जोश ब्लॉग
जोश प्लस पढ़ते हैं हम, इसीलिए हम में है दम। यह सबसे अच्छी मैगजीन है। इसका हर पेज नॉलेज से भरपूर है। कवर स्टोरी और सक्सेस मंत्रा पढ़कर हमारे मन में भी कुछ इनोवेटिव और क्रिएटिव करने की इच्छा पैदा हो गई है।
हम में भरता है दम
आदित्य यादव
जोश प्लस पढ़ते हैं हम, इसीलिए हम में है दम। यह सबसे अच्छी मैगजीन है। इसका हर पेज नॉलेज से भरपूर है। कवर स्टोरी और सक्सेस मंत्रा पढ़कर हमारे मन में भी कुछ इनोवेटिव और क्रिएटिव करने की इच्छा पैदा हो गई है।
लिटिल पैक में फुल नॉलेज
अमित कुमार
जब मैंने पहली बार जोश प्लस पढ़ा, तब शुरू से आखिर तक लगातार पढ़ता ही गया। मुझे यकीन ही नहींहो रहा था कि इतनी छोटी-सी मैगजीन में इतनी सारी जानकारियां भी हो सकती हैं। यकीनन इस मैगजीन ने हम जैसे स्टूडेंट्स को एक सही रास्ता दिखाया है।
मैजिकल गाइड
अंकुश सैनी
जोश प्लस स्टूडेंट्स के लिए मैजिकल गाइड है। इसे पढ़कर हमारा कॉन्फिडेंस बढ़ता है। मेरे ख्याल से यह अब तक की बेस्ट मैगजीन है। यूं तो इसके सभी कॉलम जबर्दस्त हैं, लेकिन कवर स्टोरी और सक्सेस मंत्रा तो बस दिल जीत लेते हैं।
पॉजिटिव बदलाव हुए
प्यारेलाल
मैं बहुत पहले से जोश पढ़ रहा हूं। उस समय मेरे पिताजी काम में बहुत बिजी रहा करते थे। मुझे करियर के लिए गाइड करने वाला कोई नहींथा। एक दिन मेरी नजर जोश प्लस पर पड़ी। उस दिन से मुझे नया रास्ता मिला। अपनी मंजिल तक कैसे पहुंचा जाए, यह पता चला।
ज्ञान प्लस का काम
राहुल सिंह
जोश प्लस एक ऐसा शॉर्ट नोट है, जो मेरे जैसे कई स्टूडेंट्स के लिए ज्ञान प्लस का काम करता है। इसीलिए मैं सबसे कहना चाहता हूं कि जोश प्लस सबके लिए बेस्ट है। इसे जरूर पढ़ें, खास तौर पर कवर स्टोरी और करेंट अफेयर्स तो कमाल का होता है?
इससे बेहतर कही नहीं
विवेक गोस्वामी
सिर्फ एक रुपये में इतना बेहतरीन कंटेट देने वाली मैगजीन दूसरी कोई नहींहै। इसके हर अंक में कुछ न कुछ नया मिलता है। जनरल नॉलेज और करेंट अफेयर्स के क्वैश्चंस से हमें कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स क्लियर करने में बहुत मदद मिलती है।
कमेंट्स
वी लव यू, कवर स्टोरी इज टू गुड
अमृत राज
सच होगा सपना, जोश जो है अपना
धर्र्मेंद्र सिंह गुर्जर
सबकी सफलता का राज
राधेश्याम
जोश ने हमें दिलाया होश
रीतेश झा
जोश प्लस पॉकेट का गूगल है
सोनू यादव
जिस हफ्ते जोश प्लस नहींपढ़ती, बहुत कुछ मिस कर देती हूं।
ममता बिष्ट
जिसने भी एक बार जोश प्लस पढ़ा,वह इसका इंतजार करता है।
रोहित
जोश प्लस में इंग्लिश और जीके से हमें बहुत हेल्प मिलती है।
शशि मौर्य
जोश प्लस हम युवाओं में वाकई जोश?भर देता है।
पंकज प्रकाश गुप्ता
क्या विश्वविद्यालयों में परीक्षा की अवधि तीन की जगह दो घंटे कर देनी चाहिए?
ग्रेजुएशन हो या पोस्ट ग्रेजुएशन, यूनिवर्सिटी के सारे कोर्सेज काफी लंबे-लंबे होते हैं। कभी-कभी तो इनके एग्जाम्स के लिए तीन घंटे भी कम पड़ जाते हैं। इसलिए एग्जाम का टाइम घटाने की बजाय बढ़ाने पर विचार किया जाना चाहिए।
सचिन उपाध्याय
यूनिवर्सिटीज में एग्जाम टाइम तीन घंटे ही होना चाहिए। अगर पेपर बड़ा है या क्वैश्चंस ज्यादा हैं, तो स्टूडेंट उसे अच्छी तरह समझने के बाद ही सॉल्व कर सकते हैं। समय कम करने से समझने का टाइम नहींमिलेगा।
सौरभ शुक्ला
नहीं, यह पर्याप्त समय है। करीब 40 फीसदी स्टूडेंट्स पेपर पूरा नहींकरते और निश्चित सीमा से कम ही लिखकर आते हैं। इसका मतलब यह नहींहै कि समय-सीमा ही कम कर दी जाए। बाकी 60 फीसदी स्टूडेंट्स का भी ख्याल रखें।?
आशुतोष सिंह
हां, तीन घंटे की बजाय दो घंटे ही कर देना चाहिए, लेकिन उसके मुताबिक सिलेबस भी छोटा करना चाहिए। छोटा ही पेपर हो, लेकिन नॉलेज से भरपूर हो। कम समय में भी स्टूडेंट की नॉलेज परखी जा सकती है, ज्यादा समय जरूरी नहीं।
वीरेंद्र कुमार
रीडर्स फोरम
नकल पर अंकुश के लिए क्या बोर्ड एग्जाम ऑनलाइन कर देना चाहिए?
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जोश प्लस, दैनिक जागरण,
डी-210-211, सेक्टर-63, नोएडा (यूपी)-201301