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होली की रंगत और दिल्ली के ये लजीज जायके

उमंग उत्साह मस्ती भरे इस पर्व में जायकों का भी भरपूर साथ है। गुझिया, पकौड़े, दही बड़े, कांझी वड़ा, ठंडाई इन सुस्वादों की बात ही कुछ और है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Sat, 11 Mar 2017 01:32 PM (IST)Updated: Sat, 11 Mar 2017 03:00 PM (IST)
होली की रंगत और दिल्ली के ये लजीज जायके
होली की रंगत और दिल्ली के ये लजीज जायके

होली के दिन वैसे तो हर घर में खास पारंपरिक जायके बनाए और खिलाए जाते हैं लेकिन पुरानी दिल्ली की गलियों के लजीज जायकों की रंगत ही कुछ और है। लोग होली के लिए यहीं से खास जायके अपने घर ले जाते हैं। 

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पकौड़ों का स्वाद...

जब बात होली की हो रही हो तो चांदनी चौक के मशहूर किनारी बाजार स्थित घसीटा राम के पकौड़ों की चर्चा जरूर होती है। एक बड़े से थाल में आलू, गोभी, पालक, मिर्च, दाल, मूंग दाल किस्म किस्म के पकौड़े रखे जाते हैं। दुकान के संचालक राजेश बताते हैं कि उनके दादा जी दारा सिंह के साथ पहलवानी करने के साथ मूंगदाल के पकौड़े की दुकान शुरू की। उस समय का स्वाद तीन पीढ़ी के बाद भी बरकरार है। इस दुकान में अब भी पुदीने, धनिया, अमचूर, मिर्च की लाजवाब चटनी बनाई जाती है। चटपटी चटनी के साथ पकौड़ों का लजीज स्वाद चटकारे लेकर

लोग खाते हैं। होली से एक दिन पहले लोग यहां खूब पकौड़े खाते हैं। होली वाले दिन तो दुकानें बंद होती है।

कांझी वड़ा की खटास...

लाल मटकों में रखा राई का चटपटा पानी और उसमें तैरते उड़द दाल के वड़ों का स्वाद होली के उत्सव को और चटपटा कर देता है। चांदनी चौक के लोगों के अनुसार इस व्यंजन से लोगों का पाचन अच्छा रहता है और जायका ऐसा कि अगर एक बार जुबान पर लग जाए तो लोग बार-बार इसे मंगवाते हैं।

चांदनी चौक में चाय की दुकान के नीचे एक छोटी सी दुकान है जिसे श्रवण चलाते हैं। श्रवण बताते हैं कि कांझी वड़े के स्वाद को दोगुना करने के लिए धनिया, पुदीने, इमली और आमचूर की चटनी भी बनाई जाती है। इसमें लगने वाले मसाले हर एक कांझी वड़ा वालों को अलग पहचान देते हैं।

मिठास का बदलता अंदाज...

होली की उमंग की बातें होंऔर उसमें गुझिया की मिठास शामिल न हो ऐसा हो ही नहीं सकता। होली की परंपराओं के रंगों में गुझियों का भी संसार बसा है। हर घर में गुझिया बनाई और प्रेम से खिलाई जाती है। शायद इसलिए

मिठाई की दुकानों में तरह तरह की गुझिया बनाई जा रही हैं। तिवारी ब्रदर्स स्वीट्स के रवि तिवारी बताते हैं समय बदलने के साथ अब मिठाइयों की दुकानों पर भी भुने या बेक की हुई गुझिया भी बनाई जा रही हैं। ओडिशा की खाजा गुझिया, बनारस का लौंगलता, पोटली गुझिया के साथ दिल्ली की सादी गुझियों की मिठास लोगों में उमंग भर देती है।

वहीं, चावड़ी बाजार स्थित श्याम स्वीट्स के भारत अग्रवाल बताते हैं कि लाइफस्टाइल रोगों के मरीजों के लिए भी स्पेशल शुगर फ्री गुझिया तैयार की जा रही हैं। हमने अपनी दुकान में शहद से बनी गुझिया बनाना शुरू किया, यह प्रयोग सफल रहा, जिसे लोग खूब पसंद करते हैं। इसके अलावा मलाई रबड़ी कप, लच्छा रबड़ी, मलाई रोल, खुरचन सैंडविच भी तैयार की जाती है। बीकानेर स्वीट्स के राजू बताते हैं कि दुकानों में इन दिनों केसर गुझिया, समोसा गुझिया, पान गुझिया, कमल गुझिया, बेकड गुझिया, फीकी गुझिया, चॉकलेट गुझिया, स्ट्राबेरी, वनील, शाही, चंद्रकला गुझिया जैसी तमाम वैरायटी की गुझिया लोगों को खूब पसंद आ रही हैं।

कुल्फी भांग वाली चांदनी चौक के नयाबांस में कुल्फी वाले का इंतजार सभी को रहता है। क्योंकि होली वाले दिन कुल्फी वाले और ठंडाई वाले इस दिन खास भांग की कुल्फी बना कर यहां बेचते हैं। पिछले कई सालों से राजू यहां भांग की कुल्फी बेचने आता हैं। यहां रहने वाली सुरेखा गुप्ता बताती हैं कि होली वाले दिन लोग राजू की बनाई

कुल्फी जरूर खाते हैं।

चटपटे दही वड़े.....

होली के मौके पर ज्यादातर घरों में दही भल्ले बनाए जाते हैैं, लेकिन चांदनी चौक में दही भल्लों का स्वाद लेने का मजा ही कुछ और है। होली वाले दिन भी लोग यहां के मशहूर दही भल्लों का स्वाद ले सकते हैं। नटराज के दही भल्ले के संचालक जतिन बताते हैं कि होली के दिन खासतौर पर लोग दही भल्ले खाते-खिलाते हैं। इसलिए इस पर्व पर भी दुकान खुली रखी जाती है। पुराने तरीके से तैयार दही भल्ले का पुराना स्वाद नई पीढ़ी भी खा रही है और

सराह रही है। दही भल्ले में सोंठ वाली लाल चटनी का स्वाद सबसे अहम होता है। दही में जायफल की महक होती है। इसमें ऐसे मसालों का इस्तेमाल किया गया है कि जो मीठेपन को संतुलित करता है। नटराज की आलू टिक्की का जायका भी लोगों को खूब भाता है।

के दिन महिलाएं घर में खास पकवान बनाती हैं, तो वहीं मिठाई की दुकानों पर भी कई वैरायटी की गुझिया बनाई जाती हैं। पुरानी दिल्ली में लोग अपने बेटी के मायके गुझियों के डब्बे और बच्चों को पहनाए जाने के लिए ड्राइ फ्रूट्स की मालाएं भेजते हैं। इन मालाओं को पहन कर बच्चे होली दहन आयोजन में शामिल होते हैं।

ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने प्रहलाद को यह माला पहनाई थी। जिसके कारण प्रहलाद को मारने की सारी योजनाएं नाकामयाब होती रहीं।

यहां तक की होलिका भी जल गई लेकिन प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं हुआ। खारी बावली में काजू, बादाम, किशमिश, इलायची की मालाएं बनाई जाती हैं। इसके बाद रात को पकौड़े खाए खिलाए जाते हैं। चूंकि मौसम में थोड़ी गर्माहट घुल रही है तो लोग ठंडाई भी पीते हैं। होली वाले दिन में तो लोग कई तरह की गुझिया और दही भल्ले खाते हैं।

अजय अग्रवाल, फूड एक्सपर्ट

विजयालक्ष्मी, नई दिल्ली


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