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टेलीकॉम इंजीनियर कम्युनिकेशन के मास्टर

इंटरनेट की ज्यादा आबादी तक पहुंच और मोबाइल फोन सब्सक्राइबर्स की संख्या बढऩे से टेलीकॉम इंडस्ट्री तेजी से विकास कर रही है। रोजगार के विकल्प भी बढ़ रहे हैं। रैंडस्टैड की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो दशकों से टेलीकॉम इंडस्ट्री औसतन 35 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रही

By Babita kashyapEdited By: Published: Fri, 26 Dec 2014 12:04 PM (IST)Updated: Fri, 26 Dec 2014 12:10 PM (IST)
टेलीकॉम इंजीनियर कम्युनिकेशन के मास्टर

इंटरनेट की ज्यादा आबादी तक पहुंच और मोबाइल फोन सब्सक्राइबर्स की संख्या बढऩे से टेलीकॉम इंडस्ट्री तेजी से विकास कर रही है। रोजगार के विकल्प भी बढ़ रहे हैं। रैंडस्टैड की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो दशकों से टेलीकॉम इंडस्ट्री औसतन 35 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रही है। यही नहीं, आने वाले पांच वर्षों में इस इंडस्ट्री में 40 लाख नए डायरेक्ट और इनडायरेक्ट जॉब क्रिएट होने की संभावना है। इसके अलावा, सरकार द्वारा ढाई लाख पंचायतों को हाई स्पीड ब्रॉडबैंड नेटवर्क से जोडऩे की योजना से शहरों के अलावा गांवों में भी स्किल्ड टेक्निशियन, टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर्स, इंस्टॉलेशन ऐंड मेंटिनेंस सर्विस प्रोवाइडर्स, सेल्स, मार्केटिंग, एचआर जैसे सेक्टर्स में काम की कमी नहीं रहेगी। अब अगर आपको भी सैटेलाइट्स अट्रैक्ट करते हैं, लोगोंं को एक-दूसरे से कनेक्ट करने में आनंद आता है तो टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग से बेहतर ऑप्शन आपकेे लिए और कुछ नहीं है।

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क्या है टेलीकॉम इंजीनियरिंग

टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में इंफॉर्मेशन, ट्रांसमिशन नेटवर्क, टेलीकम्युनिकेशन डिवाइस की डिजाइनिंग, मैन्युफैक्चरिंग और ऑपरेशन की पढ़ाई होती है। टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर्स टेलीग्राफ, इंटरनेट, फैक्स मशीन, कम्युनिकेशन सैटेलाइट, रडार, रेडियो, टेलीफोन, टेली प्रिंटर आदि के जरिए संवाद स्थापित करते हैं, डाटा का आदान-प्रदान करते हैं। टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों फील्ड शामिल हैं। हार्डवेयर इंजीनियर के ऊपर उपकरणों के इन्स्टॉलेशन और सर्विसिंग के अलावा टेलीफोन वायर, केबल बिछाने, सैटेलाइट डिश लगाने, इंटरनेट कनेक्शन ठीक करने आदि की जिम्मेदारी होती है। इसके अलावा, वह मोबाइल फोन जैसे नए कम्युनिकेशन डिवाइस डेवलप करते हैं। दूसरी ओर सॉफ्टवेयर स्पेशलिस्ट डिवाइस के लिए नए प्रोग्राम्स बनाने, पुराने को अपडेट करने से लेकर यह सुनिश्चित करते हैं कि सभी कम्युनिकेशन डिवाइस लिंक हों और डाटा का सही से ट्रांसमिशन हो रहा हो।

एजुकेशनल क्वालिफिकेशन

टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर बनने के लिए आपके पास टेलीकम्युनिकेशन में बीटेक की डिग्री होनी चाहिए। बीटेक के लिए आपको अच्छे अंकों के साथ हायर सेकंडरी कंप्लीट करना होगा। अगर आप एमटेक करना चाहते हैं, तो किसी रिकग्नाइज्ड यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड टेलीकम्युनिकेशन या नेटवर्किंग ऐंड टेलीकम्युनिकेशंस में मास्टर्स कर सकते हैं। आइआइटी के अलावा कई इंजीनियरिंग कॉलेजेज में इससे संबंधित कोर्स ऑफर किए जाते हैं। आइआइटी में दाखिले के लिए जेइइ क्लियर करना होगा। बाकी कॉलेजेज में भी एंट्रेंस एग्जाम के आधार पर ही दाखिला मिलता है। इसी तरह पोस्टग्रेजुएशन में दाखिले के लिए भी एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करना होता है।

जॉब अपॉच्र्युनिटीज

एक अनुमान के अनुसार, आने वाले वर्षों में टेलीकॉम सेक्टर में करीब ढाई लाख स्किल्ड फोर्स की जरूरत होगी। ऐसे में टेलीकॉम इंजीनियर्स के लिए टेलीफोन इंडस्ट्री, माइक्रोवेव रेडियो सिस्टम, कंप्यूटर इंडस्ट्री, सेलुलर फोन इंडस्ट्री, सैटेलाइट कम्युनिकेशन आदि क्षेत्रों में ऑप्शंस की कमी नहीं है। आप बतौर टेस्ट इंजीनियर, इंजीनियर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, कस्टमर सपोर्ट स्टाफ, प्रोडक्ट मैनेजर, पॉवर डिस्ट्रिब्यूटर, पॉवर रिएक्टर ऑपरेटर, इन इंडस्ट्रीज से जुड़ सकते हैं। इसके अलावा, चाहें तो इंफॉर्मेशन ऐंड ब्रॉडकास्टिंग सेक्टर, एरोस्पेस इंडस्ट्री, रेलवे या पुलिस वायरलेस ऑर्गेनाइजेशन में भी करियर का आगाज कर सकते हैं।

प्रोफेशनल्स की डिमांड

नोकिया, सीमेंस, टाटा इंडिकॉम, एयरटेल, वोडाफोन, बीएसएनएल, रिलायंस जैसी टेलीकॉम कंपनीज में डिजाइनिंग, इंस्टॉलिंग, रेडियो फ्रिक्वेंसी आदि के एक्सपर्ट ग्रेजुएट्स की काफी डिमांड है। शुरुआत में साढ़े तीन से चार लाख रुपये का पैकेज आसानी से मिल जाता है।

देवकांत मिश्रा आइटी एडमिनिस्ट्रेटर, नोकिया इंडिया, पटना

टॉप इंस्टीट्यूट्स

-आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पुणे

www.aitpune.com/

-असम इंजीनियरिंग कॉलेज, गुवाहाटी,

www.aec.ac.in

-एएमसी इंजीनियरिंग कॉलेज, बेंगलुरु

www.amcgroup.edu.in

-भारती विद्यापीठ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नवी मुंबई,

www.bvcoenm.org.in

इंटरैक्शन : अंशु सिंह


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