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ट्रिपल बॉटम लाइन PPP अपनाएं

पीपल, प्लैनेट और प्रॉफिट के ट्रिपल बॉटम लाइन फॉर्मूले को अपनी लाइफ का सीक्रेट मंत्र बता रहे हैं अहमदाबाद स्थित इनोवेशन स्कूल माइका के प्रेसिडेंट ऐंड डायरेक्टर डॉ. नागेश राव...

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 18 Feb 2015 12:46 PM (IST)Updated: Wed, 18 Feb 2015 12:50 PM (IST)
ट्रिपल बॉटम लाइन PPP अपनाएं

पीपल, प्लैनेट और प्रॉफिट के ट्रिपल बॉटम लाइन फॉर्मूले को अपनी लाइफ का सीक्रेट मंत्र बता रहे हैं अहमदाबाद स्थित इनोवेशन स्कूल माइका के प्रेसिडेंट ऐंड डायरेक्टर डॉ. नागेश राव...

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मेरी स्कूलिंग चेन्नई में हुई है। वहां मेरी बॉयोलॉजी टीचर शांता मैम बहुत ही इंस्पायरिंग थीं। मैं अमूमन अपने असाइनमेंट्स को लेकर आलसी था। उनकी ही प्रेरणा से मैं अपना बेस्ट कर पाता था। एक दिन मैंने अपना असाइनमेंट सबमिट किया। उन्होंने मेरे सामने पूरा असाइनमेंट पढ़ा। मुझे तीन घंटे तक बैठाकर उसकी गलतियां ठीक कराती रहीं। वह तब तक उसमें चेंज कराती रहीं, जब तक उन्हें यह भरोसा नहीं हो गया कि अब यह बेस्ट है। सबसे अमेजिंग बात यह थी कि ऐसा मैं अकेला नहीं था। वह अपने हर स्टूडेंट के लिए ऐसी ही थीं। वह ऐसा क्यों करती थीं, यह बहुत बाद में समझ में आया। तब से मैं हर काम को तब तक करता हूं, जब तक कि वह बेस्ट नहीं हो जाता है।

अंदर से मिली ताकत

हमारे अंदर ही पूरी कायनात की ताकत होती है। हमारा आत्मबल हमसे कुछ भी करा सकता है। उस आत्मबल को पहचानना होगा। मेरे अंदर की ताकत मेरी फैमिली की देन है। मेरी फैमिली ने इसका बार-बार एहसास कराया, खासतौर पर मेरे बच्चों ने।

दूसरों के लिए पॉजिटिव क्या

मेरी सोच है कि मुझे कुछ ऐसा करना है, जिससे किसी की जिंदगी में कुछ पॉजिटिव बदलाव आएं। यह सोच हमेशा कुछ नया करने को प्रेरित करती है। यही सोच मुझमें नई ऊर्जा का संचार करती है। यह सोच आपको हर मुश्किल से पार ले जाती है।

मेरा सबसे बड़ा इनोवेशन

माइका में मेरा सबसे बड़ा इनोवेशन है टीचर्स के वर्किंग ऑवर्स की फ्लैक्सिबिलिटी। उन्हें हर रोज किसी फिक्स्ड टाइम में इंस्टीट्यूट नहीं आना पड़ता। हर टीचर को पढ़ाने की आजादी है। साल भर में उन्हें कितना रिसर्च करना है, कितना पढ़ाना है, यह तय है। अब उसे वे किस तरह अचीव करते हैं, उसके लिए हर रोज कितने बजे से कितने बजे तक पढ़ाते हैं, ये सब उनका खुद का सिरदर्द है।

जोश के साथ होश

यूथ में इनोवेशन के लिए एक्सपीरियंस और उत्साह दोनों होना बेहद जरूरी है। इसी तरह पैशन और कमिटमेंट दोनों बराबर ही इंपॉर्टेंट हैं। देश और दुनिया का भविष्य युवाओं पर टिका हुआ है। युवाओं को बहुत सोच-समझ कर चलने की जरूरत है। अपने जोश और उत्साह का सही दिशा में इस्तेमाल करें, तो उनके साथ-साथ समाज को भी बहुत कुछ मिल सकता है।

इंस्पिरेशनल हो लीडर

हर युवा लीड करना चाहता है, लेकिन आज टीम लीडर के लिए इंस्पिरेशनल और इंस्ट्रक्शनल दोनों होना बहुत जरूरी है। लीडर को चाहिए, जो काम उसकी टीम को दिया गया है, उसे वह सफलतापूर्वक करवा ले। उसकी टीम और उसके बीच यूनिटी के बिना यह नहीं हो सकता।

सक्सेस का हालमार्क है लीडरशिप

नेक्स्ट जेनरेशन काफी स्मार्ट है, फिर भी उसे दिल की गहराइयों से अपने काम के प्रति डेडिकेशन डेवलप करने की जरूरत है। यह डेडिकेशन कमिटमेंट से आगे बढ़ती है। ऑनेस्टी और वर्क पॉलिसीज में स्ट्रॉन्ग एथिकल स्ट्रेंथ इसे मजबूती देता है। ये सारी क्वालिटीज सफल लीडर के लिए हालमाक्र्स हैं।

ट्रिपल बॉटम लाइन का सीक्रेट

माइका में, हम ट्रिपल बॉटम लाइन पर काम करते हैं-पीपल, प्लैनेट और प्रॉफिट। पीपल से आशय है सोशल एलिमेंट्स, प्लैनेट से आशय है? एनवॉयर्नमेंट और प्रॉफिट का आशय है फाइनेंशियल नीड्स और खर्च। इस पर मैनेजमेंट की लंबी-चौड़ी थ्योरी है। लाइफ के मैनेजमेंट में भी यह उतना ही इंपॉर्टेंट है। अगर आप इन तीनों बातों का ख्याल रखेंगे, तो सफलता खुद-ब-खुद आपके पास आएगी।

-प्रेसिडेंट ऐंड डायरेक्टर, माइका

-फैकल्टी, इंटर कल्चरल कम्युनिकेशन इंस्टीट्यूट, ओरेगांव, यूएसए

एजुकेशन

-पीएचडी, इंटर कल्चरल कम्युनिकेशन, मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी, यूएसए एक्सपीरियंस

-असिस्टेंट प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड

-एसोसिएट प्रोफेसर, अंतरिम डायरेक्टर, ओहियो यूनिवर्सिटी

-एसोसिएट प्रोफेसर, न्यू मैक्सिको यूनिवर्सिटी

-प्रोफेसर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, अहमदाबाद

बिजनेस आइडल

-मोहम्मद यूनुस। बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक की शुरुआत कर उन्होंने दिखा दिया कि पीपल, प्लैनेट और प्रॉफिट, तीनों किस तरह एक साथ हासिल किए जा सकते हैं।

प्रेरणा-स्रोत

-मेरे बच्चे। मेरा मानना है कि बच्चों से हम बड़े बहुत कुछ सीख सकते हैं, क्योंकि वे हर मुश्किल का आसान सॉल्यूशन दे देते हैं।

सक्सेस के मायने

-2002 में ओहियो यूनिवर्सिटी के अंडर ग्रेजुएट स्टूडेंट्स ने मुझे प्रोफेसर ऑफ द ईयर के लिए वोट किया। मेरे लिए सबसे बड़ी सफलता यही है।

इंटरैक्शन : मिथिलेश श्रीवास्तव


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