आपका बच्चा भी तो नहीं कर रहा शैतानियों की हदें पार, ऐसे करें डील
बच्चों की शैतानियां कभी कभी पेरेंट्स के नाक में दम कर देती हैं ऐसे में बहुत से पेरेंट्स अपना आपा खो बैठते हैं और वे ऐसा कर बैठते हैं जिसका बाद में गलत परिणाम होता। सोच समझ कर कदम उठाएं।
नीचे दिये जा रहे प्वांइंट्स जो आपको बतायेंगे कि बच्चों के शैतानी की हद पार हो जाने पर क्या करना चाहिए
पहले जब आपके बच्चे नहीं होंगे तो कभी आपने दूसरे के बच्चों को बदमाशियां करते देखा होगा और उनके जिद भरे नखरे देखे होंगे जो काफी गुस्सा दिलाने वाला होते हैं। ऐसा देखकर आपने ये जरुर मन में कहा होगा कि हमारे बच्चे ऐसे तो कभी नही होंगे। हम आसानी से ये कल्पना तो कर लेते हैं लेकिन शैतानी बच्चों का स्वभाव होता है। चाहे वो आपके बच्चे हों या किसी और के वे शैतानी करने से बाज नहीं आयेंगे।
सबसे पहली बात दिमाग में ये डालना बहुत जरुरी है कि बच्चे शैतान नहीं होते हैं, दरअसल बचपन में उनका दिमाग व्यवस्थित नहीं होता है और वो अपने आस पास के तौर तरीकों से वाकिफ नहीं होते हैं परिणामस्वरुप वो ऐसी हरकते करते हैं जो उन्हें समझ नहीं आती और वो आपको गुस्सा दिला जाती है।
यहां कुछ टिप्स दिये जा रहे हैं जिससे आपको आइडिया मिल जाएगा कि ऐसे मौके आने पर आपको उनके साथ कैसे डील करना है।
उन पर कभी चिल्लायें नहीं
बच्चों की शैतानियों पर गुस्सा करते हुए भी अपने गुस्से पर कंट्रेल करना बहुत ही मुश्किल होता है। लेकिन ये करना जरुरी है क्योंकि आपकी एक उंची आवाज और आपकी डांट उन्हें अंदर से डरा कर रख देती है। इसके बदले बेहतर ये होगा कि आप एक गहरी सांस लें और कूल माइंड से इससे डील करने की कोशिश करें।
झापड़ रसीद करने से बचें
अक्सर पैरेंट्स या घर के बड़े बच्चों की शैतानियों पर उन्हें बिना कुछ सोचे समझे थप्पड़ लगा देते हैं जो तार्किक नहीं है। ऐसा करने से आप उस समय तो बच्चे को धमका कर अपने कंट्रोल में कर सकते हैं लेकिन इसका लॉंगटर्म प्रभाव उल्टा पड़ता है, और आगे के लिए फायदेमंद नहीं होता है।
अपनी फीलींग्स को इग्नोर ना करें
बच्चे स्पॉंज की तरह कोमल होते हैं। वे सभी कुछ अपने अंदर एब्जॉर्ब कर लेते हैं और वैसे ही बिहेवियर उनके व्यवहार में भी रिफ्लैक्ट होने लगता है। वे आपका गुस्सा, आपका स्ट्रेस और टेम्पर सभी को एब्जॉर्ब करके वैसा ही रियेक्ट करना शुरु कर देते हैं। इसलिए उनके सामने सोच समझ कर अपनी फीलींग्स को जाहिर करें।
पैसों के मामले में उन्हें अंधेरे में ना रखें
बच्चों को उनके सवाल पूछने के आदत से कभी रोकें नहीं। उन्हें घर पर होने वाले सेविंग और खर्च का पूरा नॉलेज होना चाहिए। उन्हे उनके अपने बजट को लेकर भी सजग और जागरुक होने को कहें। दस वर्ष पूरा कर लेने पर धीरे धीरे उनसे ये बातें शेयर करनी शुरु कर देनी चाहिए।
बच्चों से कभी भी बेस्ट की उम्मीद मत रखें
बच्चों के उपर कभी अपनी मर्जी थोपें नहीं। अगर आप हमेशा अपनी मर्जी के मुताबिक चीजें सोचते रहेंगें तो इसका उन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
इस बात की चिंता ना करें कि वे आपको पसंद नहीं कर रहे हैं
बहुत सारे पैरेंट्स की ये चिंता रहती है कि वे अपने बच्चों के साथ स्ट्रिक्ट रुप से पेश आते हैं तो वे उन्हें पसंद नहीं करते हैं। लेकिन इसमें चिंता करने वाली कोई बात नहीं है। आपको कभी-कभी उनके साथ अनुशासन बना कर चलना ही पड़ेगा। ऐसे ही वे सही और गलत के बीच फर्क को समझ पायेंगे। याद रखें कि आप उनके पेरेंट्स हैं, उनके दोस्त नहीं। इस बात से आहत ना हों कि वे आप पर कमेंट करते हैं कि आप कूल नहीं हो या आप नाइस नहीं हो।
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