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मेहनत से मिला मुकाम : फरहान

दिल्ली के फरहान साबिर तबला वादक थे, लेकिन गायकी के शौक ने उन्हें रियलिटी शो ‘द वॉयस इंडिया’ के दूसरे सीजन का सरताज बना दिया। फरहान इस जीत का श्रेय समयबद्ध रियाज को देते हैं।

By Srishti VermaEdited By: Published: Sat, 18 Mar 2017 01:02 PM (IST)Updated: Sat, 18 Mar 2017 01:08 PM (IST)
मेहनत से मिला मुकाम : फरहान
मेहनत से मिला मुकाम : फरहान

मेरे परिवार का संगीत से गहरा रिश्ता है। दिल्ली घराने से ताल्लुक रखता हूं। पिता जी खुद एक तबलावादक थे। उन्हें देखते हुए मैंने भी बेहद कम उम्र में इसे सीखना शुरू कर दिया। उस्ताद फरीद हसन के अलावा गुलाम साबिर अली खान समेत अन्य गुरुओं से संगीत की तालीम हासिल की। हिंदुस्तानी म्यूजिक सीखा। मैं यही मानता हूं कि आपमें अगर हुनर है, तो गुरु उसे तराश देता है। शो में भी मुझे गायक शान जैसे मेंटर मिले। उन्होंने जिन कमियों को उजागर किया, मैंने उन्हें सुधारने की कोशिश की। मैंने कभी सोचा नहीं था कि किसी टीवी रियलिटी शो में शिरकत कर पाऊंगा।

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संगीत पर था भरोसा

पारिवारिक मजबूरियों की वजह से मुझे बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी। कैफे में गाने गाकर परिवार की मदद करता। दिल्ली में होने वाले ऑडिशन के ठीक एक दिन पहले इसकी जानकारी मिली। किसी तरह वहां पहुंचा। हजारों युवा इंतजार में थे, जिनमें से किसी एक का चयन होना था। मुझे अपने संगीत पर भरोसा था। आखिर तक डटा रहा और मुंबई का टिकट लेने में कामयाब हुआ।

कभी हार न मानें

हमारी इंडस्ट्री में बहुत से काबिल गायक हैं। हर किसी की शख्सियत अलग होती है। सिंगर की भी अपनी अलग पहचान होनी चाहिए। वही उसे लंबी रेस का घोड़ा बनाता है। जो युवा इसमें अपना भविष्य देखते हैं, उन्हें दिन के करीब छह घंटे जरूर रियाज करना चाहिए। परेशानियां आएंगी। उनका सामना करें। नतीजे की फिक्र किए बिना, मेहनत में कभी कमी न आने दें। कभी हार न मानें।

इंटरैक्शन : अंशु सिंह

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