स्मार्ट चश्मे से आंखों में उतरती दुनिया
मैप, ई-मेल, फिल्म, वीडियो रिकॉर्डिंग आदि हाइटेक ग्लास पर उपलब्ध
दुनिया का आंखों में सिमट आना पहले कवियों व शायरों की कल्पना व उनकी रचनाओं में ही शामिल हुआ करता था, लेकिन अब यह कल्पना संचार क्रांति के इस दौर में हकीकत साबित हो रही है। यह संभव हो रहा है ‘स्मार्ट ग्लास’ के जरिए। मनचाही जानकारी, मैप, फोटो, ई-मेल, वीडियो रिकॉर्डिंग, लोकेशन गाने व फिल्मों से लेकर हर वह चीज इस हाइटेक ग्लास पर उपलब्ध है, जो हमें अपने फोन या लैपटॉप पर दिखती है। गूगल से लेकर कई अन्य कंपनियों ने इस तरह का ग्लास उतारा है जिसे लेकर युवाओं में काफी क्रेज देखने को मिल रहा है।
क्या है स्मार्ट ग्लास
एक ऐसा चश्मा होता है जिसके एक कोने में छोटा सा कंप्यूटर लगा होता है। जिसे आवाज की कमांड देकर एक्टिव किया जा सकता है। यह ग्लास किसी भी एंड्रॉइड फोन से कनेक्ट हो जाता है। टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट शारिक के मुताबिक गूगल द्वारा उतारा गया स्मार्ट ग्लास ‘ओके ग्लास’ बोलने मात्र से एक्टिवेट हो जाता है। यह ‘शो माइ लोकेशन’, ‘शो मी द मैप’, ‘शो मी द लोकेशन’ जैसे कमांड पर तीव्रता से काम करता है।
सुरक्षा के लिहाज से महिलाओं में लोकप्रिय
हाइटेक ग्लास सुरक्षा के लिहाज से काफी सहायक साबित हो रहे हैं। इनके जरिए कभी भी किसी भी स्थिति में अपनी लोकेशन व वहां होने वाली गतिविधियों की जानकारी लाइव वीडियो के तौर पर अपने मित्रों व परिवारजनों को भेजी जा सकती है। अपराधी को किसी तरह के अलर्ट भेजने की भनक भी नहीं लगती क्योंकि देखने में यह गैजेट एक स्टाइलिश चश्मा ही होता है। सुरक्षा एक्सपर्ट वीना गुप्ता के मुताबिक शहरों में महिलाओं को रात में भी अकेले घरों से बाहर जाना होता है। ऐसे में इस तरह के गैजेट काफी मददगार साबित होते हैं।
ज्यादा देर तक उपयोग छोड़ सकता है दुष्प्रभाव
आंखें शरीर का सबसे कोमल अंग होती हैं। ऐसे में किसी भी चीज को आंखों पर लगाने से पहले कई बार सोचना चाहिए। वैसे तो कंपनियां आई सेफ ग्लास निकाल रही हैं फिर भी डॉक्टर कहते हैं कि किसी भी चीज की अति खराब होती है ऐसे में इसके पीछे दीवानगी भी ठीक नहीं है। जरूरी नहीं कि इसे 24 घंटे पहना जाए, इससे दुष्प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं
विभिन्न नामों से आए हाइटेक ग्लास
ग्लासअप, मेटास्पेस ग्लासेज, अथीर वन, ओआरए, रेकॉन जेट व टेलीपैथी वन के अलावा सबसे लोकप्रिय हैं । इन सभी ग्लासेज के काम एक से हैं। हालांकि यह हाइटेक ग्लासेज थोड़े महंगे हैं, लेकिन ‘गैजेट फ्रीक’ युवाओं में इसको लेकर काफी क्रेज हैं व उनके लिए इन गैजेट्स की कीमत मायने नहीं रखती। ग्लासेज साठ हजार रुपए से लेकर और अधिक दामों में आते हैं।
यह अभी तक का लेटेस्ट इनोवेशन है जो युवाओं को सुविधाओं के साथ साथ सुरक्षा भी मुहैया करवा रहा है। विदेशों में तो इसकी मांग थी ही अब धीरे धीरे यहां के युवाओं में भी जागरूकता आ रही है। विभिन्न कंपनियां इसकी क्वालिटी में लगातार सुधार कर रही हैं।- शारीरिक, टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट, गुरुग्राम
सुरक्षा बड़े शहरों की बड़ी चुनौती है और वेयरेबल टेक्नोलॉजी इससे निपटने की सबसे कारगर तरीका साबित हो रहे हैं। मैंने भी स्मार्ट ज्वेलरी डिजाइन की है और वह भी लोगों में पसंद की जा रही है। इस दौर में इस तरह की टेक्नोलॉजी को युवा बहुत सराह रहे हैं।- अदिति चड्ढा, वेयरेबल टेक्नोलॉजी डिजाइनर, दिल्ली
सुविधा, सुरक्षा व फैशन से लेकर मेडिकल तक के क्षेत्र में यह एक क्रांति है। इससे जीवन और आसान हो जाएगा। इसका आंखों पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ सकता क्योंकि यह पावर नहीं है बल्कि एक प्रीज्म है। हां, ज्यादा देर तक लगातार उपयोग आंखों में तनाव पैदा कर सकता है। लेकिन अभी तक कोई दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है।- डा. हीतेंद्र आहुजा, नेत्र रोग विशेषज्ञ, गुरुग्राम
-प्रियंका दुबे मेहता