मजदूरी कर अपनी बेटियों को बनाया पहलवान, ऐसे पिता को हमारा सलाम
दर्शन ने कई साल पहले अपनी बेटियों को अखाड़े में उतार दिया। बड़ी बेटी सुखविंदर ने राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती मुकाबले में दो बार रजत व एक कांस्य पदक हासिल किया।
अमृत सचदेवा, फाजिल्का। दर्शन सिंह ऐसे पिता हैं जो आर्थिक तौर पर मजबूत नहीं हैं और खुद मजदूरी करके न केवल अपनी दोनों बेटियों को शिक्षा दिलवा रहे हैं बल्कि अपना सब कुछ दांव पर लगाकर पहलवानी करवा रहे हैं। दर्शन सिंह की चार पीढ़ियां पहलवानी करती आ रही हैं। बेटियों ने भी शिक्षा प्राप्ति और पहलवानी में अपने पिता की पीठ नीचे नहीं लगने दी।
फाजिल्का के गांव सैनियां के दर्शन सिंह अपने भाई कौर सिंह के साथ गांव में अखाड़ा चलाते हैं। कौर सिंह के दो बेटे हैं जबकि दर्शन सिंह के पास दो बेटियां हैं, सुखविंदर कौर व मीना कुमारी। दर्शन ने कई साल पहले अपनी बेटियों को अखाड़े में उतार दिया। बड़ी बेटी सुखविंदर ने पिता की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए स्कूल की पढ़ाई के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती मुकाबले में दो बार रजत व एक कांस्य पदक हासिल किया। अंतरराष्ट्रीय मुकाबले के लिए आयोजित चयन कैंपों में सुखविंदर दो बार भाग ले चुकी है। उसे इंतजार है कि कब उसका चयन इन मुकाबलों के लिए हो, ताकि वह अपने पिता का नाम दुनियाभर में रोशन कर सके। पहलवानी के साथ ही सुखविंदर ने बीए व बीएड की शिक्षा भी पूरी की।
दर्शन सिंह का संघर्ष भी अभी खत्म नहीं हुआ है। पुश्तैनी जमीन जायदाद न होने के चलते दर्शन सिंह और उनकी पत्नी मजदूरी कर अपनी बेटियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का पहलवान बनाने के लिए जी-जान से जुटे हैं। सुखविंदर
तीन बार पुलिस भर्ती के लिए टेस्ट भी दे चुकी है और चाहती है कि माता-पिता की हसरतों को पूरा कर सके। वहीं छोटी बेटी मीना ने भी जीएनएम का कोर्स पूरा कर लिया है।
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