ड्राइवर लैस विकसित होंगी कार एल.एम. पटनायक
जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के इलेक्ट्रोनिक्स एवं संचार विभाग में दो दिवसीय अंतर्राश्ट्रीय संगोश्ठी का समापन रविवार को हो गया। संगोश्ठी में देश विदेश से 100 से अधिक शोध पत्र सात ट्रेक में प्रस्तुत किये गये।
जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा (उ.प्र.) के इलेक्ट्रोनिक्स एवं संचार विभाग में दो दिवसीय अंतर्राश्ट्रीय संगोश्ठी (सीसीआईएस-2015) का समापन रविवार को हो गया। संगोश्ठी में देश विदेश से 100 से अधिक शोध पत्र सात ट्रेक में प्रस्तुत किये गये। शोधपत्र में माइक्रोबेव सर्किट एवं एन्टीना, वायरलेस, इमेज प्रोसेसिंग, कम्यूनिकेशन, कंट्रोल व वीएलएसआई के क्षेत्रों से संबंधित थे।
कम्यूनिकेशन कंट्रोल एवं इंटेलीजेंट सिस्टम -2015 संगोश्ठी के मुख्य अतिथि तथा आई.आई.एस.सी बंगलौर के इलेक्ट्रोनिक सिस्टम डिजाइन विभाग के प्रो. एल.एम. पटनायक ने साइबर फिजीकल सिस्टम के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह आधुनिक तकनीक विभिन्न क्षेत्रों में शोध एवं औद्योगिक इकाईयों को जोडने में सहायक है। भविष्य में भारत में भी ड्राइवर लैस कार चलेंगी जिनमें हमें गंतव्य स्थान का पता डालना होगा और कार स्वतः ही एक स्थान से दूसरे स्थान तक चली जायेगी, जो कि सही रास्ते का चयन करेगी साथ ही किसी भी तरह की दुर्घटना होने से पूर्व सुरक्षित रहने की चेश्टा करेगी। इसी के साथ कार किस तरह से भीड़ भरे रास्तों में आगे बढ़ेगी और अपने यात्रियों को सुरक्षित रूप से गंतव्य तक पहुंचायेगी। उन्होंने बताया कि ऐसे सेंसर विकसित किए जा रहे हैं जो मनुश्य की मस्तिश्क को सेंस करके कार्य करने में सक्षम होंगे।
सी-डैक के सीनियर निदेशक डाॅ. पी.के. सिन्हा ने कहा कि वर्तमान समय में वैष्विक स्तर पर सुपर कम्प्यूटिंग तकनीक का उपयोग करके भारत विष्व की महाशक्ति बन सकता है। उन्होंने कहा कि सुपर कम्प्यूटिंग तकनीक से हम भारत में शोध और औद्योगिक क्षेत्र में क्रान्ति ला सकते हैं। इस शोध और औद्योगिक क्रान्ती से युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
एन.टी.यू. सिंगापुर के प्रो. पी.के. मेहर ने स्मार्ट प्रणाली का विवरण देते हुए कहा कि इस प्रणाली के जरिये से भारत सरकार के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को सफल बनाने में बहुत सहायक सिद्ध होंगे। प्रो. मेहर ने कहा कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से युवाओं के नए-नए रोजगार के अवसर पर मिलने की संभावना रहेगी।
कनाडा से आये प्रो. स्टीवन पीयर्स ने उच्च कम्प्यूटिंग के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इससे उच्च क्षमता के सुपर कम्प्यूटर बनाकर औद्योगिक इकाईयों की कार्यक्षमता को बढ़ाया जा सकता है। आमतौर पर सुपरकंप्यूटरों का इस्तेमाल मौसम, रिसर्च, सैटेलाइट डिवेलपमेंट और स्पेस की जानकारी के लिए किया जाता है। इन कंप्यूटरों की प्रोसेसिंग इतनी तेज होती है कि अरबों, खरबों की कोडिंग सेकंड से भी कम वक्त में कर सकते हैं।
विश्वविद्यालय, के कुलपति प्रो. दुर्ग सिंह चैहान ने संगोश्ठी का मुख्य शीर्षक का उल्लेख करते हुए कहा कि आज के युग में कम्यूनिकेशन कंट्रोल एवं इंटेलीजेंट सिस्टम के जरिये से हम कई तरीके की तकनीकियों के शोध व औद्योगिक क्षेत्र में हो रही वायरलैस, माइक्रोबेव और अन्य कम्यूनिकेशन सिस्टमों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अंत में प्रो. चैहान ने संगोश्ठी के आयोजन व षोध के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए इलेक्ट्रोनिक्स एवं संचार विभाग के प्रमुख प्रो. टी.एन. शर्मा व अन्य शिक्षकों को बधाई दी।
इससे पूर्व संगोश्ठी का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रो. एल.एम. पटनायक, सेके्रटरी सोसायटी एवं कोशाध्यक्ष श्री नीरज अग्रवाल, कुलपति प्रो. दुर्ग सिंह चैहान, प्रतिकुलपति प्रो. ए.एम. अग्रवाल, निदेशक प्रो. अनूप कुमार गुप्ता, विभागाध्यक्ष प्रो. टी.एन. शर्मा ने माँ सरस्वती एवं प्रेरणास्त्रोत श्री गणेशीलाल अग्रवाल जी के चित्रपट के समक्ष दीप प्रज्जवलित व माल्यार्पण कर किया।