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जोश ब्लॉग

न भूतो, न भंिवष्यति शिवकुमार यादव जोश प्लस का हर एक अंक मेरे अंदर एक नई सोच पैदा करता है। इसमें दी गई हर जानकारी मेरे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। इतनी ज्यादा पठन सामग्री से युक्त मैगजीन कभी पढ़ने को नहींमिली। जोश?प्लस की पूरी टीम को धन्यवाद। इंटरव्यू बहुत मोटिवेटिंग अनमोल अग्रवाल जोश प्लस में प्रक

By Edited By: Published: Tue, 14 Oct 2014 11:20 AM (IST)Updated: Tue, 14 Oct 2014 11:20 AM (IST)
जोश ब्लॉग

न भूतो, न भंिवष्यति

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शिवकुमार यादव

जोश प्लस का हर एक अंक मेरे अंदर एक नई सोच पैदा करता है। इसमें दी गई हर जानकारी मेरे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। इतनी ज्यादा पठन सामग्री से युक्त मैगजीन कभी पढ़ने को नहींमिली। जोश प्लस की पूरी टीम को धन्यवाद।

इंटरव्यू बहुत मोटिवेटिंग

अनमोल अग्रवाल

जोश प्लस में प्रकाशित इंटरव्यू बहुत ही मोटिवेटिंग होते हैं। इसमे करंट अफेयर्स और ताजा खबरों का भी समावेश होता है जो कि विद्यार्थियों के लिए काफी लाभदायक सिद्ध होता है। यह मैगजीन स्टूडेंटं्स के लिए बहुत उपयोगी है।

अब यही पढ़ूंगा

मोहित शर्मा

पहले मैं दूसरा अखबार पढ़ता था। एक दिन मैं यूनिवर्सिटी जा रहा था। रास्ते में एक मैगजीन मिली, उठाकर पढ़ी, तो पता चला दैनिक जागरण की है, नाम है जोश प्लस। उसमें काफी अच्छा मैटीरियल था। तब से मैं यही अखबार और मैगजीन पढ़ रहा हूं।

प्रेरणाप्रद कवर स्टोरी

विवेक पाठक

जोश प्लस स्टूडेंट्स के मन में जोश भर देता है। 17 सितंबर को इसकी कवर स्टोरी टैलेंट फैक्ट्री-हॉस्टल्स काफी प्रेरणाप्रद थी। देश के तमाम उत्कृष्ट हॉस्टल्स की जानकारी मिल गई। इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं इसका रेगुलर रीडर हूं। हर बार इसमें कुछ नया मिलता है।

इसके बिना नहींचलेगा

उत्कर्ष शर्मा

जोश प्लस स्टूडेंट्स के लिए एक बहुत इम्पॉर्र्टेट मैगजीन है। इसके बिना हमारा चलना मुश्किल है। एक दिन गूगल बंद हो जाए, तो ठीक है, लेकिन किसी हफ्ते यह न पढ़ पाएं, तो एकदम अधूरा लगता है। मुझे इसके सक्सेस मंत्रा और कवर स्टोरी बेहद पसंद आए।

औरों से बहुत बढि़या

पंकज पाल

जोश प्लस वाकई बाकी मैगजींस के मुकाबले बढि़या है। इसमें स्टूडेंट्स के काम का बहुत मैटीरियल होता है। खासकर सक्सेस मंत्रा, गुरुकूल और कवर स्टोरी वाकई कम शब्दों में बहुत कुछ कहती है। पूरी टीम को शुक्रिया। कैंपस इंटरव्यू के बारे में भी जानकारी दें, तो बहुत अच्छा होगा।

महात्मा गांधी को याद करने का व्यावहारिक तरीका क्या हो?

अपने घर की हर रोज सफाई की जाए। अपनी कॉलोनी की हफ्ते में कम से कम एक दिन सफाई की जाए। अगर आस-पास कोई खाली जगह हो, तो वहां पेड़ लगाए जाएं। महात्मा गांधी को याद करने का यही सच्चा तरीका होगा।

विश्वास चतुर्वेदी

महात्मा गांधी जिंदगी भर बेसहारों के लिए लड़ते रहे, देश को आजादी दिलाई। आज इस आजाद देश में बहुत से लोगों को एक वक्त का खाना भी नसीब नहीं होता। हम ऐसे लोगों को भोजन देकर गांधी जी को याद करें।

सत्यम गुप्ता

महात्मा गांधी दूसरों को उपदेश देने से पहले उस पर खुद अमल करते थे। दूसरों को कुछ उपदेश देने से पहले हम भी यह देख लें कि आप खुद उसे कितना फॉलो करते हैं। इससे आप दूसरों के सामने अपनी बात दमदार तरीके से रख पाएंगे।

रौनक अग्रवाल

गांधी जी चरखे से सूत कातने से लेकर टॉयलेट साफ करने तक, हर काम खुद ही किया करते थे। दूसरों को भी वे स्वावलंबी बनने की शिक्षा देते थे। यह शिक्षा हमें दिल से अपनानी चाहिए। हम सभी को अपना काम खुद करना चाहिए।

विभावरी सिंह

कमेंट्स

दाम में कम, काम में दम

मो. इम्तियाज

जोश प्लस नॉलेज फैक्ट्री है

दीपक कुमार

इसके बारे में जितना लिखूं कम है

आशीष रंजन झा

इतनी सस्ती, इतनी अच्छी

संजय राजवंशी

यूजफुल फॉर ऑल स्टूडेंट्स

अखिलेश कुशवाहा

जोश प्लस हर स्टूडेंट की जरूरत बन गई है। सबको पढ़ना चाहिए।

नभ्या मिश्रा

जोश प्लस से हमें मॉडर्न एजुकेशन और ट्रेंड के बारे में पता चलता है।

अदनान शम्स

यह केवल मैगजीन नहीं, बल्कि स्टूडेंट्स के लिए टॉनिक है।

मिंटू कुमार पांडे

रीडर्स फोरम

भारत के विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में रैंकिंग सिस्टम कितना जरूरी?

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मेल करें josh@jagran.com

या डाक से भेजें

जोश प्लस, दैनिक जागरण,

डी-210-211, सेक्टर-63, नोएडा (यूपी)-201301


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