Think हटके काम करें जमके
यूपी-पीसीएस एग्जाम 2013 में 5वीं रैंक हासिल करने वाले अविनाश त्रिपाठी ने परत-दर-परत खोले इस एग्जाम में अपनी सफलता के राज, जानें उनकी सक्सेस स्टोरी...
यूपी-पीसीएस एग्जाम 2013 में 5वीं रैंक हासिल करने वाले अविनाश त्रिपाठी ने परत-दर-परत खोले इस एग्जाम में अपनी सफलता के राज, जानें उनकी सक्सेस स्टोरी...
मेरा जन्म यूपी और बिहार के बॉर्डर पर स्थित बलिया जिले में हुआ। पिताजी वहींसतीश चंद्र कॉलेज में हिस्ट्री के रीडर थे। हमारी तरफ सिविल सर्विसेज का जबर्दस्त क्रेज है। ज्यादातर स्टुडिअस स्टूडेंट्स से उम्मीद की जाती है कि वे आइएएस बनेंगे। ऐसे स्टूडेंट्स तैयारी के लिए इलाहाबाद या दिल्ली जाते भी हैं, लेकिन मैं थोड़ा अलग था।
प्रोफेसर बनना चाहता था
पिताजी की इच्छा थी कि मैं आइएएस बनूं, लेकिन मैं प्रोफेसर बनना चाहता था, वह भी बॉटनी का ही। पेड़-पौधों से बहुत ज्यादा लगाव था। इंट्रेस्ट के साथ पढ़ाई करता था। नतीजा यह हुआ कि बीएससी हो या एमएससी, हर एग्जाम में टॉप करता गया। आगे चलकर असिस्टेंट प्रोफेसर भी बन गया।
वर्क एरिया बढ़ाना जरूरी
धीरे-धीरे मुझे लगा कि मेरा दायरा सीमित रह गया है। मैं अपनी कैपेसिटी का इस्तेमाल सिर्फ कुछ स्टूडेंट्स तक ही कर रहा हूं। मुझे लगा कि मुझे यह दायरा बढ़ाना चाहिए। मुझे लगा कि मैं अपनी प्रशासनिक क्षमताओं का इस्तेमाल समाज के लिए व्यापक स्तर पर कर सकता हूं, जो नहींकर रहा हूं। इसलिए मैंने सिविल सर्विसेज एग्जाम्स देना शुरू किया।
निराशा से निकली आशा की किरण
2012 के यूपी-पीसीएस एग्जाम के जरिए मेरा सलेक्शन पहले ही ट्रेजरी ऑफिसर पद पर हो चुका है। उसके बाद 2013 में मेन्स एग्जाम के दौरान एग्रीकल्चर का पेपर उम्मीद के मुताबिक उतना अच्छा नहीं हुआ। एक दिन के बाद बॉटनी का पेपर था। मैं थोड़ा नर्वस हो गया। एक क्षण के लिए मन में आया कि अच्छी रैंक नहीं आ पाएगी, क्यों न एग्जाम ही छोड़ दूं, लेकिन कुछ देर सोचने के बाद और वाइफ से डिस्कस करने के बाद यही ख्याल आया कि चाहे कुछ भी आए इस बार मुझे अच्छी रैंक मिलकर रहेगी। फिर अगले दिन मैं पेपर देने चला गया। आज नतीजा आप सबके सामने है।
बॉटनी के साथ एग्रीकल्चर क्यों चुना?
- पेड़-पौधों में रुचि और सिलेबस मिलता-जुलता होने की वजह से
जॉब के साथ-साथ कैसे तैयारी की?
- बॉटनी पर पीएचडी किया था। इसलिए पूरा कमांड था। कॉलेज जाने से पहले सुबह और आने के बाद रात को थोड़ी पढ़ाई कर लेता था। मेरी पत्नी का इसमें काफी सहयोग मिला।
सफलता का क्रेडिट किसे देंगे?
- अपनी बेटी को, जो दिनभर ऑल द बेस्ट विश किया करती थी।
इंटरव्यू में पूछे गए सवाल
मेरा इंटरव्यू डॉ. राजेंद्र कुमार के बोर्ड में था। इंटरव्यू करीब 20-22 मिनट तक चला।
सवाल: पीएचडी, एसआरएफ के बाद प्रशासन क्यों?
जवाब: एडमिनिस्ट्रेशन में इंट्रेस्ट की वजह से।
सवाल: एडमिनिस्ट्रेटर की क्या खासियत होती है?
जवाब: गुड लिसेनर
सवाल: आप में यह क्वालिटी हैं? उदाहरण दें।
जवाब: हां, मुझे अपनी क्लासेज के दौरान अलग-अलग स्टूडेंट्स की प्रॉब्लम्स सुननी पड़ती थी। सबको सुनता था और सॉल्यूशन देता था।
सवाल: कोई और क्वालिटी?
जवाब: टीम लीडरशिप। इसका मतलब यह कि सबकी राय का सम्मान करना चाहिए और यथासंभव अपने एक्शन में शामिल भी करना चाहिए।
कुछ फैक्चुअल क्वैश्चंस
- कौन-से प्लांट्स मिट्टी को साफ रखने में मदद करते हैं?
-बॉयो-स्फेयर क्या होता है? बायोस्फेयर रिजर्व क्यों बनाए जाते हैं?
-ब्लैक मनी क्या होता है? सरकार इसे रोकने के लिए क्या कर रही है? एसआइटी के चेयरमैन कौन हैं?
-संविधान के किस हिस्से में राइट टु फ्रीडम पर सर्टेन रिस्ट्रिक्शंस लगाए?गए?हैं? और क्यों?
-सोशल मीडिया के मिसयूज के बारे में क्या कहेंगे? इसे रोकने के लिए कौन-सा कानून है?
-गेहूं का पहला ऐतिहासिक साक्ष्य कहां मिला?
तुलसी के बारे में क्या जानते हैं? आपने काढ़ा पिया है? मुझे बुखार हो जाए, तो आप मुझे काढा़ पीने की सलाह देंगे?
Dr. Avinash Tripathi
Profile
जन्म: 05 मई 1978
एजुकेशन: डी फिल (बॉटनी) इलाहाबाद यूनिवर्सिटी (2005)
सीएसआइआर, नेट, जेआरएफ
पूर्व सेवाएं :
लेक्चरर, राज्य शिक्षा संस्थान, यूपी
असिस्टेंट प्रोफेसर, बॉटनी, हेमवती नंदन बहुुगुणा गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, नैनी
यूपी-पीसीएस ट्रेजरी ऑफिसर 2012 बैच
सब्जेक्ट: बॉटनी ऐंड एग्रीकल्चर
पत्नी: लेक्चरर (सोशियोलॉजी)
पिता: रिटायर्ड रीडर (हिस्ट्री), एससी कॉलेज, बलिया (यूपी)
इंटरैक्शन : मिथिलेश श्रीवास्तव