एंहैंस योर कॉलेज लाइफ
कॉलेज लाइफ के एक-एक मोमेंट को अगर आपने अच्छी तरह एनालिसिस करने एंज्वॉय करते हुए जी लिया, तो फिर आपको लाइफ में आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता। आप वह सब कुछ हासिल करते जाएंगे, जो करना चाहते हैं। जिंदगी में आगे बढ़ते जाते के सिम्पल लेकिन इंपॉटर्ेंट टिप्स दे रहे हैं दिल्ली यूनिवर्सिटी में हंसराज कॉलेज के प्रिंसिपल ड
कॉलेज लाइफ के एक-एक मोमेंट को अगर आपने अच्छी तरह एनालिसिस करने एंज्वॉय करते हुए जी लिया, तो फिर आपको लाइफ में आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता। आप वह सब कुछ हासिल करते जाएंगे, जो करना चाहते हैं। जिंदगी में आगे बढ़ते जाते के सिम्पल लेकिन इंपॉटर्ेंट टिप्स दे रहे हैं दिल्ली यूनिवर्सिटी में हंसराज कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. वी के क्वात्रा..
मुझे याद है जब मैं हंसराज कॉलेज में नया-नया आया था। मैं भी दूसरे स्टूडेंट्स की तरह थोड़ा शाइ नेचर का था। सब कुछ नया-नया था मेरे लिए। मन में बस एक लगन थी कि खूब पढ़ाई करनी है, कुछ बनना है, लेकिन कैसे, यह बहुत क्लियर नहीं था। यहां आकर धीरे-धीरे सारी चीजें क्लियर होती गईं। जूलॉजी में इंट्रेस्ट बढ़ता गया। इस सब्जेक्ट में रिसर्च करने के बाद मैं इसी कॉलेज में प्रोफेसर बन गया और आज प्रिंसिपल।
प्रजेंट ही तय करेगा फ्यूचर
कॉलेज लाइफ सारी उम्र याद रहती है। यह ग्लोरियस टाइम होता है ये। इसके बाद तो नौकरी करोगे, शादी होगी बच्चे होंगे, आपके पास जरा भी टाइम नहीं होगा, लेकिन इस टाइम जैसी फ्रीडम कभी नहीं मिलेगी। इस फ्रीडम को एंच्वॉय करो। यही वक्त है जब आप अपनी पर्सनैलिटी बना भी सकते हैं और बिगाड़ भी सकते हैं। यही आपका फ्यूचर तय करेगा।
एनालाइज एवरी मोमेंट
बचपन से निकलकर आपको रिएलिटी की दुनिया का सामना करना है। कई बार आपके मन में आता होगा कि किताबों में जो अच्छी अच्छी बातें लिखी हैं, असल जिंदगी में उनकी हकीकत काफी अलग है। इसलिए आपको दुनिया की हकीकत को समझना होगा। ये सब घूमने-फिरने से, अपने आस-पास के माहौल को एनालाइज करने से ही होगा। मेट्रो, बस, ट्रेन हर जगह आपको किसी न किसी से मिलते जुलते रहना चाहिए। आप दुनिया और दुनिया के लोगों को देखोगे, एनालिसिस करोगे तो सीखोगे, कपड़ों से लेकर बाल, चाल-ढाल और उसके बाद अगर बात हुई तो विचारों से सीखोगे। केवल किताबी पढ़ाई से कुछ नहीं होता।
माहौल से बनती है पर्सनैलिटी
माहौल का बहुत असर पड़ता है। लोग अपने बच्चों को अच्छे कॉलेज में किस लिए भेजना चाहते हैं, कहा जाता है, वहां बहुत अच्छी पढा़ई होती है। क्या एक ही सब्जेक्ट के सिलेबस में बहुत ज्यादा अंतर है अलग-अलग कॉलेजों या यूनिवर्सिटीज। कमोवेश हर जगह एक जैसा सिलेबस है, बुक्स भी करीब-करीब वहीं है और उनमें लिखी बातें भी, अगर अलग है तो वहां का माहौल। यही माहौल किसी भी संस्थान अच्छा या बुरा बनाता है। उनके स्टूडेंट्स का फ्यूचर तय करता है। भले ही आप गोल्ड मेडलिस्ट हों, लेकिन जब तक आपको प्रॉपर ट्रेनिंग नहीं मिलेगी, आप आगे की लाइफ के लिए, परफेक्ट नहीं हो पाएंगे।
रिकोग्नाइज योर एबिलिटीज
आपका एक फिक्स दायरा होना चाहिए। आपको क्या करना है और क्या नहीं करना है। डिफरेंट टाइप के लोग मिलेंगे आपको। अलग अलग तरह के लोगों से मिलने जुलने से बहुत कुछ डेवलप होता है। कुछ सब्जेक्ट्स, स्ट्रीम्स या जॉब्स ऐसे हैं, जो हर कोई प्रिफर कर रहा है, लेकिन आपको खुद को देखना है कि आप क्या करना चाहते हैं और आप क्या सकते हैं। इंसान ने इस उम्र में जो सीख लिया वहीं ताउम्र काम आएगा। इस उम्र में जिसने खुद को बना लिया, फिर उसे दुनिया के किसी कोने में भेज दिया जाए, वो बहुत अच्छी लाइफ जिएगा, न केवल जिएगा बल्कि दूसरों को भी सिखाएगा।
डेवलप पॉवर ऑफ एक्सप्रेशन
एक्सप्रेशन पावर डेवलप करें। आगे बढ़ने के लिए यह सबसे जरूरी है। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों से बात करें। अगर आपको पास ढेर सारी नॉलेज है, लेकिन अगर आप उसे एक्सप्रेस नहीं कर पा रहे हैं, तो वो आपके या दुनिया के किस काम की ?
Profile @ a glance
-बी.एससी. : हंसराज कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी
-एम. एससी.(जूलॉजी) : हंसराज कॉलेज, डीयू
-पीएच.डी. : दिल्ली यूनिवर्सिटी
इंटरैक्शन : मिथिलेश श्रीवास्तव