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ऐसे बनें फैब्रिक के बाजीगर

भारत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री में कई बड़े और क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं। नए किस्म के फैब्रिक तैयार किए जा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल कपड़ों से लेकर सड़क निर्माण में हो रहा है। वहीं, देश में मशीन या हैंडलूम आधारित हजारों की संख्या में टेक्सटाइल मिल्स खुल गए हैं। फैशन और गारमेंट इ

By Edited By: Published: Wed, 11 Jun 2014 11:46 AM (IST)Updated: Wed, 11 Jun 2014 11:46 AM (IST)
ऐसे बनें फैब्रिक के बाजीगर

भारत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री में कई बड़े और क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं। नए किस्म के फैब्रिक तैयार किए जा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल कपड़ों से लेकर सड़क निर्माण में हो रहा है। वहीं, देश में मशीन या हैंडलूम आधारित हजारों की संख्या में टेक्सटाइल मिल्स खुल गए हैं। फैशन और गारमेंट इंडस्ट्री भी दिनों दिन विकसित हो रही है। ऐसे में टेक्सटाइल इंजीनियरिंग एक पॉपुलर करियर ऑप्शन के रूप में उभरा है। अब अगर आप भी इस फील्ड में उतरने की योजना बना रहे हैं, तो क्वॉलिफाइड प्रोफेशनल के तौर पर करियर को नया आयाम दे सकते हैं।

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साइंटिफिक फैब्रिक डिजाइन

यह एक ऐसी फील्ड है जिसमें डिजाइन और कंट्रोल से लेकर टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरिंग की पूरी प्रक्रिया का अध्ययन किया जाता है। यूं कहें कि इंजीनियरिंग के सिद्धांतों के साथ-साथ नए फाइबर, यार्न या फैब्रिक डिजाइन और मैन्युफैक्चर करने की तकनीक की जानकारी इसमें हासिल की जाती है। एक टेक्सटाइल टेक्नोलॉजिस्ट का काम अपैरल, स्पोर्ट, शिपिंग, डिफेंस, मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमोटिव, मेडिकल, पेपर-मेकिंग, फूड, फर्नीचर,एयरोस्पेस, हॉर्टीकल्चर, आर्किटेक्चर, कंस्ट्रक्शन, एग्रीकल्चर, माइनिंग जैसे सेक्टर्स में इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट्स को तैयार करना होता है। मसलन जियो टेक्सटाइल का इस्तेमाल सड़क निर्माण में हो रहा है। इससे सड़कें ज्यादा टिकाऊ बन रही हैं। उनमें सॉयल इरोजन नहीं हो रहा है।

शैक्षणिक योग्यता

टेक्सटाइल इंजीनियरिंग में करियर बनाने के लिए सबसे पहले हायर सेकंडरी में फिजिक्स, मैथ्स और केमिस्ट्री का कॉम्बिनेशन होना जरूरी है। 12 वीं के बाद आप चाहें, तो टेक्सटाइल इंजीनियरिंग या टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन कर सकते हैं। इसके अलावा, दसवीं के बाद भी टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी या इंजीनियरिंग और फैब्रिकेशन टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा किया जा सकता है। भारत में कई इंजीनियरिंग कॉलेजेज, पॉलिटेक्निक और यूनिवर्सिटीज टेक्सटाइल इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएट प्रोग्राम ऑफर करते हैं। कई इंजीनियरिंग कॉलेजों में जेइइ के स्कोर के आधार पर ही छात्रों को दाखिला मिल जाता है।

बेसिक स्किल्स

इस फील्ड में करियर बनाने के लिए साइंस में दिलचस्पी होना जरूरी है। साथ ही नए टेक्सटाइल फाइबर के निर्माण को लेकर एप्टिट्यूड होना चाहिए यानी फैब्रिक में रुचि होना फायदेमंद रहेगा। इस करियर में बेहतर करने के लिए आपके पास अच्छी कम्युनिकेशन और एनालिटिकल स्किल भी होनी जरूरी है। इसके अलावा, जिनके पास टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया में तकनीकी समस्याओं को सुलझाने की क्षमता, क्रिएटिविटी, मैकेनिकल स्किल्स और लॉजिकल थिंकिंग होगी, उनके लिए आगे बढ़ने की राह आसान होगी।

काम के मौके

टेक्सटाइल इंजीनियरिंग के ग्रेजुएट आरऐंडडी, टेक्निकल सेल्स, क्वॉलिटी कंट्रोल, प्रोसेस इंजीनियरिंग, प्रोडक्शन कंट्रोल या कॉरपोरेट मैनेजमेंट में करियर बना सकते हैं। इसके अलावा शिक्षण कार्य या रिसर्च से भी जुड़ सकते हैं। आज कई बड़ी कंपनियों के अपने आरऐंडडी डिवीजन हैं। देश की शीर्ष टेक्सटाइल कंपनियों, बॉम्बे डाइंग, लक्ष्मी मशीन व‌र्क्स, अरविंद मिल्स, जेटीटी लिमिटेड आदि में काम करने के अनेक मौके मिल सकते हैं। वहीं, विदेशों में स्पोर्ट्स इंडस्ट्री में टेक्सटाइल इंजीनियर्स की सबसे ज्यादा मांग है। नॉन-वूवन इंडस्ट्री में भी टेक्सटाइल इंजीनियरिंग के ग्रेजुएट्स काम कर सकते हैं। आप एंटरप्रेन्योर के तौर पर भी करियर की शुरुआत कर सकते हैं। इन सबके अलावा बड़ी संख्या में गवर्नमेंट स्पॉन्सर्ड सिल्क, हैंडलूम, जूट, खादी और क्राफ्ट डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन में टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट के तौर पर करियर बना सकते हैं।

सैलरी

टेक्सटाइल इंजीनियर्स शुरुआत में सालाना चार से साढ़े चार लाख रुपये आसानी से कमा सकते हैं। अगर आइआइटी सरीखे किसी इंस्टीट्यूट से ग्रेजुएशन किया है, तो मार्केट में अच्छा पे-पैकेज मिलने की उम्मीद रहती है।

(जागरण फीचर)

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