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डांडिया में झूमे जीएलए के छात्र व शिक्षक

हाथों में डांडिया, चेहरे पर खुशी और रंग-बिरंगी पोशाकों में डीजे और फोक गानों की तेज धुनों पर झूमते छात्र और दूधिया रोशनी के मिलने से सम्पूर्ण जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा शनिवार की रात्रि को जगमगा उठा।

By MMI TeamEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2015 12:10 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2015 12:32 PM (IST)
डांडिया में झूमे जीएलए के छात्र व शिक्षक

हाथों में डांडिया, चेहरे पर खुशी और रंग-बिरंगी पोशाकों में डीजे और फोक गानों की तेज धुनों पर झूमते छात्र और दूधिया रोशनी के मिलने से सम्पूर्ण जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा (उ.प्र.) शनिवार की रात्रि को जगमगा उठा। बस फिर क्या था नये-पुराने, धार्मिक व फिल्मी आदि गानों के धुनों पर बरबस ही सभी झूम उठे। इस दौरान छात्र-छात्राओं का ही नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय के शिक्षकगणों का उत्साह भी देखने योग्य रहा।
नवदुर्गा के पावन पर्व पर जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा (उ.प्र.) के छात्र-छात्राओं ने डाँडिया नाईट का आयोजन किया, जिसमें सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। माँ दुर्गा के भजनों पर हुए डाँडिया नृत्य से पूरा विश्वविद्यालय परिसर गुंजायमान हो उठा।
उत्साहित बीटैक मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र आयुश वाजपेयी ने बताया कि विश्वविद्यालय में इस प्रकार के कार्यक्रमों से अपनी क्षमताओं को भी परखने का अवसर प्राप्त होता है। साथ ही ऐसे कार्यक्रम हम सभी युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति को नजदीकी से जानने, समझने व अपनाने का अवसर देते है।
कार्यक्रम के सुअवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दुर्ग सिंह चैहान ने छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि विश्वभर में भारतीय संस्कृति और सभ्यता की एक अपनी अलग पहचान है और जैसा कि हम सभी ने पढ़ा भी है और जानते हैं कि भारतीय संस्कृति का इतिहास सदियों पुराना है। ऐसे ही डाँडिया भी हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो कि मुख्यतः गुजरात राज्य के सांस्कृतिक एवं पारम्परिक नृत्यकला के रूप में जाना जाता है। प्रो. चैहान ने कहा कि देवी की उपासना में भक्ति और श्रद्धाभाव के साथ किये गये नृत्य में तालियों और छोटे-छाटे डंडों से लयबद्ध ध्वनि की जाती है।
बीटेक कम्प्यूटर साइंस एण्ड इंजीनियरिंग विभाग के वरिश्ठ शिक्षक प्रो. मनोज चैबे ने बताया कि विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के विकास हेतु समय-समय पर विभिन्न रंगारंग कार्यक्रम सहित अतिथि व्याख्यान, कार्यषालाएं आयोजित की जाती हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में ज्ञान सिर्फ किताबी ज्ञान से ही नहीं बल्कि ऐसे कार्यक्रमों से भी मिलता है। ऐसे कार्यक्रमों से विद्यार्थियों का व्यक्तित्व व शारीरिक विकास भी होता है।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में विषाल गोयल, फैजुल हसन, कुंवर मौसम, आयुशी मिश्रा, आशीष तिवारी, आयुश वाजपेयी, केशव गोयल, हिमांषु, रोनित, प्रशांत, निशांत कुमार, नमन पांडे, अभिशेक कुमार, प्रमोद, शोभित, प्रमोद आदि शिक्षकगणों का सहयोग रहा।

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