधा फिर उतर गया। फिर ऑर्थोपेडिक सर्जन के पास जाकर उसने कंधा बैठाया। अगली बार बस पकड़ते हुए कंधा उतर गया। डॉक्टर ने उसे रिकरेंट डिस्लोकेशन ऑफ शोल्डर की समस्या से ग्रस्त बताया। इस समस्या से ग्रस्त होने के बाद वह हमेशा डरकर रहने लगा कि पता नहीं कब कंधा उतर जाए। अंतत: राजेश आर्थोस्कोपिक सर्जन के पास पहुंचा। सर्जन ने पूछा कि इलाज के लिए क्या हॉस्पिटल में एक दिन का वक्त दे सकते हो ? इस पर राजेश को विश्वास नहीं हुआ कि इतनी जल्दी महीनों पुरानी तकलीफ दूर हो सकती है। कोई और स्थायी विकल्प न देख राजेश ने हामी भर दी। उसके कंधे में आर्थोस्कोप (दूरबीन) से रक्तस्राव के बगैर केवल 3 छेद बनाए गए, जिसमें टांके नहीं लगाने पड़े, लेकिन लिगामेंट जोड़ दिए गए। एक हफ्ते के अंदर उसकी स्थिति में जबर्दस्त सुधार हुआ।

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आर्थोस्कोपी का कमाल
आर्थोस्कोपी दो शब्दों (ऑर्थो यानी जोड़ और स्कोपी का अर्थ है- देखना) से मिलकर बना है। इस तकनीक के अंतर्गत पहले एक पतले कैनुला(पाइप के सदृश एक विशिष्ट यंत्र) से जोड़ में सेलाइन यानी पानी भर दिया जाता है। इस कारण छोटा-सा जोड़ फूलकर बड़ा हो जाता है और उसके अंदर के सारे लिगामेंट स्पष्ट और अलग-अलग दिखने लगते हैं। दूसरे कैनुला के जरिये सारे यंत्र डाल कर टूटे हुए लिगामेंट को फिर से जोड़ देते हैं। यह सारी प्रक्रिया टीवी स्क्रीन पर बाहर स्पष्ट दिखती है। इस कारण लिगामेंट की उम्दा तरह से रिपेयरिंग करना संभव हो जाता है। जिस फाइबर ऑप्टिक कैनुला से लाइट अंदर जाती है, उसी से फोटो व वीडियो बाहर टीवी पर डिस्प्ले होता रहता है।

इस तरह से बगैर चीरा लगे टिश्यू को जोड़ दिया जाता है। चूंकि टिश्यू को काटना नहीं पड़ता, इसलिए उसकी रिकवरी तुरंत हो जाती है। आर्थोस्कोपी ने कंधे के अलावा घुटने से संबंधित तकलीफों को दूर करने में भी अप्रत्याशित सफलता पायी है। यह एक दर्दरहित प्रक्रिया है। इसमें टिश्यू क्षतिग्रस्त नहीं होता। परिणामस्वरूप, पीड़ित व्यक्ति शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ करता है। आर्थोस्कोपी रिकरेंट डिस्लोकेशन ऑफ शोल्डर(कंधे का बार-बार उतर जाना), कंधे का जाम होना और कंधे को ऊपर उठाने में दर्द होना आदि समस्याओं को दूर करने में कारगर है।

-डॉ ए. के.अग्रवाल, अस्थि व जोड़ रोग विशेषज्ञ आर्थोस्कोपिक सर्जन

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