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पहचानें यूथ का टैलेंट

यूथ के पास पॉवर और स्ट्रेंथ की कमी नहीं है, जरूरत है तो उनका सही तरीके और सही दिशा में इस्तेमाल करने की। यूथ के राइट डायरेक्शन के बारे में बता रहे हैं दिल्ली आइआइटी के डायरेक्टर प्रो. आर.के. शेवगांवकर.. आज के समय में कॉम्पिटिशन काफी टफ हो चुका है। कैंडिडेट्स ज्यादा हैं और जॉब्स कम। इसीलिए एजुकेशन पू

By Edited By: Published: Wed, 09 Jul 2014 10:27 AM (IST)Updated: Wed, 09 Jul 2014 10:27 AM (IST)
पहचानें यूथ का टैलेंट

यूथ के पास पॉवर और स्ट्रेंथ की कमी नहीं है, जरूरत है तो उनका सही तरीके और सही दिशा में इस्तेमाल करने की। यूथ के राइट डायरेक्शन के बारे में बता रहे हैं दिल्ली आइआइटी के डायरेक्टर

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प्रो. आर.के. शेवगांवकर..

आज के समय में कॉम्पिटिशन काफी टफ हो चुका है। कैंडिडेट्स ज्यादा हैं और जॉब्स कम। इसीलिए एजुकेशन पूरी करने के बाद यूथ को जॉब के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है, लेकिन जो जॉब नहीं करना चाहते, उनके लिए एंटरप्रेन्योरशिप ने स्टार्टअप के इनोवेटिव रास्ते खोल दिए हैं, जिन पर चलकर यूथ अपनी अलग पहचान बना सकते हैं।

जानें अपना टैलेंट

आज भारत पूरी दुनिया के लिए मार्केट बना हुआ है। वजह इंडिया आज यंग लोगों का देश है। आज जितना यंग मैनफोर्स हमारे यहां है, उतना दुनिया के किसी देश में नहीं है। अगर हम इस यंग जेनरेशन की ताकत और क्षमता का सही से इस्तेमाल करें, तो हम दुनिया के सबसे विकसित देशों में शामिल हो सकते हैं। हमें आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता।

चॉइस को दें प्रिफरेंस

हमारी सोसायटी में कुछ स्ट्रीम्स को ही इकोनॉमिकली बेहतर माना जाता है, जैसे इंजीनियरिंग, मेडिकल और मैनेजमेंट, लेकिन इसके अलावा भी बहुत-सी फील्ड्स हैं, जिनमें रोजगार के अच्छेअवसर हैं। वैसे, अक्सर पेरेंट्स इन्हींफील्ड्स के लिए बच्चों पर पढ़ाई के लिए प्रेशर बनाते हैं और उनकी चॉइस नहींपूछते। इसका रिजल्ट यह होता है कि बच्चा अपना टैलेंट नहींदिखा पाता। इसलिए एडमिशन के समय बच्चे की चॉइस को प्रिफरेंस दें।

ग्लोबल लेवल की तैयारी

हममें से तमाम लोग यह कहते रहते हैं कि हमें मौका नहीं दिया गया। अगर मौका मिलता, तो जरूर सफल हो जाते। लेकिन मेरा मानना है कि ग्लोबल लेवल पर क्वालिटी से कोई कंप्रोमाइज नहीं किया जाता। अगर आप में टैलेंट है, तो आपको कोई रोक नहीं सकता है। इंटरनेशनल मंच पर लोग क्वालिटी और टैलेंट को ही प्रिफरेंस देते हैं।

अपनी बात रखने का हुनर

ऐसा भी होता है कि हमारे अंदर टैलेंट और क्वालिटी होने के बाद भी हम पीछे रह जाते हैं। इसकी वजह है अपनी बात को सही तरीके से दूसरों तक नहींपहुंचा पाना। हमारी कम्युनिकेशन में कहीं न कहीं प्रॉब्लम होती है। इसलिए आइआइटी और दूसरे कई संस्थानों ने भी अब कम्युनिकेशन स्किल्स डेवलप करने पर फोकस शुरू कर दिया है, यानी आप जितना बेहतर तरीके से अपनी बात रखेंगे, आपको उतना ज्यादा आगे बढ़ने का चांस मिलेगा।

छोटे शहरों पर भी दें ध्यान

हमारे एजुकेशन सिस्टम का फोकस मेट्रो सिटीज तक ही सीमित है। छोटे शहरों में भी एजुकेशन के लेवल पर ध्यान देने की जरूरत है।?छोटे शहरों का यूथ भी क्रिएटिव और इनोवेटिव है।? नई-नई खोज करने में उसका इंट्रेस्ट है, लेकिन उसके पास रिसोर्सेज नहीं हैं। इसके लिए जरूरत है कि एजुकेशन में फंडिंग बढ़ाई जाए। फिलहाल हमारे यहां जीडीपी में एजुकेशन का शेयर काफी कम है। चीन में एजुकेशन पर हमारे यहां से ज्यादा खर्च किया जाता है।

एग्रीकल्चर में बढ़े रुझान

विदेशों में एग्रीकल्चर, हाइटेक फील्ड में काउंट की जाती है, लेकिन भारत में ऐसा नहींहै। यहां ज्यादातर किसानों के ही बच्चे एग्रीकल्चर में जाते हैं। शहरी युवाओं के बीच इस फील्ड में करियर बनाने को लेकर कोई उत्साह नहीं होता है। जबकि अगर हम युवाओं को थोड़ा मोटिवेट करें, उन्हें ऑर्गेनिक फार्रि्मग और एग्रीकल्चर के क्षेत्र में आ रही नई टेक्नोलॉजीज के बारे में अवेयर करें, तो इस फील्ड में भी यूथ का इंट्रेस्ट बढ़ेगा। गवर्नमेंट को भी गांवों में थोड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करना होगा, ताकि यूथ का गांव की तरफ भी रुझान बढ़ सके।

स्पो‌र्ट्स के लिए करें एनकरेज

आज एजुकेशन के साथ-साथ स्पो‌र्ट्स में भी करियर बनाने के बेहतरीन ऑप्शंस मौजूद हैं, लेकिन हम अभी भी स्पो‌र्ट्स की कई फील्ड में दुनिया के दूसरे देशों से पीछे हैं, जिन पर फोकस किया जा सकता है। पेरेंट्स और टीचर्स को भी यह समझना होगा कि अगर बच्चा स्पो‌र्ट्स में दिलचस्पी ले रहा है, तो उसे जबरदस्ती किताबी कीड़ा बनाने की बजाय स्पो‌र्ट्स में जाने के लिए एनकरेज करें।

Profile @ a glance

प्रो. आर.के. शेवगांवकर

-डायरेक्टर, आइआइटी दिल्ली

-एक्स वाइस चांसलर : पुणे यूनिवर्सिटी

-विजिटिंग प्रोफेसर : आइएसपी, पेरिस

-डिप्टी डायरेक्टर : आइआइटी, मुंबई

-डीन रिसोर्स मोबेलाइजेशन : आइआइटी, मुंबई

अवॉर्ड/ऑनर

-आइइइइ यूजी टीचिंग अवॉर्ड

-आइइटीइ-सीइओटी : अवार्ड फोटोनिक्स और आप्टो इलेट्रॉनिक्स में योगदान के लिए।

-फैलो- इंडियन नेशनल एकेडमिक ऑफ इंजीनियरिंग एक्सीलेंस टीचिंग अवार्ड आइआइटी मुंबई अदर रिस्पॉन्सिबिलिटीज

-डिप्टी डायरेक्टर, फाइनेंस ऐंड एक्सटर्नल अफेयर्स

-चेयरमैन : नेशनल करिकुलम रिफॉर्म कमेटी ऑफ एआइसीटीइ

इंटरैक्शन : मो. रजा


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