संस्कृति की समर ट्रेनिंग निखारेगी छात्र-छात्राओं का व्यक्तित्व
संस्कृति यूनिवर्सिटी के कार्यकारी निदेशक प्रो. पी.सी. छाबड़ा ने कहा कि समर ट्रेनिंग का उद्देश्य छात्र-छात्राओं के व्यावसायिक प्रशिक्षणों में व्यवहारिक ज्ञान को मजबूत करना है।
उत्कृष्ट शिक्षा, बेहतरीन प्रदर्शन और मल्टीनेशनल कंपनियों में प्लेसमेंट की मिसाल बनी संस्कृति यूनिवर्सिटी छात्र-छात्राओं की प्रतिभाओं को निखारने के लिए हमेशा ही कुछ न कुछ नया करती रहती है, जिससे छात्र-छात्राओं का ध्यान संस्कृति में होने वाले कार्यक्रमों की प्रतिभागिता में लगा रहता है। इसी कड़ी में कैंपस में अलग से कंप्यूटर साइंस से बी-टेक करने वाले स्टूडेंट्स की उलझनों को सुलझाने एवं पर्सनैलिटी डेवलपमेंट कोर्स के लिए समर क्लास लगाई जा रही हैं। साथ ही समर ट्रेनिंग के लिए बी-टेक मेकेनिकल और सिविल के छात्र-छात्राओं को डेढ़ माह की समर ट्रेनिंग के लिए नामचीन कंपनियों में भेजा गया है।
संस्कृति यूनिवर्सिटी के प्रो. चांसलर राजेश गुप्ता ने बताया कि समर वेकेशन को छात्र-छात्राएं अपने ट्रेनिंग क्लास और एक्सट्रा समर क्लास के तहत एंजाॅय कर रहे हैं। एक्स्ट्रा क्लास के दौरान जहां छात्र-छात्राएं कंप्यूटर क्लास के दौरान छूट चुकी बारीकियों को समझ रहे हैं तो समर ट्रेनिंग के दौरान मेकेनिकल के छात्र-छात्राएं कंपनी कैंपस में जाॅब के दौरान होने वाली छोटी-मोटी गलतियों से सबक सीख रहे हैं। वैसे भी बी-टेक सिविल, मेकेनिकल कोर्स में हर दो सेमेस्टर के उपरांत प्रत्येक छात्र को विश्वविद्यालय की तरफ से ट्रेनिंग के लिए नामचीन कंपनियों में भेजा जाता है। कंपनियों में ट्रेनिंग का फायदा छात्र-छात्राओं को प्लेसमेंट के समय मिलता है। अधिकांश छात्र-छात्राओं का प्लेसमेंट अध्ययन के समय होने वाली ट्रेनिंग में परफाॅर्मेंस को देखते ही ट्रेनिंग कंपनी ही चयन कर लेती है, जिसका कारण है कि अच्छे संस्थान से डिग्री प्राप्त छात्र-छात्राओं को प्लेसमेंट देने से कंपनी भी शीर्ष तक पहुंचने में कामयाब रहती है।
संस्कृति यूनिवर्सिटी के चांसलर सचिन गुप्ता ने कहा कि सैद्धांतिक ज्ञान प्राप्त करने के साथ साथ छात्रों के लिए व्यवहारिक ज्ञान की आवश्यकता महत्वपूर्ण होती है। यह व्यवहारिक ज्ञान उन्हें समर ट्रेनिंग के दौरान प्राप्त होता है। तत्पश्चात जब बी-टेक कोर्स पूर्ण हो जाता है तब उन्हें अच्छा प्लेसमेंट कंपनियों द्वारा मिलता है। हालांकि सीखने का क्रम तो पूरी जिंदगी चलता रहता है। छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व विकास के लिए कैंपस में समर क्लासेज और पर्सनैलिटी डवलपमेंट कोर्स चलाए जा रहे हैं जिससे छात्र-छात्राएं अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद बिना किसी एक्स्ट्रा तैयारी के अच्छी कंपनी में अच्छे पैकेज पर पहुंच सकें।
कंप्यूटर के एचओडी आलोक शर्मा का कहना है कि क्लास के दौरान कुछ बारीकियों को सीखने से अधिकांश स्टूडेंट्स वंचित रह जाते हैं। ऐसे स्टूडेंट्स के लिए कैंपस में एक्स्ट्रा क्लास का इंतजाम खास इन समर वेकेशन के दौरान किया गया है। जिसमें छोटे-छोटे आंकड़ों को समझाने के साथ छात्र-छात्राओं द्वारा बेटोक पूछे गए प्रश्नों का उत्तर भी फेकल्टी द्वारा प्रेक्टीकली ज्ञान के दौरान दिया जा रहा है। इसी के साथ कैंपस में इन दिनों पर्सनैलिटी डवलपमेंट क्लासेज भी लगाई जा रहीं हैं जिसमें अनुभवी प्रोफेसर द्वारा बैठने, बोल-चाल, बात करने का सलीका और सटीक जबाव देने के तरीके के साथ ही पाॅजीटिव थिंकिग पर फोकस करने पर जोर दिया जा रहा है।
ट्रेनिंग एंड प्लेसेमेंट हेड रिझू बंसल ने बताया कि समर वेकेशन का फायदा स्टूडेंट्स ट्रेनिंग में ले सकें इसके लिए बी-टेक, मेकेनिकल आदि डिपार्टमेंट के स्टूडेंट्स को विभिन्न कंपनियों में भेजा गया है। जिनमें बी-टेक मैकेनिकल थर्ड ईयर के छात्र-छात्राओं को पेप्सी की फ्रेंचाईजी कंपनी वरूण वेवरेज लिमिटेड, कंपनी में विद्यार्थियों को भेजा गया है। इसी के साथ मेकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा सेकेंड ईयर के स्टूडेंट्स को इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग के लिए न्यू एलनवेरी वर्क्स फरीदाबाद, लोटस गार्डन वृंदावन एवं ब्राइट फ्यूचर कंपनी नोयडा के लिए भी बी-टेक के छात्र-छात्राएं ट्रेनिंग के लिए भेजे गए हैं। ट्रेनिंग के दौरान कंपनियों द्वारा छात्र-छात्राओं को प्रेक्टीकली ज्ञान के साथ सैद्धांतिक ज्ञान भी दिया जा रहा है।
संस्थान के कार्यकारी निदेशक प्रो. पी.सी. छाबड़ा ने कहा कि समर ट्रेनिंग का उद्देश्य छात्र-छात्राओं के व्यावसायिक प्रशिक्षणों में व्यवहारिक ज्ञान को मजबूत करना है।