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जोश ब्लॉग

सबके लिए मार्गदर्शक मनीष कुमार जोश प्लस में एडमिशन अलर्ट, उसके लिए गाइडलाइंस भी होती हैं और आने वाले कंपटेटिव एग्जाम के लिए टिप्स भी होते हैं। इस तरह यह सरकारी जॉब की तैयारी करने वाले और पढ़ाई करने वाले दोनों तरह के स्टूडेंट्स के लिए बहुत मददगार साबित होती है। 1 रु. में बेस्ट मैगजीन निखिल शर्मा जोश प्लस में हमें ऐसी जानकारियां ि

By Edited By: Published: Tue, 22 Jul 2014 02:23 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jul 2014 02:23 PM (IST)
जोश ब्लॉग

सबके लिए मार्गदर्शक

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मनीष कुमार

जोश प्लस में एडमिशन अलर्ट, उसके लिए गाइडलाइंस भी होती हैं और आने वाले कंपटेटिव एग्जाम के लिए टिप्स भी होते हैं। इस तरह यह सरकारी जॉब की तैयारी करने वाले और पढ़ाई करने वाले दोनों तरह के स्टूडेंट्स के लिए बहुत मददगार साबित होती है।

1 रु. में बेस्ट मैगजीन

निखिल शर्मा

जोश प्लस में हमें ऐसी जानकारियां मिलती हैैं, जो और कहींभी नहीं मिलती हैं। हर अंक में हर कॉलम ज्ञानवर्धक और इंट्रेस्टिंग होता है। सिर्फ एक रुपए में इससे अच्छी मैगजीन मैंने अभी तक नहीं देखी। जोश टीम को बहुत-बहुत शुक्रिया।

हर फील्ड से मैटेरियल

रंजीत मिश्रा

नया अंक बहुत शानदार था। हर बार इसे पढ़कर बहुत अच्छा महसूस होता है। इसमें हर फील्ड के लिए कुछ न कुछ मैटेरियल होता है। यही इस मैगजीन का सबसे बड़ा अट्रैक्शन है। इतना सब कुछ लेने के लिए आपको खर्च करना होता है सिर्फ 1 रुपया।

स्टडी में इम्पॉर्र्टेट रोल

सालजी यादव

जोश प्लस पढ़ते रहने से करियर की राह पर आगे का सफर आसान हो जाता है। इसमें दिये गये करेंट अफेयर्स और साइंस क्विज स्टडी में काफी महत्वपूर्ण साबित होते हैं। जानकारी से भरपूर होना इसकी सबसे बडी खासियत है। उम्मीद है, आगे भी ऐसे ही काम करेंगे।

बेहतर होती जा रही है

शैलेश यादव

हर बार जोश प्लस पहले से बेहतर होता जा रहा है। खासकर कवर स्टोरी बेहद इनोवेटिव और क्रिएटिव होती है। सुबह-सुबह आपकी मैगजीन पढ़ना अपनेआप में बेहद सुखद अनुभूति है। पूरा दिन जोश-खरोश से भर जाता है। इसे पढ़कर हम बेहतर फ्यूचर के लिए बेहतर तरीके से सोच पाते हैं।

सभी कॉलम ज्ञानवर्धक

गोपाल तिवारी

जोश प्लस के सभी कॉलम बहुत ही ज्ञानवर्धक होते हैं। मैगजीन पढ़ने से मुझे बहुत सी जानकारियां मिलती हैं। मिशन एडमिशन वाला अंक काफी शानदार लगा। एडमिशन को लेकर इतनी अच्छी एनालिसिस कहींऔर नहींदेखी। आगे भी आप ऐसे ही जानकारियां देते रहें।

इंजीनियरिंग और मेडिकल ग्रेजुएट्स का सिविल सर्विस एग्जाम देना कितना उचित?

उन्हें शामिल नहीं होना चाहिए, क्योंकि वे तो अपने फील्ड में सेट हो चुके रहते हैं। अगर वे सिविल सर्विस के फील्ड में आते हैं, तो उनकी उस योग्यता का कोई इस्तेमाल नहीं हो पाता। ऐसे में उनकी वो टेक्निकल डिग्री तो बेकार जाती है।

सुदीक्षा चौहान

अपने टारगेट तक पहुंचने से पहले हमेशा एक विकल्प तैयार रखना चाहिए, ताकि अगर कभी सफल नहीं हो पाए तो दूसरा ऑप्शन तो रहेगा। इंजीनियरिंग और मेडिकल के स्टूडेंट्स यही सोच कर ऐसा करते हैं। ज्यादा इंपॉर्र्टेट है पैशन।

कुमार अभि

ऐसा करने से वे अपने लक्ष्य से दूर चले जाते हैं। वे अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। अगर वे ऐसा करते हैं, तो उन्हें बहुत ज्यादा तैयारी करनी पड़ती है। बार-बार लक्ष्य चेंज करने से वे अपना टाइम और टैलेंट ही वेस्ट करते हैं।

शिवम जायसवाल

अपने टारेगट को अचीव करने के लिए सही रास्ता चुनना जरूरी है। जब आपने इंजीनियर या डॉक्टर बनने का करियर चुन लिया, फिर सिविल सर्र्वेट के लिए एग्जाम क्यों दे रहे हैं। बेहतर है कि अपने फील्ड में ही कुछ नया किया जाए।

सर्वजीत कश्यप

कमेंट्स

बेहद मददगार

25 जून का अंक बहुत अच्छा लगा। आइएएस टॉपर गौरव अग्रवाल के इंटरव्यू से काफी कुछ सीखने को मिला।

आशुतोष दीक्षित

नई राहें दिखाती है

इसका करंट अफेयर्स कॉलम कमाल का होता है। यह मुझे हर समय अपडेट रखती है।

रेणब सिंह

रीडर्स फोरम

क्या आम बजट में सिर्फ 5 आइआइएम की घोषणा पर्याप्त कही जा सकती है ?

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जोश प्लस, दैनिक जागरण,

डी-210-211, सेक्टर-63, नोएडा (यूपी)-201301


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