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भर रहे खुशियों के रंग

होली के मौके पर मिलते हैं कुछ चुनिंदा युवाओं से, जो खुद के अलावा दूसरों की जिंदगी में भी भर रहे हैं रंग।

By Srishti VermaEdited By: Published: Sat, 11 Mar 2017 03:42 PM (IST)Updated: Sat, 11 Mar 2017 03:53 PM (IST)
भर रहे खुशियों के रंग
भर रहे खुशियों के रंग

रंगों की हमारे जीवन में खास जगह रही है। होली त्योहार है रंगों के साथ जश्न मनाने का। बेशक एक समय के बाद पानी इन रंगों को धो डालता है, लेकिन कुछ रंग कभी नहीं धुलते। वे हैं खुशियों के रंग। 

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दरभंगा (बिहार) के दीपक ‘यात्री’ माइम आर्टिस्ट, ट्रैवलर एवं लेखक हैं। राजस्थान में गांधी फेलोशिप के लिए भी चयन हुआ है, लेकिन बचपन से ही जिद्दी रहे हैं। एक बार गांव में किसी ने बोल दिया, तू तो अनपढ़ और बदमाश है! उसी दिन जिद ठान ली कि खुद को उस ऊंचाई पर ले जाएंगे, जिससे सब नाज करें। दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद कुछेक बड़े मीडिया हाउस में काम किया। लेकिन अचानक माइम आर्ट सीखने की धुन सवार हो गई। दीपक कहते हैं,‘मेरा शुरू से एक ही ध्येय रहा है, समाज और अपने परिवेश के लिए कुछ सार्थक करना। मैंने गांव में पुस्तकालय बनवाया है। साइकिल यात्राओं के जरिये स्कूल खोलने व पानी की समस्या के प्रति समाज को जागरूक करता हूं। पैसों की दिक्कत रहती है। संघर्ष बहुत है, पर मलाल नहीं होता। आप औरों की जिंदगी में जो रंग भरते हैं, वे आपकी खुशियों के रंग को और गाढ़ा कर देते हैं।’

पैसे की जगह थमाई कलम
दोस्तो, अक्सर आपने भी किसी ट्रैफिक सिग्नल के करीब या धार्मिक स्थलों के बाहर बच्चों को भीख मांगते देखा होगा। उन्हें कभी पैसे दिए भी होंगे। लेकिन पटियाला के इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हर्ष कोठारी ने कुछ अलग करने की सोची। अपने दोस्तों के साथ मिलकर वे एंटी बेगिंग अवेयरनेस प्रोग्राम चला रहे हैं। इसके तहत आम जनों को जागरूक करते हैं कि वे भिखारियों को पैसे व खाने की चीजें देने की बजाय साक्षर बनाएं। हर्ष कहते हैं,‘हम महिलाओं व बच्चों को हुनर सिखाते हैं, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। हर्ष ने ‘कलम’ नाम से युवाओं की एक टीम बनाई है, जो पटियाला और राजपुरा की स्लम बस्तियों में गरीब बच्चों को पढ़ा रहे हैं। हाल ही में इन्होंने पटियाला से 12 किमी. दूर खेर जट्टान गांव की महिलाओं को साथ लेकर एक डिटर्जेंट बनाया है और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की है।

 

लेखन के माध्यम से बदलाव
देश की सबसे कम उम्र की नॉवेल राइटर हैं जानवी जाजी। पार्टी या मस्ती करने की बजाय खाली समय में नॉवेल पढ़ना पसंद है। जानवी कहती हैं, ‘सामाजिक विषमताओं को देखकर मैं अक्सर परेशान हो जाती थी। तभी मां ने मुझे अपने विचारों को किताब के रूप में ढालने की सलाह दी। मैंने पाया है कि ज्यादातर किताबों में ‘हैप्पी एंडिंग’ होती है। मेरी किताब ‘द ट्रायंफ ड्राइव’ इस लीक से बिल्कुल हटकर है। मेरी कोशिश समाज की सच्ची घटनाओं के बारे में बताकर उन्हें प्रेरणादायी बनाने की होगी। इससे मन को भी संतुष्टि मिलेग

आपदा प्रबंधन में मिला सुकून
आपदा प्रबंधन के दौरान हमें मुश्किल हालात में काम करना होता है। लेकिन जब कोई जान बचती है या किसी को राहत मिलती है, तो मन को बहुत तसल्ली मिलती है, यह कहना है दिल्ली के कुणाल भारत का। कुणाल मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएट हैं। लेकिन एक कंपनी में इंटर्नशिप करने के दौरान एहसास हुआ कि वे सामाजिक क्षेत्र और खासकर आपदा प्रबंधन फील्ड में काम करना चाहते हैं। कुणाल कहते हैं, ‘मेरे अभिभावक खुद पर्यावरण के मुद्दे पर काम करते रहे हैं। मुझे भी लगा कि नौ से पांच की नौकरी में वह संतुष्टि नहीं है, जो आपदा से प्रभावित लोगों को बचाने में है। मुझे काफी सीखने को मिला। जिम्मेदारी का एहसास हुआ।’ दिल्ली के सत्येंद्र कुमार भी अपने शिक्षण संस्थान के जरिये ऐसे सभी युवाओं को मुफ्त में शिक्षा दे रहे हैं, जिनके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं। वे कहते हैं,‘जब इन बच्चों को अपना पसंदीदा करियर चुनते एवं उनके सपने पूरे होते देखता हूं, तो वह खुशी बेहद खास होती है।’

प्रकृति की सतरंगी छटा
हमारी प्रकृति में भी रंगों की अद्भुतअनूठी छटा दिखाई देती है, जिससे कोई भी सम्मोहित हुए बिना नहीं रह सकता। आइए जानते हैं दुनिया में बिखरे प्रकृति के कुछ ऐसे ही रंग-बिरंगे अनूठे नजारों के बारे में...

तीन रंगों वाली झील
इंडोनेशिया का केलिमुतु ज्वालामुखी चारों ओर से तीन झीलों से घिरा हुआ है। इन सभी का रंग अलग-अलग समय पर बदलता रहता है। एक झील का रंग आसमानी नीला है,दूसरे का हरा और तीसरी झील का लाल। यह प्रकृति के चमत्कार से कम नहीं है।

कई रंगों वाली उलुरु चट्टान
मध्य ऑस्ट्रेलिया में स्थित उलुरु एक ही पत्थर से बनी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी चट्टान है। सूर्योदय के समय जब सभी रंग, लाल चट्टान पर पड़ते हैं, तब यह भूरे, नारंगी, लाल, बैंगनी, तांबई आदि तमाम रंगों में नजर आती है।

ऑयल कलर सरीखा झांग्ये डैंक्सिया


डैंक्सिया लैंडफॉर्म का दृश्य किसी पेंटिंग सरीखा है। लगता है मानो किसी चित्रकार ने अपनी कल्पना की उड़ान से ऑयल कलर से रंग भर दिए हों। यहां अनेक रेड क्लिफ्स हैं। रंगों में भी काफी विविधता है। सूर्यास्त के वक्त यहां बदलते रंगों का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है।

रंग बदलता चॉकलेट हिल्स
फिलिपींस के बोहोल द्वीप के बीचोबीच स्थित चॉकलेट हिल्स कई छोटी-बड़ी पहाड़ियों का समूह है। चॉकलेट हिल्स की खासियत है कि बारिश के मौसम में यह हरा-भरा नजर आता है। मौसम बदलने के साथ यह भूरे रंग में तब्दील हो जाता है।

प्रस्तुति- अंशु सिंह

इनपुट : यशा माथुर, सीमा झा, स्मिता, नंदिनी दुबे

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