प्रवेश के वक्त बरतें सावधानी
आज कॅरियर की बेहतरी के लिए बहुत जरूरी है कि आप न केवल खास किस्म की क्षमताओं से लैस हों बल्कि संबंधित कोर्स के लिए संस्थान चयन में भी सचेत रहें, क्या बरतें सावधानी..
आज देश के बाजारो को ग्लोबल रिटेल जायंट्स के लिए खोलने पर बहस जारी है। क ईलोगों का सोचना हैकि विदेशी रिटेल कंपनियों केआ जाने से देशी व्यापार प्रभावित होगा तो कई सेाचते हैं कि यह अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई देगा। बहस से हटकर भी देखें तो हम पाएंगे कि आज रिटेल, भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को इकनॉमिक ग्रोथ व युवाओं को मल्टीपिल कॅरियर ऑप्शन दे रहा है। रिटेल सेक्टर के बडे नाम जैसे वॉलमार्ट, मेट्रो एजी, केरेफोर, टेस्को पूरी दुनिया में अपने पैठ बना रहे है। वही भारत मे ये भारती इंटरप्राइजेस, पीवीआर जैसे बडे नामों से हाथ मिला रहे है। देश में इसके बढते प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज भारत में यह 9 से 10 फीसदी सालाना की दर से बढ रहा है। माना जा रहा है कि इसी रफ्तार से देश का रिटेल मार्केट 2015 तक 640 बिलियन डॉलर तकपहुंच सकेगा। ऐसे में यहां रोजगार की रफ्तार बढना तय है। आप चाहें तो अपनी कोशिशों से इस फील्ड में मुकाम बना सकते हैँ। जरूरत है सही कोर्स व कॉलेज चुनने की।
डिग्री देगी राह
देश की जीडीपी में करीब 10 फीसदी का हिस्सा रखने वाली इस इंडस्ट्री को इन दिनों फास्टेस्ट ग्रोइंग कॅरियर माना जा रहा है। आज इस सेक्टर में काम की कई बेहरीन गुंजाइश पैदा हो चुकी है। इसके लिए आपको पीजी डिग्री व डिप्लोमा आदि की जरूरत होगी। जॉब के लिए कहीं-कहीं आपको सिर्फ ग्रेजुएट डिग्री की दरकार होती है तो कहीं एमबीए डिग्री धारकों को वरीयता दी जाती है। विशेषज्ञ मानते है कि रिटेल या एचआर में एमबीए डिग्री रखते हैं तो रिटेल की राह फायदेमंद हो सकती है। इसके जरिए आप एक मोटी सैलरी के तो हकदार बनते ही है साथ ही देश के आर्थिक कार्यक्रम में अपनी भूमिका भी तलाश सकते हैं।
एडमिशन में रखें सावधानी
रिटेल सेक्टर की तेज ग्रोथ के बीच एमबीए कोर्सो में प्रवेश लेने वाले युवाओं की संख्या बढी है। आज एमबीए इन रिटेल मैनेजमेंट, सप्लाई चेन मैनेजमेंट, रिटेल सेल्स व सर्विसेस जैसे कोर्सो क ी खासी धूम है। यदि आप भी इन कोर्सो में दाखिला लेकर कॅरियर संवारना चाह रहे हैं तो अवसर बहुत हँ।
रेपुटेशन एंड क्वालिटी ऑफ कॉलेज
एडमिशन लेते समय संबधित कॉलेज की गुणवत्ता का ख्याल रखना बहुत आवश्यक है। यह ऐसी चीज है जिसकी बदौलत आप अपना भविष्य सिक्योर का सकते हैं। पढाई का स्तर, प्लेसमेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर आदि चीजें इसी में आती है। जिनका ध्यान आपको एडमिशन लेते समय रखना होगा। कॉलेज की वेबसाइट्स से लेकर पूर्व छात्र व संबंधित इंडस्ट्री खासी सहायक हो सकती है।
फै कल्टी
इंडस्ट्री में आपकी गुणवत्ता, आपकी व्यावहारिक व सब्जेक्ट नॉलेज के बल पर आंकी जाती है। एक बेहतर कॉलेज फैकल्टी आपको इन सब चीजों में दक्ष बनाती है। ऐसे में संबधित कॉलेज की फैकल्टी की पडताल आवश्यक है। यहां उनके एक्सपीरिंयंस, नॉलेज, क्वालीफि केशन आदि पर ध्यान देना महत्वपूर्ण होगा।
टीचिंग मैथेडोलॉजी
आज इंडस्ट्री का रूप तेजी से बदल रहा है। इंडस्ट्री की बदलती मांग के अनुरूप आपको भी बदलना होगा। ऐसे में टीचिंग मैथेडोलॉजी की भूमिका अहम हो जाती है। इसलिए कॉलेज चयन करते वक्त देख लें कि बदले पाठ्यक्रम के अनुरूप कॉलेज की टीचिग मैथेडोलॉजी बदली है या नही।
ग्रेडिंग मैथड
कॉलेज में ग्रेडिंग मैथड से आश्वस्त होने के बाद ही दाखिला लें। देखें कि कॉलेज का ग्रेडिंग मैथेड रिटेल सेक्टर की जरूरत के मुताबिक है या नहीं।
वर्कशॉप व सेमिनार
आज कॅरियर में तरक्की के लिए केवल सब्जेक्ट नॉलेज ही काफी नहीं है। बल्कि इसके लिए आपको कार्यक्षेत्र की पुख्ता जानकारी भी होना चाहिए। ऐसे में गौर करना होगा कि चयन किए जा रहे क ॉलेज में साल में कितने वर्कशॉप, सेमिनार, इंटरनेशनल सेमिनार आयोजित होते हैं।
न्यू स्किल्स
एक सर्वे में न्यू स्किल्स को भी एमबीए कॉलेज में चयन का एक बडा मापदंड माना गया है। शायद यही कारण हैकि आज ज्यादातर बी स्कूल अपने स्टूडेंट्स को रिटेल में महारथी बनाने के लिए नई स्किल्स पर जोर दे रहे हैं। इसमें कस्टमर पर्सूएशन से लेकर करेंट मार्केट ट्रेड्स की जानकारी शामिल हैं। एडमिशन लेते वक्त इस पर ध्यान दें।
एडमिशन से पूर्व जानें खुद की क्षमता
आज के दौर में रिटेल अर्थव्यवस्था में एक बडा परिवर्तनकारी आयाम साबित हो रहा है। यहां रोजगार की अच्छी खासी संभावनाएं है बशर्ते आप यहां इंट्री लेने से पहले खुद की क्षमताओं की पुख्ता पहचान क र लें। देखा गया है कि आज एमबीए रिटेल में इंट्री की सीढी बन चुका है। ज्यादा से ज्यादा छात्र ग्रेजुएशन के बाद इस लाइन में इंट्री ले रहे हैं। लेकिन यहां इंट्री लेने से पहले उन्हें खुद की कुछ क्षमताएं मसलन कम्यूनिकेशन स्किल्स, प्रोडेक्ट संबधी जानकारी, लीडरशिप, बेहतर मैन मैनेजमेंट पर भी फोकस करना होगा।
जोश डेस्क