जब पेड़ की डाल टूटकर रास्ते पर गिरी...
पिछले साल बरसात की बात है। एक दिन शाम को मैं घर से कोचिंग के लिए निकला ही था कि रास्ते में ही मूसलाधार वर्षा होने लगी। रास्ते के दोनों तरफ बड़े-बड़े घने वृक्ष लगे हुए थे, जिनमें से एक पेड़ की मोटी डाल टूटकर रास्ते पर गिर गई थी।
पिछले साल बरसात की बात है। एक दिन शाम को मैं घर से कोचिंग के लिए निकला ही था कि रास्ते में ही मूसलाधार वर्षा होने लगी। रास्ते के दोनों तरफ बड़े-बड़े घने वृक्ष लगे हुए थे, जिनमें से एक पेड़ की मोटी डाल टूटकर रास्ते पर गिर गई थी। इससे राहगीरों को बड़ी परेशानी हो रही थी। सभी लोग किनारे से होकर निकल रहे थे, पर किसी ने भी उसे हटाने के बारे में नहीं सोचा।
यह देखकर मुझे बड़ा अजीब लगा। तभी मेरे मन में एक ख्याल आया कि क्यों न मैं भी रास्ते के किनारे से होकर निकल जाऊं। मैं यह देखना चाहता था कि डाल को हटाने की बात जो मेरे मन में आई है, क्या किसी और के मन में आती है या नहीं। कोचिंग से लौटने के बाद मैंने देखा कि डाल वैसी ही पड़ी हुई है, उसे किसी ने हटाया नहीं। इसके बाद मैंने अपनी साइकिल को सड़क के किनारे खड़ा किया और डाल को खींचने लगा। डाल बहुत भारी थी, फिर भी मैं उसे खींचकर किनारे करने में सफल हो गया और लोग आराम से वहां से गुजरने लगे।
आम तौर पर हम लोग केवल अपनी सुविधा के बारे में सोचते हैं, दूसरों की सुविधा के बारे में नहीं। आखिर हम इंसान हैं, हमें दूसरों की भलाई जरूर करनी चाहिए।