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बच्चे की माउथिंग हैबिट से हैं परेशान तो अपनाये ये टिप्स

एक मां होने के नाते आपको अपने बच्चे को लेकर इस बात का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है कि वे किन चीजों को अपने माउथ के संपर्क में ला रहे हैं जो उनके लिए हानिकारक हो सकता है।

By Srishti VermaEdited By: Published: Tue, 14 Feb 2017 12:27 PM (IST)Updated: Tue, 14 Feb 2017 02:11 PM (IST)
बच्चे की माउथिंग हैबिट से हैं परेशान तो अपनाये ये टिप्स
बच्चे की माउथिंग हैबिट से हैं परेशान तो अपनाये ये टिप्स

अगर आपके घर पर सात महीने से ज्यादा उम्र के बच्चे हैं तो ये लाजिमी है कि वे अपने आस-पास पड़े हर सामान को अपने मुंह में लेते रहेंगे और आप इस उनकी इस आदत से परेशान हो चुके होगें। एक मां होने के नाते आपका उनकी स्वास्थ्य को लेकर चिंता भी जायज है। टीवी का रिमोट हो, पेन, या कार की चाबी वे जैसे जैसे थोड़ा एक्टिव होते हैं अपने आस पास पड़े हर सामान को अपने मुंह में लेने की आदत बना लेते हैं। लेकिन आप अपनी व्यस्तता के बीच उन्हें हर मौके पर ऐसा करने से रोक नहीं सकते हैं।
शोध की मानें तो बच्चे अपनी सर्वाइवल के लिए ऐसा करने के लए बाध्य होते हैं। इनके इस एक्टिविटी के पीछे उनका दिमाग इस चीज के लिए उत्तरदायी होता है। उनके लिए उनका सेंसर उनकी जीभ और उनकी उंगलियां ही होती हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं क्या कारण है कि वे सभी चीजों को अपने मुंह में लेने लगते हैं-

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-बच्चों में साधारणत ये जिज्ञासा होती है और वे हर वो चीजों को अपने हाथों से पकड़ कर उसका अनुभव करना चाहते हैं और उसके बारे में ज्यादा से ज्यादा पता करना चाहते हैं।

-वे अपने छोटी उंगलियों का इस्तेमाल नहीं कर पाने के कारण और चीजों के प्रति और ज्यादा जांच पड़ताल करने के लिए इसे अपने मुंह में लेना शुरु कर देते हैं और अपने सेंसर ऑर्गन जीभ से टेस्ट करके उसके बारे अनुभव लेते हैं।
-कभी कभी चीजों को अपने दांतों से पकड़ कर उसे चबाना और काटना भी इस बात की ओर संकेत करता है कि वे इस दौरान सीखते हैं कि अपने बॉडी के इन पार्ट्स का वे किस तरह से यूज कर सकते हैं। इसकी वजह से उनके मसूड़े भी स्ट्रॉंग होते हैं जिससे वे बाद में बोलने और खाना खाने के लिए सक्षम हो जाते हैं।
-इससे उन्हें ये भी अनुभव होता है कि कौन-कौन सी चीजों का टेस्ट अच्छा है और कौन सी चीजों का टेस्ट खराब है। ये इस उम्र के बच्चों के लिए सामान्य सी बात है।

-जब बच्चे इतने सक्षम हो जाते हैं कि वे घिसटना शुरु कर देते हैं आपको उनके लिए ज्यादा सावधान हो जाना पड़ता है क्योंकि उनेक खिलौनों में कई बार कुछ हानिकारक पार्ट्स होते हैं और उन्हें नुक्सान भी पहुंचा सकते हैं।

ये एक तरह से उनके लिए सकारात्मक अनुभव है लेकिन बावजूद इसके उनकी सुरक्षा के लिए आपको उनके उपर एक नजर बनाए रखना चाहिए। यहां हम आपको बता रहे हैं कुछ सुरक्षा के तरीके जिससे आप उनकी आदत पर लगाम लगा सकती हैं साथ ही उन्हें इससे सुरक्षित रख सकती हैं।

उनके आसपास से खतरनाक और हानिकारक चीजों को हटा दें- बच्चों को ये पता नहीं होता है कि कौन सी चीजें उनके लिए खतरनाक है और कौन सी नहीं। उन्हें अपने आस पास की सभी चीजें आकर्षक और खूबसूरत लगती हैं और वे उन सभी चीजों का अनुभव करना चाहते हैं और अपनी आदत के अनुसार वे उन्हें टेस्ट करके महसूस करते हैं। इसलिए बेहतर ये होगा कि आप पहले से ही सावधान होकर उनके पास से सारी हानिकारक चीजों को हटा दें।

उन्हें ना का मतलब समझायें- कभी कभी आपके बच्चे ऐसे सामानों को उठा कर टेस्ट करना शुरु देते हैं जो उनके लिए सही नहीं है। उन्हें इसी समय से ना का मतलब समझायें और सही और गलत में फर्क बतायें। बाद में वे भले ही आपकी बात नहीं मानेंगे लेकिन आपके ना का मतलब समझ जायेंगे।

उन पर चिल्लायें नहीं और डांटें नहीं- जिज्ञासु प्रवृत्ति होने के कारण बच्चों में ये आदत स्वाभाविक होता है। उन्हें डांटे नहीं या उन पर चिल्लायें नहीं, ऐसा करने से वे हतोत्साहित होंगे और उनमें सीखने की ललक कम हो जाएगी। इससे बेहतर ये है कि आप उनके खेलने के समय उनके आस पास ही रहें और उन पर नजर रखें।

जर्म्स से छुटकारा दिलायें- सभी चीजों को जर्मफ्री करना आपके लिए संभव नहीं है, लेकिन आपके बच्चे का बैक्टीरिया और वायरस से होने वाली बीमारी से बचाकर रखना भी उतना ही जरुरी है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि वे उन खिलौनों को मुंह ना लगायें जो उससे पहले किसी बीमार बच्चे ने उसे टेस्ट कर रखा हो। उनके हाथ औऱ उनके खिलौनों को बार-बार धोकर रखने की आदत डालें।

क्यों ना एक टीथर का इस्तेमाल करें- कभी कभी बच्चे इसलिये चीजों को मुंह में लेते हैं क्योंकि उन्हे अपने दांतों से चबाने की आदत हो जाती है। इसके लिए बेहतर ये होगा कि आप उनके लिए टीथर लाकर दें जो उनके मसूडों को आराम भी दे और वे उनमें व्यस्त भी रहें।


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