गुस्से पर कैसे हो नियंत्रण
हर मनुष्य की सुख-शांति के लिए जरूरी है अपने मनोभाव एवं गुस्से को नियंत्रित करने की क्षमता रखना।
मनोभाव दो प्रकार के होते हैं, एक सकारात्मक और दूसरा नकारात्मक। क्रोध, भय, आशंका, चिंता आदि नकारात्मक मनोभाव हैं। मनुष्य सामान्यत: उन क्षणों में क्रोधित हो जाता है,जब कोई उसे छोटा समझता है, उपेक्षा करता है या फिर उसके व्यक्तिगत जीवन में झांकने का प्रयास करता है। इससे रिश्तों में कड़वाहट के साथ ही शत्रुता तक आ जाती है।
क्रोध के कारण हमारा रवैया दूसरों के प्रति असहयोग वाला हो जाता है। लोग ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी तक के शिकार हो जाते हैं। इसलिए मनुष्य को अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए। ऐसा देखा गया है कि गुस्से में मनुष्य अक्सर अस्वीकृति, झूठ आदि का सहारा लेता है। इससे ईष्र्या, आशंका आदि नकारात्मक मनोभाव हमें घेर लेते हैं। मैं मानता हूं कि हमारे जीवन में कुछ निश्चित मूल्य होने चाहिए, जो हमें इस बात से समय-समय पर आगाह
करते रहें कि जो हम कर रहे हैं, वह सही है या गलत।
यदि हमारा व्यक्तिगत मूल्य स्वावलंबी है,तो वह क्रोध पर नियंत्रण करने में मदद करेगा। ऐसा देखा गया है कि आत्मचिंतन व खुद की सोच भी क्रोध को शांत कर सकती है। मैं इस स्थिति को निभा सकता हूं, शांत हो जाओ...इत्यादि कुछ ऐसे सेल्फ टॉक हैं, जिससे क्रोध की अवस्था में हम परिस्थिति के अनुकूल खुद को ढाल सकते हैं। मेडिटेशन से भी मदद मिल सकती है। प्रभु यीशु कहते हैं, जो अपने भाई पर क्रोध करता है, वह कचहरी में दंड के योग्य ठहराया जाएगा। जब तुम वेदी पर भेंट चढ़ा रहे हो और तुम्हें वहां याद आए कि मेरे भाई को मुझसे कोई शिकायत है, तो अपनी भेंट वहीं वेदी के सामने छोड़कर पहले भाई से मेल करने जाओ और तब आकर अपनी भेंट चढ़ाओ।
कचहरी जाते समय रास्ते में ही अपने मुद्दई से समझौता कर लो। क्रोध पर विजय पाने के लिए क्षमाशीलता एक बहुत अच्छी बात हो सकती है। जब हम गलतियों को दरकिनार कर दूसरों को माफ करने का जज्बा दिखाते हैं, तो अंदर से भी एक अलग तरह का सुकून मिलता है।
-फादर. डॉ. राबर्ट वर्गीस प्रधानाचार्य सेंट फ्रांसिस इंटर कालेज हाथरस
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