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मनोबल रहे ऊंचा

मैं हर साल प्रथम श्रेणी में पास हुआ। कक्षा दस की बोर्ड परीक्षा के लिए तो मैंने ठान लिया था कि मैं अपनी मेहनत और लगन से कॉलेज में टॉप करूंगा। जब मेरा रिजल्ट इंटरनेट पर घोषित हुआ, तो मैं यह देखकर बेहद खुश हुआ कि मैंने 90 परसेंट अंक पाकर कॉलेज टॉप किया है। अब मुझे

By Edited By: Published: Fri, 08 Aug 2014 12:33 PM (IST)Updated: Fri, 08 Aug 2014 12:33 PM (IST)
मनोबल रहे ऊंचा

मैं हर साल प्रथम श्रेणी में पास हुआ। कक्षा दस की बोर्ड परीक्षा के लिए तो मैंने ठान लिया था कि मैं अपनी मेहनत और लगन से कॉलेज में टॉप करूंगा। जब मेरा रिजल्ट इंटरनेट पर घोषित हुआ, तो मैं यह देखकर बेहद खुश हुआ कि मैंने 90 परसेंट अंक पाकर कॉलेज टॉप किया है। अब मुझे 11वीं कक्षा में एडमिशन लेना था।

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मैंने शुरू के पांच-छह दिन तो क्लास अटेंड की, इसके बाद क्लास ड्रॉप करने लगा। मुझे लगा जिस तरह हाईस्कूल में टॉप किया, उसी तरह 11वीं में भी कर लूंगा। 11वीं की परीक्षा का रिजल्ट आया, तो सभी बच्चे कॉलेज गए। प्रार्थना स्थल पर उन बच्चों के नाम घोषित किए जाते थे, जो कक्षा में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर आते थे। जब नाम घोषित हुए, तो कक्षा 11 में टॉप थ्री में मेरा नाम कहीं नहीं था। वहां सब हैरान थे। मैं चुपके से पंक्ति से बाहर निकला और घर आ गया। मैं समझ नहीं पा रहा था कि घर वालों से क्या कहूंगा। जो हमेशा प्रथम आता था, वह तीसरे स्थान पर भी नहीं था। पर मैंने खुद को कमजोर नहीं पड़ने दिया। मेरे घर वालों ने मेरी हिम्मत बढ़ाई। 12वीं के लिए फिर से मैंने कठिन परिश्रम किया और खूब पढ़ाई की। मेरी मेहनत और लगन रंग लाई। इसलिए दोस्तो, कभी किसी काम को छोटा या आसान नहीं समझना चाहिए कि तुम उसे छोड़ दो। वहीं, किसी काम को इतना मुश्किल भी नहीं समझना चाहिए कि तुम कर ही न सको। मनोबल एक बहुत बड़ा गुण है। पूरी लगन और मेहनत से किसी चीज को पाने की सोचो, तो वह जरूर मिलती है।


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