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पुस्तक चर्चा: बेचैन करती यथार्थपरक कहानियां

राजनीतिक और जातिगत टकराव के बीच छटपटाते अभिजीत और वैशाली जैसे दो छात्रों का प्रेम है। रोचकता के साथ आगे बढ़ती कहानी को टीका जैसे पात्र की संवेदनशीलता एक उल्लेखनीय चरम पर ले जाती है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Tue, 18 Apr 2017 01:19 PM (IST)Updated: Wed, 19 Apr 2017 03:21 PM (IST)
पुस्तक चर्चा: बेचैन करती यथार्थपरक कहानियां
पुस्तक चर्चा: बेचैन करती यथार्थपरक कहानियां

पूरे ठहराव के साथ एक एक बारीक पर्त खोलते हुए गांव और कस्बे की पृष्ठभूमि पर यथार्थपरक और विविधतापूर्ण कहानियों के प्रस्तुत संग्रह की पहली रचना 'उनके पर जाने और ये आसमां जाने' में कस्बे का आधुनिकता का चोला पहनता हुआ कॉलेज है जहां पढ़ाई से अधिक गुंडागर्दी और राजनीति का बोलबाला है, जहां बाहुबलियों के राजनीतिक और जातिगत टकराव के बीच छटपटाते अभिजीत और वैशाली जैसे दो छात्रों का प्रेम है। रोचकता के साथ आगे बढ़ती कहानी को टीका जैसे पात्र की संवेदनशीलता एक उल्लेखनीय चरम पर ले जाती है।

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'यही ठइयां नथिया हेरानी' में 'मैं' पात्र की बेलसा नाम की बुआ जितनी सुंदर है उतनी ही अकेली है, एक टुकड़ा अपनापन तलाशती हुई। अपने चचेरे भाई और भाभी के पास रहते हुए उपेक्षित जीवन जी रही है। उसकी अभिलाषा, कुंठा, दर्द आदि भावों की पड़ताल करती यह एक बेचैन कर देने वाली कहानी है।

'अगिन असनान' में गांव के सीधे सादे मंगरू और उसकी पत्नी, सुनैना का अभिशप्त जीवन है जहां जमीन-जायदाद का मोह खून के रिश्ते पर भारी पड़ता है। जब एक पत्रकार के मुंह से सुनैना के सती होने की असलियत खुलती है तो कहानी पाठकों को भीतर तक हिला जाती है। छात्र जीवन में लड़के और लड़की के बीच के इन्फैचुएशन को बहुत गहराई से 'आखिरी कसम' कहानी में बयान किया गया है।

छोटे सरकारी कार्यालय से एक घड़े की खरीद के आवेदन के बार-बार बड़े कार्यालय से लौट आने वाले विषय की व्यंग्यात्मक और चुटीली कहानी है 'घड़े का दुख' वहीं शीर्षक कहानी में बाल्मीकि और सुगंधा जैसे किशोरों के मासूम प्रेम तथा गांव में डोम और सवर्ण जातियों के बीच की दुर्भाग्यपूर्ण स्थितियों का जिस तरह अनोखा चित्रण किया गया है उससे यह दलित चेतना की श्रेष्ठ कहानी कहला सकती है।

पुस्तक : उम्र पैंतालीस बतलाई गई थी

लेखक : आशुतोष

प्रकाशक : आधार प्रकाशन प्राइवेट

लिमिटेड एस.सी.एफ.267, सेक्टर-16

पंचकूला-134113 (हरियाणा),

मूल्य: 120 रुपये

श्याम सुंदर चौधरी


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