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उम्र के मोहताज नहीं होते सपने

स्त्री हमेशा से सशक्त है और उम्र के किसी भी पड़ाव पर यह साबित कर सकती है...।’ कहती हैं हाल ही में ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ से सम्मानित बाइकर और बहुमुखी प्रतिभा की धनी पल्लवी फौजदार।

By Srishti VermaEdited By: Published: Sat, 15 Apr 2017 01:35 PM (IST)Updated: Sat, 15 Apr 2017 01:48 PM (IST)
उम्र के मोहताज नहीं होते सपने
उम्र के मोहताज नहीं होते सपने

ताकत बाहर नहीं हमारे भीतरहै। सबसे बड़ी बाधा हम खुद रचते हैं। फिर कठिनाइयों की बाहरी परिस्थितियां बनती रहती हैं...। स्त्री हमेशा से सशक्त है और उम्र के किसी भी पड़ाव पर यह साबित कर सकती है...।’ कहती हैं हाल ही में ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ से सम्मानित बाइकर और बहुमुखी प्रतिभा की धनी पल्लवी फौजदार। उन्हें बाइकर के रूप में कुपोषण के खिलाफ जागरूकता लाने के लिए इस सम्मान से नवाजा गया है। उनसे हुई मुलाकात के कुछ अंश...

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शरारतों से शुरुआत
मैं मूल रूप से आगरा से हूं। पिता इंजीनियर हैं। दो भाई, एक बहन हूं। हमारी परवरिश कुछ इस तरीके से हुई कि मेरे अंदर आत्मविश्वास खूब था, पर शरारती भी बहुत थी। बाइक चलाने का शौक शरारतों में ही चढ़ा। जब अवसर मिलता बाइक लेकर चुपचाप दूर तक निकल जाती और जब पेट्रोल खत्म होता तो उसे घसीटकर घर लाती।

पिता मेरी प्रेरणा
मेरे पिता हर काम कर सकते हैं। तरह-तरह के व्यंजन बना सकते हैं। मुझे यह याद नहीं कि बाइक कभी रिपेयर होने बाहर गई हो। उस वक्त मैं पापा की मुरीद हो गई जब उन्होंने मेरे लिए समाज को मुंहतोड़ जवाब दिया। जब लोगों ने कहना शुरू किया कि बेटी को बाइक चलाने की अनुमति क्यों देते हैं तो उन्होंने साफ कहा कि मैंने बेटे-बेटी में फर्क नहीं किया। पापा की यह बात मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा बनी।

शादी के बाद ठहराव
मैंने उच्च शिक्षा हासिल की। फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद एक इटालियन कंपनी में काम भी किया। एक एक्सपोर्ट हाउस में अच्छे पद पर रही। बाइकिंग का शौक तो था ही। फिर मेरी शादी हुई। हर लड़की की जिंदगी में शादी की अहम भूमिका होती है। कहने को एक वह नए रिश्ते में बंधती है, पर वह इस एक बंधन के साथ कई-कई भूमिकाओं में आ जाती है। शादी के आठ साल तक मैंने इन्हीं भूमिकाओं को जिया। अक्सर आईने के पास खड़ी होती तो भीतर से आवाज आती कि क्या मैं वही पल्लवी हूं, जो दुनिया बदलने चली थी? इन्हीं बातों से मेरी इच्छाशक्ति को बल मिला।

खुद को पाना नए जन्म जैसा
क्या शादी के बाद स्त्रियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि वे फिर से अपने जीवन का नया अध्याय नहीं लिख सकतीं? यह सवाल हरदम परेशान करता था। शादी के बाद पति की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। मेरे पति हमेशा मेरी ढाल बनकर रहे। उन्होंने मुझे दोबारा अपने शौक के प्रति प्रेरित किया और मनोबल को टूटने नहीं दिया। हालांकि यह सब इतना आसान नहीं था। कदम-कदम पर सुनते रहे कि शादी हो गई इसलिए मुझे केवल पति-बच्चे और घर संभालना है। मैं मुश्किल सफर पर जाना चाहती थी तो कहा जाता कि मैं कार से क्यों नहीं घूमने का शौक पूरा कर लेती? ये सब बातें झेलते हुए आगे बढ़ी तो एक दिन पाया कि चुनौतियों से जूझकर अधिक निखर गई हूं। मैंने महसूस किया कि मेरा नया जन्म है। जान चुकी थी कि सपने उम्र के मोहताज नहीं होते।

मौत मेरे सामने थी
स्त्री छुई-मुई नहीं है। यात्रा के दौरान ऐसे कई पल आए जिनमें मौत से बहुत करीब से सामना हुआ। एक बार बाइक मुझ पर आ गिरी और काफी देर तक पेट्रोल मेरे ऊपर गिरता रहा।

परिवार बना ढाल
मैंने एडवेंचर राइड को चुना और रिकॉर्ड बनाने के सफर पर निकलने का फैसला लिया तो घर वाले डर गए। मां ने कहा मेरे दो बच्चों का क्या होगा तो मैंने मां से कहा कि आपके भी तो अधूरे सपने रहे होंगे। यदि मैं आपको कहूं कि दो पल देती हूं और आप अपने सपने पूरा करें तो क्या उन्हें पूरा करना नहीं चाहेंगी। यह सुनकर मां चुप थीं। फिर नहीं रोका। मेरी अनुपस्थिति में बच्चों को संभाला। पति का भरोसा तो हमेशा साथ रहता है। पिता ने तो पहले ही आत्मविश्वास की दौलत दे दी थी। अब डर नहीं लगता।

बेहतर समाज के लिए भागीदारी
बाइकर के रूप में लगातार चुनौतियों से जूझने के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहना पसंद है। नो हंगर राइड के रूप में हमने एक मोटरबाइक रैली की, जिसमें राजस्थान और मध्य प्रदेश के निर्जन इलाकों में जाकर कुपोषण के खिलाफ लोगों को जागरूक करने का काम किया। ये सब चुनौतियां पसंद हैं। मुझे लगता है कि हम किसी को प्रेरणा तभी दे सकते हैं जब खुद रखते हों चुनौतियों से आगे निकलने की जिद और लगातार आगे बढ़ने का हौसला। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान में भी सक्रिय हूं। आयोजनों में जाती हूं तो खुद में एक मिसाल बनकर जाती हूं ताकि लोग समझ सकें कि एक बेटी हर वो काम कर सकती है, जो बेटा कर सकता है। दोनों के बीच भेदभाव की बात बेबुनियाद है। इसी तरह कन्याभ्रूण हत्या के खिलाफ भी हरियाणा के विभिन्न शहरों में जाकर अभियान चलाया है।

बंद हो आरोप संस्कृति
हम लगातार आगे बढ़ रहे हैं। रोजाना एक नए मुकाम पर खड़ा मिलता है देश। खुशी होती है, लेकिन तकलीफ होती है जब लोग एक-दूसरे पर आरोप मढ़कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेते हैं। हम भ्रष्टाचार की दुहाई देकर चुप बैठ जाते हैं। उन्हें इतना जान लेना चाहिए कि जब एक हाथ से कोई ले सकता है तो दे भी सकता है। भ्रष्ट तो दोनों हैं। किस-किस को कहेंगे कि आप भ्रष्ट हैं और इस वजह से चुप कब तक रहेंगे। क्यों न अपनी जिम्मेदारियों पर फोकस रहकर अपना काम किया जाए। अपनी नजर में ईमानदार बनें ताकि आईने के सामने खड़े हों तो शर्मिंदा न महसूस करें।

‘पति ने कहा था कि जब कमजोर महसूस करना तो खुद को मेरी नजर से देखना। जान पाओगी कि तुम कितनी सशक्त और ऊर्जावान हो।’ पति की यह बात मुझे हमेशा ऊर्जा देती है।

एक नजर
पल्लवी फौजदार
जन्म स्थान आगरा
नारी शक्ति पुरस्कार (महामहिम राष्ट्रपति से प्राप्त)
-हिमालय के आठ सबसे कठिन मार्ग तक पहुंचने का कीर्तिमान। ये तकरीबन पांच हजार फीट की ऊंचाई पर
हैं। लिम्का बुक ऑफ रिकॉड्र्स में दर्ज।
-माणा पास तक पहुंचने वाली दुनिया की पहली महिला जो मोटरसाइकिल से वहां पहुंची हैं। यह कीर्तिमान
भी लिम्का बुक ऑफ रिकॉड्र्स में दर्ज।

-सीमा झा

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